बुर्ज़होम: Difference between revisions
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'''बुर्ज़होम''' एक ऐतिहासिक स्थल है, जो [[कश्मीर की घाटी]] में [[श्रीनगर]] से छह मील {{मील|मील=6}} उत्तर-पूर्व की ओर स्थित है। यह [[शालीमार बाग़ श्रीनगर|शालीमार बाग़]] के उत्तर-पश्चिम दिशा में पड़ता है। स्थानीय भाषा में बुर्ज़होम को 'प्लेस ऑफ़ बिर्च' कहा जाता है। इस जगह का यह नाम इसलिए पड़ा, क्योकि यहां की खुदाई के दौरान भारी संख्या में जले हुए बिर्च के वृक्ष मिले थे, जिससे यह पता चलता है कि उस काल में इस इलाके में बहुतायत में सन्टी के पेड़ पाए जाते थे। | '''बुर्ज़होम''' एक ऐतिहासिक स्थल है, जो [[कश्मीर की घाटी]] में [[श्रीनगर]] से छह मील {{मील|मील=6}} उत्तर-पूर्व की ओर स्थित है। यह [[शालीमार बाग़ श्रीनगर|शालीमार बाग़]] के उत्तर-पश्चिम दिशा में पड़ता है। स्थानीय भाषा में बुर्ज़होम को 'प्लेस ऑफ़ बिर्च' कहा जाता है। इस जगह का यह नाम इसलिए पड़ा, क्योकि यहां की खुदाई के दौरान भारी संख्या में जले हुए बिर्च के वृक्ष मिले थे, जिससे यह पता चलता है कि उस काल में इस इलाके में बहुतायत में सन्टी के पेड़ पाए जाते थे। | ||
[[चित्र:Burzoham Pit Dwelling.jpeg|thumb|300px|left|बुर्जहोम - ज़मीन के नीचे बनी रहने की जगह, कश्मीर]] | |||
*बुर्ज़होम में नवपाषाण युग की सभ्यता का पता लगा है, जिसका समय 1850-130 ई. पू. का है। | *बुर्ज़होम में नवपाषाण युग की सभ्यता का पता लगा है, जिसका समय 1850-130 ई. पू. का है। | ||
*नवपाषाण युग के लोग गड्ढों में रहते थे और इन गड्ढों को छप्परों से ढँकते थे। ये [[भूरा रंग|भूरे रंग]] के मृद्भाण्डों का प्रयोग करते थे। इनके पत्थर के औज़ार चिकनी कुल्हाड़ियाँ, मूसल और हड्डी के सूए, सूइयाँ, मत्स्य-भाले और [[गदा शस्त्र|गदा]] होते थे। ये कुत्ते, भेड़ आदि को भी दफ़नाते थे। | *नवपाषाण युग के लोग गड्ढों में रहते थे और इन गड्ढों को छप्परों से ढँकते थे। ये [[भूरा रंग|भूरे रंग]] के मृद्भाण्डों का प्रयोग करते थे। इनके पत्थर के औज़ार चिकनी कुल्हाड़ियाँ, मूसल और हड्डी के सूए, सूइयाँ, मत्स्य-भाले और [[गदा शस्त्र|गदा]] होते थे। ये कुत्ते, भेड़ आदि को भी दफ़नाते थे। |
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बुर्ज़होम एक ऐतिहासिक स्थल है, जो कश्मीर की घाटी में श्रीनगर से छह मील (लगभग 9.6 कि.मी.) उत्तर-पूर्व की ओर स्थित है। यह शालीमार बाग़ के उत्तर-पश्चिम दिशा में पड़ता है। स्थानीय भाषा में बुर्ज़होम को 'प्लेस ऑफ़ बिर्च' कहा जाता है। इस जगह का यह नाम इसलिए पड़ा, क्योकि यहां की खुदाई के दौरान भारी संख्या में जले हुए बिर्च के वृक्ष मिले थे, जिससे यह पता चलता है कि उस काल में इस इलाके में बहुतायत में सन्टी के पेड़ पाए जाते थे। thumb|300px|left|बुर्जहोम - ज़मीन के नीचे बनी रहने की जगह, कश्मीर
- बुर्ज़होम में नवपाषाण युग की सभ्यता का पता लगा है, जिसका समय 1850-130 ई. पू. का है।
- नवपाषाण युग के लोग गड्ढों में रहते थे और इन गड्ढों को छप्परों से ढँकते थे। ये भूरे रंग के मृद्भाण्डों का प्रयोग करते थे। इनके पत्थर के औज़ार चिकनी कुल्हाड़ियाँ, मूसल और हड्डी के सूए, सूइयाँ, मत्स्य-भाले और गदा होते थे। ये कुत्ते, भेड़ आदि को भी दफ़नाते थे।
- इस नवपाषाण युगीन संस्कृति की कुछ निजी विशेषताएँ हैं, जो भारत की अन्य संस्कृतियों में नहीं मिलती हैं, जैसे कि हड्डी के विशिष्ट औज़ार, आयताकार छिद्रित पत्थर के चाकू, गड्ढ़ों में रहने के स्थान पर कुत्तों को उनके स्वामियों के साथ क़ब्र में दफ़नाया जाना,ये सब विशेषताएँ उत्तर चीन की नवपाषाण युगीन संस्कृतियों में पायी जाती हैं।
- नवपाषाण संस्कृति के लोगों का मुख्य व्यवसाय मछली पकड़ना था।
- इस क्षेत्र में 3000 से 1500 साल ईसा पूर्व निओलिथिक निपटान के द्वारा क़ब्ज़ा कर लिया था। यहां पर कई प्राचीन घर और भूमिगत गड्डे पाए जाते हैं। यहां के घरों का निर्माण जमीनी स्तर से ऊपर ईट और गारे से किया जाता है।
- इस स्थल पर लगभग 6 साल, 1961 से 1968 तक खुदाई चली थी, जिसमें लगभग दय मानवा कंकाल पाए गए थे। वैज्ञानिकों ने खोजबीन की और पता लगाया कि यह ककांल नवपाषाण काल, निओलिथिक काल और अन्य ऐतिहासिक समय के थे। इस स्थान से खुदाई के दौरान कई बर्तन, पशु कंकाल और उपकरण भी प्राप्त हुए थे।
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