इला रमेश भट्ट: Difference between revisions

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==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==
7 सितम्बर, 1933 को इला का जन्म [[अहमदाबाद]] में हुआ था। उनके बचपन का अधिकांश समय [[सूरत]] में व्यतीत हुआ। उनके [[पिता]] का नाम सुमंतराय भट्ट था, जो क़ानून के जानकार थे। [[माता]] वानालीला व्यास महिलाओं के आन्दोलन में सक्रिय थीं। इला ने [[1940]] से [[1948]] तक 'सार्वजनिक गर्ल्स हाई स्कूल, सूरत से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने [[1952]] में अपनी स्नातक की डिग्री एम.टी.बी. कॉलेज, सूरत से प्राप्त की। इसके बाद इला ने अहमदाबाद के 'सर एल.ए. शाह लॉ कॉलेज प्रवेश लिया और वहाँ से [[1954]] में अपनी क़ानून की डिग्री प्राप्त की। हिन्दू क़ानून पर किये गए उनके सराहनीय कार्य के लिए उन्हें स्वर्ण पदक प्रदान किया गया था।
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Latest revision as of 07:09, 7 September 2018

इला रमेश भट्ट
जन्म 7 सितम्बर, 1933
जन्म भूमि अहमदाबाद, गुजरात
अभिभावक पिता- सुमंतराय भट्ट, माता- वानालीला व्यास
कर्म भूमि भारत
भाषा हिन्दी, अंग्रेज़ी
शिक्षा कला स्नातक और क़ानून की डिग्री
विद्यालय 'सार्वजनिक गर्ल्स हाई स्कूल', 'एम.टी.बी. कॉलेज' (सूरत); 'सर एल.ए. शाह लॉ कॉलेज' (अहमदाबाद)
पुरस्कार-उपाधि 'मेग्सेसे पुरस्कार' (1977), 'राइट लिवलीहुड अवार्ड' (1984), 'पद्मश्री' (1985), 'पद्मभूषण' (1986)
प्रसिद्धि अंतरराष्ट्रीय श्रम, सहकारिता, महिलाओं और लघु-वित्त आंदोलनों की सम्मानित नेता
नागरिकता भारतीय
अद्यतन‎ 12:52, 20 सितम्बर-2012 (IST)

इला रमेश भट्ट (अंग्रेज़ी: Ela Ramesh Bhatt, जन्म- 7 सितम्बर, 1933, अहमदाबाद) अंतरराष्ट्रीय श्रम, सहकारिता, महिलाओं और लघु-वित्त आंदोलनों की एक सम्मानित नेता हैं, जिन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। वे भारत में 'सेल्फ इम्प्लाएड वुमन एसोसिएशन' (एस.ई.डब्ल्यू.ए.) की संस्थापक हैं, जिसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। यह संस्था लघु ऋण देने, स्वास्थ्य और जीवन बीमा और बच्चों की देखभाल के कामों में संलग्न है। एस.ई.डब्ल्यू.ए. सौ से अधिक सहकारी समितियों की देखरेख में चलती है, जिन्हें महिलाएँ संचालित करती हैं। जनवरी 2010 में एस.ई.डब्ल्यू.ए. की सदस्य संख्या 12 लाख तक पहुँच गई है।

जीवन परिचय

7 सितम्बर, 1933 को इला का जन्म अहमदाबाद में हुआ था। उनके बचपन का अधिकांश समय सूरत में व्यतीत हुआ। उनके पिता का नाम सुमंतराय भट्ट था, जो क़ानून के जानकार थे। माता वानालीला व्यास महिलाओं के आन्दोलन में सक्रिय थीं। इला ने 1940 से 1948 तक 'सार्वजनिक गर्ल्स हाई स्कूल, सूरत से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने 1952 में अपनी स्नातक की डिग्री एम.टी.बी. कॉलेज, सूरत से प्राप्त की। इसके बाद इला ने अहमदाबाद के 'सर एल.ए. शाह लॉ कॉलेज प्रवेश लिया और वहाँ से 1954 में अपनी क़ानून की डिग्री प्राप्त की। हिन्दू क़ानून पर किये गए उनके सराहनीय कार्य के लिए उन्हें स्वर्ण पदक प्रदान किया गया था।

समाज सेवा

इला रमेश भट्ट ने बतौर वकील अपना काम शुरू किया। वह गाँधी जी के विचारों से प्रभावित महिला थीं, इसीलिए गाँधीवादी महिला के रूप में प्रसिद्ध हुईं तथा स्त्रियों की आत्मनिर्भरता के हित में इन्होंने अपना ध्यान केन्द्रित किया। कुछ समय श्रीमती नाथी बाई दामोदर ठाकरे वुमन यूनीवर्सिटी में अंग्रेज़ी पढ़ाने के बाद 1955 में वह अहमदाबाद की एक इकाई की 'टेक्सटाइल लेबर एसोसिएशन' के लॉ विभाग में आ गईं और वहीं से उनमें यह चेतना उभरी कि उन्हें कामकाजी महिलाओं के हित में, उन्हें आत्मनिर्भरता देने के लिए काम करना चाहिए। इन्होंने 'सेल्फ इम्प्लाएड वुमन एसोसिएशन' (एस.ई.डब्ल्यू.ए.) का गठन किया, जिसके ज़रिये स्वरोज़गार में लगी महिलाओं को परामर्श तथा जानकारी दी जाने लगी। 1979 में इन्होंने 'वुमन वर्ल्ड बैंकिंग' की स्थापना की तथा 1980-1988 तक इसकी अध्यक्ष रहीं।

पुरस्कार व सम्मान

1977 में इला रमेश भट्ट को सामुदायिक नेतृत्व श्रेणी में 'मेग्सेसे पुरस्कार' दिया गया। 1984 में उन्हें स्वीडिश पार्लियामेंट द्वारा 'राइट लिवलीहुड' अवार्ड मिला। इला रमेश भट्ट को भारत सरकार द्वारा 1985 में 'पद्मश्री' की उपाधि मिली। अगले ही वर्ष 1986 में उन्हें 'पद्मभूषण' सम्मान दिया गया। जून, 2001 में हावर्ड यूनीवर्सिटी ने उन्हें 'आनरेरी डॉक्टरेट' की डिग्री प्रदान की।

जापान द्वारा सम्मान

प्रसिद्ध समाज सेविका इला रमेश भट्ट को वर्ष 2010 के जापान के प्रतिष्ठित 'निवानो शांति पुरस्कार' से भी सम्मानित किया गया है। इला को यह पुरस्कार भारत में 30 वर्षों से अधिक समय से ग़रीब महिलाओं के विकास और उत्थान के कार्यों व महात्मा गाँधी की शिक्षाओं का पालन करने के लिए दिया गया है।


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