उप प्रधानमंत्री: Difference between revisions

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Revision as of 13:25, 14 September 2010

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भारतीय संविधान में उप-प्रधानमंत्री पद की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके बावजूद समय-समय पर इस पद की व्यवस्था की जाती रही है। इस पद का अब तक 7 बार सृजन किया गया है। पहली बार इस पद का सृजन प्रथम लोकसभा के दौरान प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा किया गया था। इस प्रकार सरदार बल्लभ भाई पटेल उप-प्रधानमंत्री पद को सुशोभित करने वाले प्रथम व्यक्ति थे। वे 1947-1950 तक इस पद पर आसीन रहे। दूसरी बार इस पद का सृजन इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में 1967-1969 के दौरान किया गया, जब मोरारजी देसाई को इसका दायित्व सौंपा गया। 1977 में सत्ता में आयी मोरारजी देसाई सरकार में दो उप-प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और जगजीवन राम बनाये गये।

भारत के उप-प्रधानमंत्री
उप-प्रधानमंत्री अवधि
सरदार बल्लभ भाई पटेल 15 अगस्त, 1947 से 15 दिसम्बर, 1950
मोरारजी देसाई 13 मार्च, 1967 से 19 जुलाई, 1969
जगजीवन राम 24 जनवरी, 1979 से 28 जुलाई, 1979
चौधरी चरण सिंह 24 जनवरी, 1979 से 28 जुलाई, 1979
बाई. वी. चव्हाण 28 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी, 1980
चौधरी देवी लाल 2 दिसम्बर, 1989 से 1 अगस्त, 1990
चौधरी देवी लाल 10 नवम्बर, 1990 से 21 जून, 1991
लालकृष्ण आडवाणी 29 जून, 2002 से 22 मई, 2004

जनता पार्टी से अलग होने के बाद जब चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस के समर्थन में अपनी सरकार बनायी, तब उन्होंने बाई. वी. चव्हाण को उप-प्रधानमंत्री नियुक्त किया था। तब चव्हाण कांग्रेस छोड़कर चौधरी चरण सिंह के साथ आ गये। इसी प्रकार 1989 में वी. पी. सिंह सरकार में और 1990 में चन्द्रशेखर सरकार में चौधरी देवीलाल को उप-प्रधानमंत्री पद पर आसीन किया गया था। इसी क्रम में जून, 2002 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को उप-प्रधानमंत्री पद का दायित्व सौंपा।

संवैधानिक दृष्टि से उप-प्रधानमंत्री और मंत्रिमण्डल के किसी अन्य सदस्य की स्थिति में कोई अन्तर नहीं होता है। परन्तु व्यवहार में उप-प्रधानमंत्री सरकार में प्रधानमंत्री के बाद दूसरे स्थान पर होता है। प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति में वह प्रधानमंत्री के समस्त दायित्वों का निर्वहन करता है।


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