डॉ. किरण मार्टिन: Difference between revisions

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==एक मेज व कुर्सी से शुरुआत==  
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सन [[1988]] में जब डॉ. किरण जब कॉलरा फैलने के कारण स्लम एरिया में पहुंची थीं, उस समय उऩ्होंने वहां पर अपनी सेवा देने के बारे में सोचा। तब उऩ्होंने एक पेड़ के नीचे कुर्सी व मेज रखकर क्लीनिक की शुरुआत की थी। इस समय डॉ. किरण दिल्ली के 91 स्लम एरिया के 7 लाख के करीब लोगों को सेवाएं दे रही हैं।  
सन [[1988]] में जब डॉ. किरण जब कॉलरा फैलने के कारण स्लम एरिया में पहुंची थीं, उस समय उऩ्होंने वहां पर अपनी सेवा देने के बारे में सोचा। तब उऩ्होंने एक पेड़ के नीचे कुर्सी व मेज रखकर क्लीनिक की शुरुआत की थी। इस समय डॉ. किरण दिल्ली के 91 स्लम एरिया के 7 लाख के करीब लोगों को सेवाएं दे रही हैं।  
==आशा संगठन की शुरुआत==  
==आशा संगठन==  
इसके बाद उन्होंने इस काम को आगे बढ़ाते हुए '''आशा''' नाम के संगठन की शुरुआत की। इसमें महिलाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें कम्युनिटी हेल्थ वर्कर बनाया गया। इन महिलाओं को प्रशिक्षित करने के बाद फर्स्ट एड बॉक्स दिया जाता है। जिससे वह बीमारी व उसके संक्रमण को रोकने के लिए प्राथमिक उपचार कर सकें। यह टीम उस एरिया की बाकी महिलाओं को बच्चों व [[परिवार]] को पोषित रखते की जानकारी देती है।  
इसके बाद उन्होंने इस काम को आगे बढ़ाते हुए '''आशा''' नाम के संगठन की शुरुआत की। इसमें महिलाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें कम्युनिटी हेल्थ वर्कर बनाया गया। इन महिलाओं को प्रशिक्षित करने के बाद फर्स्ट एड बॉक्स दिया जाता है। जिससे वह बीमारी व उसके संक्रमण को रोकने के लिए प्राथमिक उपचार कर सकें। यह टीम उस एरिया की बाकी महिलाओं को बच्चों व [[परिवार]] को पोषित रखते की जानकारी देती है।  
==लोगों को बनाया आत्मनिर्भर==  
==लोगों को बनाया आत्मनिर्भर==  

Latest revision as of 12:04, 4 November 2020

thumb|250px|डॉ. किरण मार्टिन डॉ. किरण मार्टिन (अंग्रेज़ी: Dr. Kiran Martin, जन्म- 9 जून, 1959) बच्चों की चिकित्सक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्हें भारत सरकार द्वारा 2002 में, चौथे सर्वोच्च भारतीय नागरिक सम्मान 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया था। उन्होंने अपने काम को आगे बढ़ाते हुए आशा नाम के संगठन की शुरुआत की। इसमें महिलाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें कम्युनिटी हेल्थ वर्कर बनाया गया।

परिचय

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. किरण मार्टिन ने दिल्ली के मुल्लाना आजाद मेडिकल कॉलेज से मेडिकल की शिक्षा हासिल की है। जिन्होंने अपना सारा जीवन स्लम एरिया में रह रहे बच्चों व लोगों को समर्पित कर दिया। उन्होंने न केवल वहां के लोगों को स्वस्थ के प्रति जागरुक किया बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनना भी सिखाया। इस काम में उनकी कम्यूनिटी व भारत सरकार ने भी उनका काफी योगदान दिया। अपने इस कार्य के लिए उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री के साथ कई तरह के आवार्ड मिल चुके हैं।[1]

एक मेज व कुर्सी से शुरुआत

सन 1988 में जब डॉ. किरण जब कॉलरा फैलने के कारण स्लम एरिया में पहुंची थीं, उस समय उऩ्होंने वहां पर अपनी सेवा देने के बारे में सोचा। तब उऩ्होंने एक पेड़ के नीचे कुर्सी व मेज रखकर क्लीनिक की शुरुआत की थी। इस समय डॉ. किरण दिल्ली के 91 स्लम एरिया के 7 लाख के करीब लोगों को सेवाएं दे रही हैं।

आशा संगठन

इसके बाद उन्होंने इस काम को आगे बढ़ाते हुए आशा नाम के संगठन की शुरुआत की। इसमें महिलाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें कम्युनिटी हेल्थ वर्कर बनाया गया। इन महिलाओं को प्रशिक्षित करने के बाद फर्स्ट एड बॉक्स दिया जाता है। जिससे वह बीमारी व उसके संक्रमण को रोकने के लिए प्राथमिक उपचार कर सकें। यह टीम उस एरिया की बाकी महिलाओं को बच्चों व परिवार को पोषित रखते की जानकारी देती है।

लोगों को बनाया आत्मनिर्भर

किसी गंभीर बीमारी के दौरान आशा वर्कर लैब संभाल कर उसका इलाज करती हैं। उन्हें ईसीजी, एक्सरे की सुविधा दी जाती हैं। डॉ. किरण ने वहां के गरीब लोगों के लिए अलग अलग तरह की कई सुविधाएं शुरु करवाई जिसमें पानी के लिए हैंडपंप, फाइनेंस स्कीम, खाते खुलवाए। इसके साथ ही झोपड़ी में रह रहे बच्चों को रोजगार देने व शिक्षा देने का भी काम किया जा रहा है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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