उज्जवल सिंह: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 9: Line 9:
|मृत्यु स्थान=
|मृत्यु स्थान=
|मृत्यु कारण=
|मृत्यु कारण=
|अभिभावक=[[माता]]- लक्ष्मी देवी<br />
|अभिभावक=
[[पिता]]- सुजान सिंह
|पति/पत्नी=
|पति/पत्नी=
|संतान=
|संतान=
Line 18: Line 17:
|प्रसिद्धि=राजनीतिज्ञ
|प्रसिद्धि=राजनीतिज्ञ
|पार्टी=[[कांग्रेस]]
|पार्टी=[[कांग्रेस]]
|पद=[[राज्यपाल]], [[तमिलनाडु]]- [[14 जनवरी]], [[1969]] से [[27 मई]], [[1971]]<br />
|पद=[[राज्यपाल]]
[[राज्यपाल]], [[पंजाब]]- [[1 सितम्बर]], [[1965]] से [[26 जून]], [[1966]]
|कार्य काल=
|कार्य काल=
|शिक्षा=
|शिक्षा=
Line 36: Line 34:
|अद्यतन=
|अद्यतन=
}}
}}
'''उज्जवल सिंह''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ujjwal Singh'', जन्म- [[27 दिसम्बर]], [[1895]]; मृत्यु- [[15 फ़रवरी]], [[1983]]) [[पंजाब]] के प्रमुख [[सिक्ख]] कार्यकर्ता थे। 'शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी' के वह संस्थापक सदस्यों में से एक थे। सरदार उज्जवल सिंह संवैधानिक तरीकों से देश की स्वतंत्रता के पक्षधर थे। देश की आज़ादी तथा विभाजन के बाद वे अपनी सारी सम्पत्ति [[पाकिस्तान]] में छोड़कर [[भारत]] आ गये थे। वे [[1965]] में पंजाब तथा [[1966]] में मद्रास (वर्तमान [[चेन्नई]]) के [[राज्यपाल]] पद पर रहे थे।
'''उज्जवल सिंह''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ujjal Singh'', जन्म- [[27 दिसम्बर]], [[1895]]; मृत्यु- [[15 फ़रवरी]], [[1983]]) [[पंजाब]] के प्रमुख [[सिक्ख]] कार्यकर्ता थे। 'शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी' के वह संस्थापक सदस्यों में से एक थे। सरदार उज्जवल सिंह संवैधानिक तरीकों से देश की स्वतंत्रता के पक्षधर थे। देश की आज़ादी तथा विभाजन के बाद वे अपनी सारी सम्पत्ति [[पाकिस्तान]] में छोड़कर [[भारत]] आ गये थे। वे [[1965]] में पंजाब तथा [[1966]] में मद्रास (वर्तमान [[चेन्नई]]) के [[राज्यपाल]] पद पर रहे थे।
==परिचय==
==परिचय==
सरदार उज्जवल सिंह का जन्म ज़िला शाहपुर (अब पाकिस्तान) में 27 दिसंबर, 1895 को हुआ था। वह सुजान सिंह और लक्ष्मी देवी के दो बच्चों में से छोटे थे, एक [[परिवार]] जो सिक्ख शहीद भाई संगत सिंह का वंशज था। सरदार उज्जवल सिंह ने खालसा यूनिवर्सिटी स्कूल, [[अमृतसर]] में पढ़ाई की और [[लाहौर]] के सरकारी स्कूल से [[इतिहास]] में स्नातक की डिग्री हासिल की। उनके बड़े भाई सर शोभा सिंह, [[नई दिल्ली]] के विकास के दौरान प्रमुख ठेकेदार और लेखक [[खुशवंत सिंह]] के [[पिता]] थे।
सरदार उज्जवल सिंह का जन्म ज़िला शाहपुर (अब पाकिस्तान) में 27 दिसंबर, 1895 को हुआ था। [[लाहौर]] के कॉलेज से शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने सिर्फ राजनीति में भाग लेना आरंभ किया। भारत से [[सिक्ख|सिक्खों]] का पक्ष प्रस्तुत करने के लिए जो प्रतिनिधिमंडल [[लंदन]] गया था, वह उसके भी सदस्य थे। 'शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी' के संस्थापक सदस्यों में से एक उज्जवल सिंह थे। सन [[1926]] में वे पंजाब विधानसभा के सदस्य चुने गए और [[1930]] में [[गोलमेज सम्मेलन]] में वह सिक्खों के प्रतिनिधि के रूप में सम्मिलित हुए। [[वायसराय]] ने उन्हें अपनी सलाहकार समिति का सदस्य मनोनीत किया, पर सिक्खों की मांगें ना मानी जाने पर उन्होंने उस समिति की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=97-98|url=}}</ref>
==राजनीतिक शुरुआत==
==राजनीतिक जीवन==
शिक्षा पूरी करने के बाद सरदार उज्जवल सिंह ने सिर्फ राजनीति में भाग लेना आरंभ किया। भारत से [[सिक्ख|सिक्खों]] का पक्ष प्रस्तुत करने के लिए जो प्रतिनिधिमंडल [[लंदन]] गया था, वह उसके भी सदस्य थे। 'शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी' के संस्थापक सदस्यों में से एक उज्जवल सिंह थे। सन [[1926]] में वे पंजाब विधानसभा के सदस्य चुने गए और [[1930]] में [[गोलमेज सम्मेलन]] में वह सिक्खों के प्रतिनिधि के रूप में सम्मिलित हुए। [[वायसराय]] ने उन्हें अपनी सलाहकार समिति का सदस्य मनोनीत किया, पर सिक्खों की मांगें ना मानी जाने पर उन्होंने उस समिति की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=97-98|url=}}</ref>
 
उज्जवल सिंह का [[कांग्रेस]] या स्वतंत्रता संग्राम से कोई सीधा संपर्क नहीं था, किंतु उसके बावजूद भी वह संवैधानिक तरीकों से देश की स्वतंत्रता का समर्थन करते थे। [[भारत छोड़ो आंदोलन]] के समय उन्होंने गृह संसदीय सचिव के पद से त्यागपत्र दे दिया था। [[1945]] में वे [[संयुक्त राष्ट्र संघ]] की एक समिति में [[भारत]] के प्रतिनिधि बनकर गए थे। [[1946]] में वह विधान परिषद और पंजाब विधानसभा के सदस्य भी बने।
उज्जवल सिंह का [[कांग्रेस]] या स्वतंत्रता संग्राम से कोई सीधा संपर्क नहीं था, किंतु उसके बावजूद भी वह संवैधानिक तरीकों से देश की स्वतंत्रता का समर्थन करते थे। [[भारत छोड़ो आंदोलन]] के समय उन्होंने गृह संसदीय सचिव के पद से त्यागपत्र दे दिया था। [[1945]] में वे [[संयुक्त राष्ट्र संघ]] की एक समिति में [[भारत]] के प्रतिनिधि बनकर गए थे। [[1946]] में वह विधान परिषद और पंजाब विधानसभा के सदस्य भी बने।
==वित्तमंत्री तथा राज्यपाल==
==वित्तमंत्री तथा राज्यपाल==
Line 50: Line 46:
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{राज्यपाल}}
 
[[Category:राजनीतिज्ञ]][[Category:तमिलनाडु के राज्यपाल]][[Category:राज्यपाल]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:राजनीति कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:भारतीय चरित कोश]]
[[Category:राजनीतिज्ञ]][[Category:राज्यपाल]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:राजनीति कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:भारतीय चरित कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Revision as of 10:41, 15 February 2022

उज्जवल सिंह
पूरा नाम सरदार उज्जवल सिंह
जन्म 27 दिसम्बर, 1895
जन्म भूमि ज़िला शाहपुर, पाकिस्तान
मृत्यु 15 फ़रवरी, 1983
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि राजनीतिज्ञ
पार्टी कांग्रेस
पद राज्यपाल
अन्य जानकारी उज्जवल सिंह 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ की एक समिति में भारत के प्रतिनिधि बनकर गए थे। 1946 में वह विधान परिषद और पंजाब विधानसभा के सदस्य भी बने।

उज्जवल सिंह (अंग्रेज़ी: Ujjal Singh, जन्म- 27 दिसम्बर, 1895; मृत्यु- 15 फ़रवरी, 1983) पंजाब के प्रमुख सिक्ख कार्यकर्ता थे। 'शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी' के वह संस्थापक सदस्यों में से एक थे। सरदार उज्जवल सिंह संवैधानिक तरीकों से देश की स्वतंत्रता के पक्षधर थे। देश की आज़ादी तथा विभाजन के बाद वे अपनी सारी सम्पत्ति पाकिस्तान में छोड़कर भारत आ गये थे। वे 1965 में पंजाब तथा 1966 में मद्रास (वर्तमान चेन्नई) के राज्यपाल पद पर रहे थे।

परिचय

सरदार उज्जवल सिंह का जन्म ज़िला शाहपुर (अब पाकिस्तान) में 27 दिसंबर, 1895 को हुआ था। लाहौर के कॉलेज से शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने सिर्फ राजनीति में भाग लेना आरंभ किया। भारत से सिक्खों का पक्ष प्रस्तुत करने के लिए जो प्रतिनिधिमंडल लंदन गया था, वह उसके भी सदस्य थे। 'शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी' के संस्थापक सदस्यों में से एक उज्जवल सिंह थे। सन 1926 में वे पंजाब विधानसभा के सदस्य चुने गए और 1930 में गोलमेज सम्मेलन में वह सिक्खों के प्रतिनिधि के रूप में सम्मिलित हुए। वायसराय ने उन्हें अपनी सलाहकार समिति का सदस्य मनोनीत किया, पर सिक्खों की मांगें ना मानी जाने पर उन्होंने उस समिति की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया।[1]

राजनीतिक जीवन

उज्जवल सिंह का कांग्रेस या स्वतंत्रता संग्राम से कोई सीधा संपर्क नहीं था, किंतु उसके बावजूद भी वह संवैधानिक तरीकों से देश की स्वतंत्रता का समर्थन करते थे। भारत छोड़ो आंदोलन के समय उन्होंने गृह संसदीय सचिव के पद से त्यागपत्र दे दिया था। 1945 में वे संयुक्त राष्ट्र संघ की एक समिति में भारत के प्रतिनिधि बनकर गए थे। 1946 में वह विधान परिषद और पंजाब विधानसभा के सदस्य भी बने।

वित्तमंत्री तथा राज्यपाल

देश के विभाजन के समय उज्जवल सिंह को अपनी सारी संपत्ति छोड़ कर पाकिस्तान से भारत आना पड़ा। वे पूर्वी पंजाब की राजनीति में सक्रिय भाग लेते रहे और वहां वित्तमंत्री भी बने। केवल सरकार की विभिन्न समितियों में रहने के बाद वे 1 सितम्बर, 1965 से 26 जून, 1966 तक पंजाब के और 28 जून, 1966 से 16 जून, 1967 तक मद्रास के राज्यपाल रहे। उज्जवल सिंह बहुत परिश्रमी, निष्ठावान और विश्वसनीय व्यक्ति थे और सिक्खों के साथ-साथ सर्वसाधारण में उनका सम्मान था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 97-98 |

संबंधित लेख