तिरुअनंतपुरम: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 1: Line 1:
{{सूचना बक्सा पर्यटन
{{सूचना बक्सा पर्यटन
|चित्र=Vizhinjam-Port-Site.jpg
|चित्र=Neyyar-Dam-Thiruvananthapuram.jpg  
|विवरण=तिरुअनंतपुरम, शहर, भूतपूर्व त्रिवेंद्रम, केरल राज्य की राजधानी, दक्षिणी [[भारत]] में स्थित है।
|विवरण=तिरुअनंतपुरम, शहर, भूतपूर्व त्रिवेंद्रम, केरल राज्य की राजधानी, दक्षिणी [[भारत]] में स्थित है।
|राज्य=[[केरल]] राज्य
|राज्य=[[केरल]] राज्य
Line 36: Line 36:
}}
}}


तिरुअनंतपुरम [[केरल]] की राजधानी है, पहले इसका नाम त्रिवेन्द्रम था। तिरुअनंतपुरम का शाब्दिक अर्थ है - तिरु यानी पवित्र एवं अनंत अर्थात सहस्त्रमुखी नाग तथा पुरम यानी आवास। केरल दक्षिण [[भारत]] का एक ऐसा राज्य है जहाँ प्रकृति एवं संस्कृति का सबसे अलग संगम मिलता है। इस प्रदेश को एक तरफ [[अरब सागर]] के नीले जल तो दूसरी तरफ [[पश्चिमी घाट]] की हरी-भरी पहाड़ियों ने अद्भुत नैसर्गिक सौंदर्य प्रदान किया है।  
तिरुअनंतपुरम [[केरल]] की राजधानी है, पहले इसका नाम त्रिवेन्द्रम था। तिरुअनंतपुरम का शाब्दिक अर्थ है - तिरु यानी पवित्र एवं अनंत अर्थात सहस्त्रमुखी नाग तथा पुरम यानी आवास। केरल दक्षिण [[भारत]] का एक ऐसा राज्य है जहाँ प्रकृति एवं संस्कृति का सबसे अलग संगम मिलता है। इस प्रदेश को एक तरफ [[अरब सागर]] के नीले जल तो दूसरी तरफ [[पश्चिमी घाट]] की हरी-भरी पहाड़ियों ने अद्भुत नैसर्गिक सौंदर्य प्रदान किया है। सबसे पहले इस राज्य को भारतीय मानसून प्रभावित करता है। इसलिए यहाँ की धरती काफ़ी उर्वर है। यहाँ लौंग, इलायची, काली मिर्च, काजू, केला, धान, कॉफी, चाय और रबर की अच्छी खेती होती है। केरल में नारियल एवं ताड़ के वृक्षों की भरमार है। नारियल को ‘केर’ भी कहा जाता है। कहते हैं केर वृक्षों की बहुत अधिक पैदावार के कारण ही इसका नाम केरल पड़ा।  
[[चित्र:Neyyar-Dam-Thiruvananthapuram.jpg|thumb|250px|left|नेय्यर बांध, तिरुअनंतपुरम<br />Neyyar Dam, Thiruvananthapuram]]
[[चित्र:Chirayinkeezhu-Thiruvananthapuram.jpg|thumb|250px|left|चिरयिनकीज़ू, तिरुअनंतपुरम<br />Chirayinkeezhu, Thiruvananthapuram]]
सबसे पहले इस राज्य को भारतीय मानसून प्रभावित करता है। इसलिए यहाँ की धरती काफ़ी उर्वर है। यहाँ लौंग, इलायची, काली मिर्च, काजू, केला, धान, कॉफी, चाय और रबर की अच्छी खेती होती है। केरल में नारियल एवं ताड़ के वृक्षों की भरमार है। नारियल को ‘केर’ भी कहा जाता है। कहते हैं केर वृक्षों की बहुत अधिक पैदावार के कारण ही इसका नाम केरल पड़ा।  
 
==इतिहास==
==इतिहास==
18वीं शताब्दी में त्रावनकोर के महाराजा ने जब अपनी राजधानी यहीं स्थानांतरित कर ली तब तिरुअनंतपुरम का महत्व बढ़ा। बाद में यहाँ कुछ महल और इमारतों का निर्माण हुआ। ‘केरल’ की स्थापना आजादी के बाद [[मालाबार]] एवं त्रावनकोर को मिलाकर की गई। तब तिरुअनंतपुरम को राजधानी बनाया गया। इस भव्य शहर में आज भी नूतन एवं पुरातन का विशिष्ट मेल दिखाई पड़ता है। यह वैसे तो काफ़ी बड़ा शहर है, किंतु पर्यटकों की आने-जाने के यहाँ केवल दो केंद्र हैं।  
18वीं शताब्दी में त्रावनकोर के महाराजा ने जब अपनी राजधानी यहीं स्थानांतरित कर ली तब तिरुअनंतपुरम का महत्व बढ़ा। बाद में यहाँ कुछ महल और इमारतों का निर्माण हुआ। ‘केरल’ की स्थापना आजादी के बाद [[मालाबार]] एवं त्रावनकोर को मिलाकर की गई। तब तिरुअनंतपुरम को राजधानी बनाया गया। इस भव्य शहर में आज भी नूतन एवं पुरातन का विशिष्ट मेल दिखाई पड़ता है। यह वैसे तो काफ़ी बड़ा शहर है, किंतु पर्यटकों की आने-जाने के यहाँ केवल दो केंद्र हैं।  
*पहला केंद्र रेलवे स्टेशन के आसपास का क्षेत्र है, जहाँ राज्य का बस स्टैंड, अनेक होटल तथा पर्यटक सूचना केंद्र हैं।  
*पहला केंद्र रेलवे स्टेशन के आसपास का क्षेत्र है, जहाँ राज्य का बस स्टैंड, अनेक होटल तथा पर्यटक सूचना केंद्र हैं।  
*दूसरा महात्मा गांधी मार्ग को कहा जा सकता है जिस पर कई दर्शनीय स्थल हैं।
*दूसरा महात्मा गांधी मार्ग को कहा जा सकता है जिस पर कई दर्शनीय स्थल हैं।
[[चित्र:Chirayinkeezhu-Thiruvananthapuram.jpg|thumb|250px|left|चिरयिनकीज़ू, तिरुअनंतपुरम<br />Chirayinkeezhu, Thiruvananthapuram]]
 
==व्यापार और उद्योग==
==व्यापार और उद्योग==
तिरुअनंतपुरम के उद्योगों में खनिज प्रसंस्करण, वस्त्र एवं हस्तकला से जुड़े उद्योग और चीनी की मिलें शामिल हैं।
तिरुअनंतपुरम के उद्योगों में खनिज प्रसंस्करण, वस्त्र एवं हस्तकला से जुड़े उद्योग और चीनी की मिलें शामिल हैं।
Line 54: Line 52:


तिरुअनंतपुरम में [[केरल विश्वविद्यालय]] (1937) है और इससे संबद्ध महाविद्यालय और तकनीकी विद्यालय हैं।
तिरुअनंतपुरम में [[केरल विश्वविद्यालय]] (1937) है और इससे संबद्ध महाविद्यालय और तकनीकी विद्यालय हैं।
 
[[चित्र:Padmanabhaswami-Temple-Thiruvananthapuram.jpg|thumb|250px|पद्मनाभ स्वामी मंदिर, तिरुअनंतपुरम<br />Padmanabhaswami Temple, Thiruvananthapuram]]
== जनसंख्या==
== जनसंख्या==
2001 की गणना के अनुसार तिरुअनंतपुरम क्षेत्र की जनसंख्या 7,44,739 है। तिरुअनंतपुरम ज़िले की कुल जनसंख्या 32,34,707 है।
2001 की गणना के अनुसार तिरुअनंतपुरम क्षेत्र की जनसंख्या 7,44,739 है। तिरुअनंतपुरम ज़िले की कुल जनसंख्या 32,34,707 है।


==पर्यटन स्थल==
==पर्यटन स्थल==
[[चित्र:Padmanabhaswami-Temple-Thiruvananthapuram.jpg|thumb|250px|पद्मनाभ स्वामी मंदिर, तिरुअनंतपुरम<br />Padmanabhaswami Temple, Thiruvananthapuram]]
====<u>पद्मनाभ स्वामी मंदिर</u>====
'''पद्मनाभ स्वामी मंदिर'''
 
तिरुअनंतपुरम का पद्मनाभ स्वामी मंदिर पर्यटकों के लिए आकर्षण का सबसे प्रमुख केंद्र है। यहाँ की मान्यता है कि जहाँ भगवान [[विष्णु]] की प्रतिमा प्राप्त हुई थी यह मंदिर उसी स्थान पर स्थित है। भगवान विष्णु को देश में समर्पित 108 दिव्य देशम मंदिर हैं। यह मंदिर उनमें से एक है। सन 1733 ई. में  इस प्राचीन मंदिर का पुनर्निर्माण त्रावनकोर के महाराजा [[मार्तड वर्मा]] ने करवाया था। इस भव्य मंदिर का सप्त सोपान स्वरूप अपने शिल्प सौंदर्य से दूर से ही प्रभावित करता है। इस मंदिर का वास्तुशिल्प द्रविड़ एवं केरल शैली का मिला-जुला रूप है। यह मंदिर गोपुरम द्रविड़ शैली में बना हुआ है। यह गोपुरम 30 मीटर ऊँचा है, और यह गोपुरम बहुसंख्यक शिल्पों से सुसज्जित है। इस मंदिर के सामने एक बहुत बड़ा सरोवर है, जिसे 'पद्मतीर्थ कुलम कहते हैं। इसके आसपास खपरैल (लाल टाइल्स) की छत के सुंदर घर हैं। ऐसे पुराने घर यहाँ कई जगह देखने को मिलते हैं।
तिरुअनंतपुरम का पद्मनाभ स्वामी मंदिर पर्यटकों के लिए आकर्षण का सबसे प्रमुख केंद्र है। यहाँ की मान्यता है कि जहाँ भगवान [[विष्णु]] की प्रतिमा प्राप्त हुई थी यह मंदिर उसी स्थान पर स्थित है। भगवान विष्णु को देश में समर्पित 108 दिव्य देशम मंदिर हैं। यह मंदिर उनमें से एक है। सन 1733 ई. में  इस प्राचीन मंदिर का पुनर्निर्माण त्रावनकोर के महाराजा [[मार्तड वर्मा]] ने करवाया था। इस भव्य मंदिर का सप्त सोपान स्वरूप अपने शिल्प सौंदर्य से दूर से ही प्रभावित करता है। इस मंदिर का वास्तुशिल्प द्रविड़ एवं केरल शैली का मिला-जुला रूप है। यह मंदिर गोपुरम द्रविड़ शैली में बना हुआ है। यह गोपुरम 30 मीटर ऊँचा है, और यह गोपुरम बहुसंख्यक शिल्पों से सुसज्जित है। इस मंदिर के सामने एक बहुत बड़ा सरोवर है, जिसे 'पद्मतीर्थ कुलम कहते हैं। इसके आसपास खपरैल (लाल टाइल्स) की छत के सुंदर घर हैं। ऐसे पुराने घर यहाँ कई जगह देखने को मिलते हैं।
[[चित्र:Ponmudi-Hills-Thiruvananthapuram.jpg|thumb|250px|[[पोनमुदी पर्वत]], तिरुअनंतपुरम<br /> Ponmudi Hills, Tiruvananthapuram|left]]
[[चित्र:Ponmudi-Hills-Thiruvananthapuram.jpg|thumb|250px|[[पोनमुदी पर्वत]], तिरुअनंतपुरम<br /> Ponmudi Hills, Tiruvananthapuram|left]]
'''गणवेष'''
====<u>गणवेष</u>====
 
यहाँ दर्शन के लिए विशेष गणवेष है। मंदिर में प्रवेश पुरुषों को धोती तथा स्त्रियों को साड़ी पहन कर ही करना होता है। ये गणवेष यहाँ किराए पर मिलते हैं। गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल प्रतिमा है। यहाँ भगवान अनंतशैया अर्थात [[सहस्त्रमुखी शेषनाग]] पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। तिरुअनंतपुरम का नाम भगवान के अनंत नामक नाग के आधार पर ही पड़ा है।  
यहाँ दर्शन के लिए विशेष गणवेष है। मंदिर में प्रवेश पुरुषों को धोती तथा स्त्रियों को साड़ी पहन कर ही करना होता है। ये गणवेष यहाँ किराए पर मिलते हैं। गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल प्रतिमा है। यहाँ भगवान अनंतशैया अर्थात [[सहस्त्रमुखी शेषनाग]] पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। तिरुअनंतपुरम का नाम भगवान के अनंत नामक नाग के आधार पर ही पड़ा है।  


Line 75: Line 70:
शिखर पर फहराते ध्वज पर गर्भगृह में विष्णु के वाहन [[गरुड़]] की आकृति बनी है। इस मंदिर में एक 'स्वर्णस्तंभ' भी है। पौराणिक घटनाओं और चरित्रों के मोहक चित्रण मंदिर की दीवारों पर देखने को मिलते है, जो मंदिर को अलग ही भव्यता प्रदान करते है। मंदिर के चारों ओर आयताकार रूप में एक गलियारा है। गलियारे में 324 स्तंभ हैं जिन पर सुंदर नक्काशी की गई है। ग्रेनाइट से बने मंदिर में नक्काशी के अनेक सुंदर उदाहरण देखने को मिलते हैं।
शिखर पर फहराते ध्वज पर गर्भगृह में विष्णु के वाहन [[गरुड़]] की आकृति बनी है। इस मंदिर में एक 'स्वर्णस्तंभ' भी है। पौराणिक घटनाओं और चरित्रों के मोहक चित्रण मंदिर की दीवारों पर देखने को मिलते है, जो मंदिर को अलग ही भव्यता प्रदान करते है। मंदिर के चारों ओर आयताकार रूप में एक गलियारा है। गलियारे में 324 स्तंभ हैं जिन पर सुंदर नक्काशी की गई है। ग्रेनाइट से बने मंदिर में नक्काशी के अनेक सुंदर उदाहरण देखने को मिलते हैं।


'''त्रावनकोर के महाराजा का महल'''
====<u>त्रावनकोर के महाराजा का महल</u>====


त्रावनकोर के महाराजा का महल मंदिर के निकट ही स्थित है। इस महल का निर्माण महाराजा 'स्वाति तिरुनल बलराम वर्मा' द्वारा कराया गया था। वह एक कवि, संगीतज्ञ एवं समाज सुधारक थे। त्रावनकोर की पारंपरिक निर्माण शैली का यह महल एक सुंदर नमूना है।
त्रावनकोर के महाराजा का महल मंदिर के निकट ही स्थित है। इस महल का निर्माण महाराजा 'स्वाति तिरुनल बलराम वर्मा' द्वारा कराया गया था। वह एक कवि, संगीतज्ञ एवं समाज सुधारक थे। त्रावनकोर की पारंपरिक निर्माण शैली का यह महल एक सुंदर नमूना है।
[[चित्र:Vellayani-Lake-Thiruvananthapuram.jpg|thumb|250px|left|वेललाइनी झील, तिरुअनंतपुरम<br />Vellayani Lake, Thiruvananthapuram]]
[[चित्र:Vellayani-Lake-Thiruvananthapuram.jpg|thumb|250px|left|वेललाइनी झील, तिरुअनंतपुरम<br />Vellayani Lake, Thiruvananthapuram]]
'''वेली टूरिस्ट विलेज'''
====<u>वेली टूरिस्ट विलेज</u>====


यहाँ का बेली टूरिस्ट विलेज एक आधुनिक पर्यटन आकर्षण कहा जा सकता है। यहाँ वेली लगून एवं उसके साथ ही विकसित मनमोहक पार्क एक सुंदर पिकनिक स्पॉट है। यहाँ के सुंदर लैंडस्केप पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं। वेली झील में वाटर स्पो‌र्ट्स एवं बोटिंग का आनंद भी लिया जा सकता है।
यहाँ का बेली टूरिस्ट विलेज एक आधुनिक पर्यटन आकर्षण कहा जा सकता है। यहाँ वेली लगून एवं उसके साथ ही विकसित मनमोहक पार्क एक सुंदर पिकनिक स्पॉट है। यहाँ के सुंदर लैंडस्केप पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं। वेली झील में वाटर स्पो‌र्ट्स एवं बोटिंग का आनंद भी लिया जा सकता है।


'''वेली झील'''
====<u>वेली झील</u>====
[[चित्र:Chandrasekharan-Nair-Football-Stadium.jpg|220px|[[चंद्रशेखर नैयर फुटबॉल स्टेडियम]], तिरुअनंतपुरम<br /> Chandrasekharan Nair Football Stadium, Tiruvananthapuram|thumb]]
[[चित्र:Chandrasekharan-Nair-Football-Stadium.jpg|220px|[[चंद्रशेखर नैयर फुटबॉल स्टेडियम]], तिरुअनंतपुरम<br /> Chandrasekharan Nair Football Stadium, Tiruvananthapuram|thumb]]
हरे-भरे वृक्षों से घिरी झील की सुंदरता हर दिशा से अलग नज़र आती है। यहाँ सागरतट के पास वेली झील और [[अरब सागर]] का संगम भी दिखाई देता है। झील के पास विशाल उद्यान में कुछ झूले भी हैं। यहाँ बनी कुछ आधुनिक मूर्तियाँ भी पर्यटकों को अच्छी लगती हैं। झील पर एक 'हैंगिंग ब्रिज' बना हुआ है, जिसे पार करते हुए एक अलग ही आनंद आता है। कुछ आगे निकल जाएँ तो सागरतट नजर आता है। लेकिन पर्यटक सागरतट की ओर, वेली टूरिस्ट विलेज के आकर्षण को छोड़ बहुत कम जाते हैं।  
हरे-भरे वृक्षों से घिरी झील की सुंदरता हर दिशा से अलग नज़र आती है। यहाँ सागरतट के पास वेली झील और [[अरब सागर]] का संगम भी दिखाई देता है। झील के पास विशाल उद्यान में कुछ झूले भी हैं। यहाँ बनी कुछ आधुनिक मूर्तियाँ भी पर्यटकों को अच्छी लगती हैं। झील पर एक 'हैंगिंग ब्रिज' बना हुआ है, जिसे पार करते हुए एक अलग ही आनंद आता है। कुछ आगे निकल जाएँ तो सागरतट नजर आता है। लेकिन पर्यटक सागरतट की ओर, वेली टूरिस्ट विलेज के आकर्षण को छोड़ बहुत कम जाते हैं।  


'''शंखमुघम सागरतट'''
====<u>शंखमुघम सागरतट</u>====


शंखमुघम सागरतट शहर से 8 किमी दूर एयरपोर्ट के निकट है। जहाँ शाम के समय ही रौनक रहती है। यहाँ से पर्यटकों को सूर्यास्त का मनोहारी दृश्य देखने को मिलता है। तट के सामने एक छोटे से पार्क में जलपरी की मनभावन मूर्ति है। पत्थर की 35 मीटर लंबी इस मूर्ति में लेटी हुई जलपरी मूर्तिशिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण कही जा सकती है। मूर्तिकार ने मत्स्य कन्या के शरीर के उतार-चढ़ावों को इस तरह तराशा है कि वह सजीव लगती है।
शंखमुघम सागरतट शहर से 8 किमी दूर एयरपोर्ट के निकट है। जहाँ शाम के समय ही रौनक रहती है। यहाँ से पर्यटकों को सूर्यास्त का मनोहारी दृश्य देखने को मिलता है। तट के सामने एक छोटे से पार्क में जलपरी की मनभावन मूर्ति है। पत्थर की 35 मीटर लंबी इस मूर्ति में लेटी हुई जलपरी मूर्तिशिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण कही जा सकती है। मूर्तिकार ने मत्स्य कन्या के शरीर के उतार-चढ़ावों को इस तरह तराशा है कि वह सजीव लगती है।
[[चित्र:Lighthouse-Beach-Kovalam.jpg|thumb|250px|left|लाइट हाउस, [[कोवलम]] तट<br />Lighthouse, Kovalam Beach]]  
[[चित्र:Lighthouse-Beach-Kovalam.jpg|thumb|250px|left|लाइट हाउस, [[कोवलम]] तट<br />Lighthouse, Kovalam Beach]]  
'''कोवलम का समुद्र तट'''
====<u>कोवलम का समुद्र तट</u>====


कोवलम का समुद्र तट, तिरुअनंतपुरम का सबसे महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। तिरुअनंतपुरम की यात्रा कोवलम बीच देखे बिना अधूरी है। यह शहर से 16 कि.मी. दक्षिण की ओर स्थित है। कोवलम अपने आप में संपूर्ण पर्यटन स्थल है। यह [[भारत]] के उन गिने-चुने सागर तटों में से एक है जो विश्व पर्यटन मानचित्र पर पहचान रखते हैं। कोवलम समुद्र तट की सुंदरता किसी को बांध लेने में सक्षम है। छोटी सी खाड़ी के समान रेतीला तट, बलखाती समुद्री लहरें, कतार से लगी छतरियों के नीचे विश्राम करते सैलानी, तट के छोर पर नजर आता लाइट हाउस, पीछे की ओर लहराते ताड़ के वृक्षों के झुरमुट, छोटे-छोटे सफेद बादलों से सजा नीला आसमान-सब कुछ एक मुक़म्मल तस्वीर जैसा लगता है। समुद्री हवाओं के झोंके और लहरों का जबरदस्त शोर कुछ पल में ही एहसास करा देता है कि हम कोई तस्वीर नहीं बल्कि वास्तविक दृश्य देख रहे हैं। वास्तव में कोवलम बीच संसार के सुंदरतम समुद्र तटों में से एक है।  
कोवलम का समुद्र तट, तिरुअनंतपुरम का सबसे महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। तिरुअनंतपुरम की यात्रा कोवलम बीच देखे बिना अधूरी है। यह शहर से 16 कि.मी. दक्षिण की ओर स्थित है। कोवलम अपने आप में संपूर्ण पर्यटन स्थल है। यह [[भारत]] के उन गिने-चुने सागर तटों में से एक है जो विश्व पर्यटन मानचित्र पर पहचान रखते हैं। कोवलम समुद्र तट की सुंदरता किसी को बांध लेने में सक्षम है। छोटी सी खाड़ी के समान रेतीला तट, बलखाती समुद्री लहरें, कतार से लगी छतरियों के नीचे विश्राम करते सैलानी, तट के छोर पर नजर आता लाइट हाउस, पीछे की ओर लहराते ताड़ के वृक्षों के झुरमुट, छोटे-छोटे सफेद बादलों से सजा नीला आसमान-सब कुछ एक मुक़म्मल तस्वीर जैसा लगता है। समुद्री हवाओं के झोंके और लहरों का जबरदस्त शोर कुछ पल में ही एहसास करा देता है कि हम कोई तस्वीर नहीं बल्कि वास्तविक दृश्य देख रहे हैं। वास्तव में कोवलम बीच संसार के सुंदरतम समुद्र तटों में से एक है।  
Line 99: Line 94:
कोवलम तट पर सुबह के समय मछुआरों की गतिविधियाँ भी देखने को मिलती हैं। पहले यह मछुआरों का छोटा सा गाँव होता था। पर्यटन आकर्षण के रूप में इसकी पहचान 1930 में हुई, 1930 के दशक में यहाँ हिप्पियों का हुजूम आने लगा, तब इसे अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली और यहाँ कई छोटे-बड़े होटलों का निर्माण हुआ था। आज यहाँ छोटे होटलों से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के रेसॉर्ट और रेस्टोरेंट भी हैं। यहाँ कई देशों के व्यंजन एवं सी फूड आसानी से मिलते हैं। यहाँ सूर्य की किरणों के बदलते कोणों के साथ ही पानी रंग बदलता सा लगता है। इसे देखना भी एक अलग अनुभव है। शाम के समय तो एक अलग ही दृश्य ऩजर आता है, जब सनसेट पॉइंट पर खड़े लोग समुद्र में समाते सूर्य को देखते हैं।
कोवलम तट पर सुबह के समय मछुआरों की गतिविधियाँ भी देखने को मिलती हैं। पहले यह मछुआरों का छोटा सा गाँव होता था। पर्यटन आकर्षण के रूप में इसकी पहचान 1930 में हुई, 1930 के दशक में यहाँ हिप्पियों का हुजूम आने लगा, तब इसे अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली और यहाँ कई छोटे-बड़े होटलों का निर्माण हुआ था। आज यहाँ छोटे होटलों से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के रेसॉर्ट और रेस्टोरेंट भी हैं। यहाँ कई देशों के व्यंजन एवं सी फूड आसानी से मिलते हैं। यहाँ सूर्य की किरणों के बदलते कोणों के साथ ही पानी रंग बदलता सा लगता है। इसे देखना भी एक अलग अनुभव है। शाम के समय तो एक अलग ही दृश्य ऩजर आता है, जब सनसेट पॉइंट पर खड़े लोग समुद्र में समाते सूर्य को देखते हैं।


'''श्रीचित्रा कला दीर्घा'''
====<u>श्रीचित्रा कला दीर्घा</u>====


श्रीचित्रा कला दीर्घा नेपियर संग्रहालय के निकट ही स्थित है। 1935 में स्थापित इस दीर्घा का भवन भी उत्कृष्ट वास्तुशिल्प वाला है। यह कला दीर्घा कला प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। इसके संग्रह में [[राजा रवि वर्मा]], [[निकोलस रोरिक]], [[स्वेतलोबा]], [[रवींद्रनाथ टैगोर]], [[जैमिनी राय]] जैसे महान कलाकारों के चित्र देखने को मिलते हैं। इस दीर्घा में राजपूत एवं मुग़ल शैली के लघु चित्र तथा [[तंजौर शैली]] के चित्र भी प्रदर्शित हैं। ऐसे अमूल्य चित्र संग्रह के साथ ही इस दीर्घा में [[जापान]], [[चीन]], [[तिब्बत]] एवं [[इंडोनेशिया]] आदि देशों के चित्र भी देखने लायक हैं।
श्रीचित्रा कला दीर्घा नेपियर संग्रहालय के निकट ही स्थित है। 1935 में स्थापित इस दीर्घा का भवन भी उत्कृष्ट वास्तुशिल्प वाला है। यह कला दीर्घा कला प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। इसके संग्रह में [[राजा रवि वर्मा]], [[निकोलस रोरिक]], [[स्वेतलोबा]], [[रवींद्रनाथ टैगोर]], [[जैमिनी राय]] जैसे महान कलाकारों के चित्र देखने को मिलते हैं। इस दीर्घा में राजपूत एवं मुग़ल शैली के लघु चित्र तथा [[तंजौर शैली]] के चित्र भी प्रदर्शित हैं। ऐसे अमूल्य चित्र संग्रह के साथ ही इस दीर्घा में [[जापान]], [[चीन]], [[तिब्बत]] एवं [[इंडोनेशिया]] आदि देशों के चित्र भी देखने लायक हैं।


==संग्रहालयों का गढ़==
==संग्रहालयों का गढ़==
[[चित्र:Napier-Museum-Thiruvananthapuram.jpg|250px|[[नेपियर संग्रहालय]], तिरुअनंतपुरम<br /> Napier Museum, Thiruvananthapuram|thumb]]
महात्मा गांधी मार्ग मंदिर क्षेत्र के बाहर है। संग्रहालय एवं चिड़ियाघर इसके उत्तरी छोर के निकट है। यहाँ पहुँचकर लगता है जैसे शहर के मध्य किसी छोटे जंगल में आ गए हैं।
महात्मा गांधी मार्ग मंदिर क्षेत्र के बाहर है। संग्रहालय एवं चिड़ियाघर इसके उत्तरी छोर के निकट है। यहाँ पहुँचकर लगता है जैसे शहर के मध्य किसी छोटे जंगल में आ गए हैं।
 
[[चित्र:Napier-Museum-Thiruvananthapuram.jpg|thumb|left|250px|[[नेपियर संग्रहालय]], तिरुअनंतपुरम<br /> Napier Museum, Thiruvananthapuram]]
'''कुतिरामलिका पैलेस संग्रहालय'''
====<u>कुतिरामलिका पैलेस संग्रहालय</u>====


महल के एक भाग में कुतिरामलिका पैलेस संग्रहालय देखने लायक है। इस संग्रहालय में सुंदर चित्र, काष्ठ नक्काशी के नमूने, राजपरिवार से संबंधित अनेक मूल्यवान वस्तुएँ, काष्ठ प्रतिमाएं, सिक्के आदि प्रदर्शित हैं। लकड़ी से बने महल के दो मंजिला भवन में कई झरोखे एवं खिड़कियां हैं। यहाँ समय-समय पर पर्यटकों के लिए विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
महल के एक भाग में कुतिरामलिका पैलेस संग्रहालय देखने लायक है। इस संग्रहालय में सुंदर चित्र, काष्ठ नक्काशी के नमूने, राजपरिवार से संबंधित अनेक मूल्यवान वस्तुएँ, काष्ठ प्रतिमाएं, सिक्के आदि प्रदर्शित हैं। लकड़ी से बने महल के दो मंजिला भवन में कई झरोखे एवं खिड़कियां हैं। यहाँ समय-समय पर पर्यटकों के लिए विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।


'''नेपियर संग्रहालय'''
====<u>नेपियर संग्रहालय</u>====


इस संग्रहालय का भवन भारतीय सीरियन वास्तुशैली में बना है जो 1853 में बनाया गया था। संग्रहालय में  शामिल कई चीजें दर्शकों को प्रभावित करती हैं। ऐतिहासिक महत्व की कई वस्तुएँ मूर्तियाँ, आभूषण, हाथी दाँत की कलात्मक वस्तुएँ तथा 250 वर्ष पुरानी नक्काशी की कला देखते ही बनती है। नेपियर संग्रहालय के निकट ही श्रीचित्रा कला दीर्घा है।
इस संग्रहालय का भवन भारतीय सीरियन वास्तुशैली में बना है जो 1853 में बनाया गया था। संग्रहालय में  शामिल कई चीजें दर्शकों को प्रभावित करती हैं। ऐतिहासिक महत्व की कई वस्तुएँ मूर्तियाँ, आभूषण, हाथी दाँत की कलात्मक वस्तुएँ तथा 250 वर्ष पुरानी नक्काशी की कला देखते ही बनती है। नेपियर संग्रहालय के निकट ही श्रीचित्रा कला दीर्घा है।


'''प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय'''
====<u>प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय</u>====


प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय चित्रा कला दीर्घा के निकट ही है जहाँ राज्य के प्राकृतिक इतिहास से जुड़ी वस्तुएँ देखी जा सकती हैं। यहाँ जीव-जंतुओं, पक्षी एवं समुद्री प्राणियों का इतिहास भी दर्शाया गया है। हरे-भरे विशाल परिसर में वनस्पति उद्यान एवं चिड़ियाघर भी है।
प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय चित्रा कला दीर्घा के निकट ही है जहाँ राज्य के प्राकृतिक इतिहास से जुड़ी वस्तुएँ देखी जा सकती हैं। यहाँ जीव-जंतुओं, पक्षी एवं समुद्री प्राणियों का इतिहास भी दर्शाया गया है। हरे-भरे विशाल परिसर में वनस्पति उद्यान एवं चिड़ियाघर भी है।
Line 132: Line 126:
*पद्मानाभपुरम तथा  
*पद्मानाभपुरम तथा  
*मिनी हिल स्टेशन पोनमुड़ी है।
*मिनी हिल स्टेशन पोनमुड़ी है।
 
[[चित्र:Peppara-Dam-Thiruvananthapuram.jpg|thumb|250px|left|पीप्पारा बांध, तिरुअनंतपुरम<br />Peppara Dam, Thiruvananthapuram]]
==तिरुअनंतपुरम की खूबियाँ==
==तिरुअनंतपुरम की खूबियाँ==
[[चित्र:Peppara-Dam-Thiruvananthapuram.jpg|thumb|250px|पीप्पारा बांध, तिरुअनंतपुरम<br />Peppara Dam, Thiruvananthapuram]]
तिरुअनंतपुरम सात छोटी-छोटी पहाड़ियों पर बसा है। ये पहाडि़याँ कई सदी पूर्व हरे-भरे वनों से आच्छादित थीं, जहाँ कुछ छोटे-छोटे गाँव भी थे। यहाँ के निवासियों को एक बार सबसे ऊँची पहाड़ी पर भगवान [[विष्णु]] की दिव्य प्रतिमा मिली थीं। विष्णु भगवान की प्रतिमा उसी जगह पर मंदिर बनाकर स्थापित कर दिया था। यहाँ की आबादी मंदिर की स्थापना के बाद बढ़ती गई और धीरे-धीरे इन पहाडि़यों पर एक शहर बस गया। उस समय यह [[त्रावनकोर]] राज्य का एक हिस्सा था जिसकी राजधानी [[पद्मनाभपुरम]] थी।
तिरुअनंतपुरम सात छोटी-छोटी पहाड़ियों पर बसा है। ये पहाडि़याँ कई सदी पूर्व हरे-भरे वनों से आच्छादित थीं, जहाँ कुछ छोटे-छोटे गाँव भी थे। यहाँ के निवासियों को एक बार सबसे ऊँची पहाड़ी पर भगवान [[विष्णु]] की दिव्य प्रतिमा मिली थीं। विष्णु भगवान की प्रतिमा उसी जगह पर मंदिर बनाकर स्थापित कर दिया था। यहाँ की आबादी मंदिर की स्थापना के बाद बढ़ती गई और धीरे-धीरे इन पहाडि़यों पर एक शहर बस गया। उस समय यह [[त्रावनकोर]] राज्य का एक हिस्सा था जिसकी राजधानी [[पद्मनाभपुरम]] थी।



Revision as of 11:44, 1 October 2010

तिरुअनंतपुरम
विवरण तिरुअनंतपुरम, शहर, भूतपूर्व त्रिवेंद्रम, केरल राज्य की राजधानी, दक्षिणी भारत में स्थित है।
राज्य केरल राज्य
ज़िला तिरुअनंतपुरम ज़िला
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 08° 26′25' - पूर्व- 76° 55′25'
मार्ग स्थिति तिरुअनंतपुरम कोच्चि से 218 किमी. दक्षिण में स्थित है।
कब जाएँ मानसून के बाद
हवाई अड्डा तिरुअनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन तिरुअनंतपुरम सेंट्रल रेलवे स्टेशन
बस अड्डा सेंट्रल बस अड्डा
क्या देखें पद्मनाभ स्वामी मंदिर, त्रावनकोर के महाराजा का महल, वेली झील, कोवलम का समुद्रतट, चित्रा कला दीर्घा, संग्रहालय आदि
कहाँ ठहरें तिरुअनंतपुरम प्रवास
क्या ख़रीदें पारंपरिक हस्तशिल्प जैसे ताँबे का सामान, बाँस का फर्नीचर, कथककली के मुखौटे और पारंपरिक परिधान आदि
एस.टी.डी. कोड 0471
चित्र:Map-icon.gif गूगल का मानचित्र
अन्य जानकारी केरल की स्थापना आजादी के बाद मालाबार एवं त्रावनकोर को मिलाकर की गई तब तिरुअनंतपुरम को राजधानी बनाया गया।

तिरुअनंतपुरम केरल की राजधानी है, पहले इसका नाम त्रिवेन्द्रम था। तिरुअनंतपुरम का शाब्दिक अर्थ है - तिरु यानी पवित्र एवं अनंत अर्थात सहस्त्रमुखी नाग तथा पुरम यानी आवास। केरल दक्षिण भारत का एक ऐसा राज्य है जहाँ प्रकृति एवं संस्कृति का सबसे अलग संगम मिलता है। इस प्रदेश को एक तरफ अरब सागर के नीले जल तो दूसरी तरफ पश्चिमी घाट की हरी-भरी पहाड़ियों ने अद्भुत नैसर्गिक सौंदर्य प्रदान किया है। सबसे पहले इस राज्य को भारतीय मानसून प्रभावित करता है। इसलिए यहाँ की धरती काफ़ी उर्वर है। यहाँ लौंग, इलायची, काली मिर्च, काजू, केला, धान, कॉफी, चाय और रबर की अच्छी खेती होती है। केरल में नारियल एवं ताड़ के वृक्षों की भरमार है। नारियल को ‘केर’ भी कहा जाता है। कहते हैं केर वृक्षों की बहुत अधिक पैदावार के कारण ही इसका नाम केरल पड़ा। thumb|250px|left|चिरयिनकीज़ू, तिरुअनंतपुरम
Chirayinkeezhu, Thiruvananthapuram

इतिहास

18वीं शताब्दी में त्रावनकोर के महाराजा ने जब अपनी राजधानी यहीं स्थानांतरित कर ली तब तिरुअनंतपुरम का महत्व बढ़ा। बाद में यहाँ कुछ महल और इमारतों का निर्माण हुआ। ‘केरल’ की स्थापना आजादी के बाद मालाबार एवं त्रावनकोर को मिलाकर की गई। तब तिरुअनंतपुरम को राजधानी बनाया गया। इस भव्य शहर में आज भी नूतन एवं पुरातन का विशिष्ट मेल दिखाई पड़ता है। यह वैसे तो काफ़ी बड़ा शहर है, किंतु पर्यटकों की आने-जाने के यहाँ केवल दो केंद्र हैं।

  • पहला केंद्र रेलवे स्टेशन के आसपास का क्षेत्र है, जहाँ राज्य का बस स्टैंड, अनेक होटल तथा पर्यटक सूचना केंद्र हैं।
  • दूसरा महात्मा गांधी मार्ग को कहा जा सकता है जिस पर कई दर्शनीय स्थल हैं।

व्यापार और उद्योग

तिरुअनंतपुरम के उद्योगों में खनिज प्रसंस्करण, वस्त्र एवं हस्तकला से जुड़े उद्योग और चीनी की मिलें शामिल हैं।

कृषि और खनिज

चावल और नारियल की खेती एवं मछली पकड़ना आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण है।

शिक्षण संस्थान

तिरुअनंतपुरम में केरल विश्वविद्यालय (1937) है और इससे संबद्ध महाविद्यालय और तकनीकी विद्यालय हैं। thumb|250px|पद्मनाभ स्वामी मंदिर, तिरुअनंतपुरम
Padmanabhaswami Temple, Thiruvananthapuram

जनसंख्या

2001 की गणना के अनुसार तिरुअनंतपुरम क्षेत्र की जनसंख्या 7,44,739 है। तिरुअनंतपुरम ज़िले की कुल जनसंख्या 32,34,707 है।

पर्यटन स्थल

पद्मनाभ स्वामी मंदिर

तिरुअनंतपुरम का पद्मनाभ स्वामी मंदिर पर्यटकों के लिए आकर्षण का सबसे प्रमुख केंद्र है। यहाँ की मान्यता है कि जहाँ भगवान विष्णु की प्रतिमा प्राप्त हुई थी यह मंदिर उसी स्थान पर स्थित है। भगवान विष्णु को देश में समर्पित 108 दिव्य देशम मंदिर हैं। यह मंदिर उनमें से एक है। सन 1733 ई. में इस प्राचीन मंदिर का पुनर्निर्माण त्रावनकोर के महाराजा मार्तड वर्मा ने करवाया था। इस भव्य मंदिर का सप्त सोपान स्वरूप अपने शिल्प सौंदर्य से दूर से ही प्रभावित करता है। इस मंदिर का वास्तुशिल्प द्रविड़ एवं केरल शैली का मिला-जुला रूप है। यह मंदिर गोपुरम द्रविड़ शैली में बना हुआ है। यह गोपुरम 30 मीटर ऊँचा है, और यह गोपुरम बहुसंख्यक शिल्पों से सुसज्जित है। इस मंदिर के सामने एक बहुत बड़ा सरोवर है, जिसे 'पद्मतीर्थ कुलम कहते हैं। इसके आसपास खपरैल (लाल टाइल्स) की छत के सुंदर घर हैं। ऐसे पुराने घर यहाँ कई जगह देखने को मिलते हैं। [[चित्र:Ponmudi-Hills-Thiruvananthapuram.jpg|thumb|250px|पोनमुदी पर्वत, तिरुअनंतपुरम
Ponmudi Hills, Tiruvananthapuram|left]]

गणवेष

यहाँ दर्शन के लिए विशेष गणवेष है। मंदिर में प्रवेश पुरुषों को धोती तथा स्त्रियों को साड़ी पहन कर ही करना होता है। ये गणवेष यहाँ किराए पर मिलते हैं। गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल प्रतिमा है। यहाँ भगवान अनंतशैया अर्थात सहस्त्रमुखी शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। तिरुअनंतपुरम का नाम भगवान के अनंत नामक नाग के आधार पर ही पड़ा है।

भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को पद्मानाभ एवं अनंतशयनम भी कहा जाता है। यहाँ दर्शन तीन हिस्सों में होते हैं।

  1. पहले द्वार से भगवान विष्णु का मुख एवं सर्प की आकृति के दर्शन होते हैं।
  2. दूसरे द्वार से भगवान का मध्यभाग तथा कमल में विराजमान ब्रह्मा के दर्शन होते हैं।
  3. तीसरे भाग में भगवान के श्री चरणों के दर्शन होते हैं।

thumb|250px|कॉडियर पैलेस, तिरुअनंतपुरम
Kowdiar Palace, Tiruvananthapuram
शिखर पर फहराते ध्वज पर गर्भगृह में विष्णु के वाहन गरुड़ की आकृति बनी है। इस मंदिर में एक 'स्वर्णस्तंभ' भी है। पौराणिक घटनाओं और चरित्रों के मोहक चित्रण मंदिर की दीवारों पर देखने को मिलते है, जो मंदिर को अलग ही भव्यता प्रदान करते है। मंदिर के चारों ओर आयताकार रूप में एक गलियारा है। गलियारे में 324 स्तंभ हैं जिन पर सुंदर नक्काशी की गई है। ग्रेनाइट से बने मंदिर में नक्काशी के अनेक सुंदर उदाहरण देखने को मिलते हैं।

त्रावनकोर के महाराजा का महल

त्रावनकोर के महाराजा का महल मंदिर के निकट ही स्थित है। इस महल का निर्माण महाराजा 'स्वाति तिरुनल बलराम वर्मा' द्वारा कराया गया था। वह एक कवि, संगीतज्ञ एवं समाज सुधारक थे। त्रावनकोर की पारंपरिक निर्माण शैली का यह महल एक सुंदर नमूना है। thumb|250px|left|वेललाइनी झील, तिरुअनंतपुरम
Vellayani Lake, Thiruvananthapuram

वेली टूरिस्ट विलेज

यहाँ का बेली टूरिस्ट विलेज एक आधुनिक पर्यटन आकर्षण कहा जा सकता है। यहाँ वेली लगून एवं उसके साथ ही विकसित मनमोहक पार्क एक सुंदर पिकनिक स्पॉट है। यहाँ के सुंदर लैंडस्केप पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं। वेली झील में वाटर स्पो‌र्ट्स एवं बोटिंग का आनंद भी लिया जा सकता है।

वेली झील

[[चित्र:Chandrasekharan-Nair-Football-Stadium.jpg|220px|चंद्रशेखर नैयर फुटबॉल स्टेडियम, तिरुअनंतपुरम
Chandrasekharan Nair Football Stadium, Tiruvananthapuram|thumb]] हरे-भरे वृक्षों से घिरी झील की सुंदरता हर दिशा से अलग नज़र आती है। यहाँ सागरतट के पास वेली झील और अरब सागर का संगम भी दिखाई देता है। झील के पास विशाल उद्यान में कुछ झूले भी हैं। यहाँ बनी कुछ आधुनिक मूर्तियाँ भी पर्यटकों को अच्छी लगती हैं। झील पर एक 'हैंगिंग ब्रिज' बना हुआ है, जिसे पार करते हुए एक अलग ही आनंद आता है। कुछ आगे निकल जाएँ तो सागरतट नजर आता है। लेकिन पर्यटक सागरतट की ओर, वेली टूरिस्ट विलेज के आकर्षण को छोड़ बहुत कम जाते हैं।

शंखमुघम सागरतट

शंखमुघम सागरतट शहर से 8 किमी दूर एयरपोर्ट के निकट है। जहाँ शाम के समय ही रौनक रहती है। यहाँ से पर्यटकों को सूर्यास्त का मनोहारी दृश्य देखने को मिलता है। तट के सामने एक छोटे से पार्क में जलपरी की मनभावन मूर्ति है। पत्थर की 35 मीटर लंबी इस मूर्ति में लेटी हुई जलपरी मूर्तिशिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण कही जा सकती है। मूर्तिकार ने मत्स्य कन्या के शरीर के उतार-चढ़ावों को इस तरह तराशा है कि वह सजीव लगती है। [[चित्र:Lighthouse-Beach-Kovalam.jpg|thumb|250px|left|लाइट हाउस, कोवलम तट
Lighthouse, Kovalam Beach]]

कोवलम का समुद्र तट

कोवलम का समुद्र तट, तिरुअनंतपुरम का सबसे महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। तिरुअनंतपुरम की यात्रा कोवलम बीच देखे बिना अधूरी है। यह शहर से 16 कि.मी. दक्षिण की ओर स्थित है। कोवलम अपने आप में संपूर्ण पर्यटन स्थल है। यह भारत के उन गिने-चुने सागर तटों में से एक है जो विश्व पर्यटन मानचित्र पर पहचान रखते हैं। कोवलम समुद्र तट की सुंदरता किसी को बांध लेने में सक्षम है। छोटी सी खाड़ी के समान रेतीला तट, बलखाती समुद्री लहरें, कतार से लगी छतरियों के नीचे विश्राम करते सैलानी, तट के छोर पर नजर आता लाइट हाउस, पीछे की ओर लहराते ताड़ के वृक्षों के झुरमुट, छोटे-छोटे सफेद बादलों से सजा नीला आसमान-सब कुछ एक मुक़म्मल तस्वीर जैसा लगता है। समुद्री हवाओं के झोंके और लहरों का जबरदस्त शोर कुछ पल में ही एहसास करा देता है कि हम कोई तस्वीर नहीं बल्कि वास्तविक दृश्य देख रहे हैं। वास्तव में कोवलम बीच संसार के सुंदरतम समुद्र तटों में से एक है।

यह मनमोहक तट तीन छोटी-छोटी अ‌र्द्धचंद्राकार खाड़ियों के रूप में विभाजित है, जिनके किनारों पर छोटे-छोटे चट्टानी टीले स्थित हैं। दक्षिणी छोर के ऊँचे टीले पर एक लाइट हाउस है। यहाँ पर अधिकतर विदेशी पर्यटकों की भरमार रहती है। ठंडे देशों से आए इन लोगों को कोवलम का उन्मुक्त वातावरण बहुत रास आता है। [[चित्र:Kovalam.jpg|thumb|250px|कोवलम, केरल
Kovalam, Kerala]] कोवलम तट पर सुबह के समय मछुआरों की गतिविधियाँ भी देखने को मिलती हैं। पहले यह मछुआरों का छोटा सा गाँव होता था। पर्यटन आकर्षण के रूप में इसकी पहचान 1930 में हुई, 1930 के दशक में यहाँ हिप्पियों का हुजूम आने लगा, तब इसे अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली और यहाँ कई छोटे-बड़े होटलों का निर्माण हुआ था। आज यहाँ छोटे होटलों से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के रेसॉर्ट और रेस्टोरेंट भी हैं। यहाँ कई देशों के व्यंजन एवं सी फूड आसानी से मिलते हैं। यहाँ सूर्य की किरणों के बदलते कोणों के साथ ही पानी रंग बदलता सा लगता है। इसे देखना भी एक अलग अनुभव है। शाम के समय तो एक अलग ही दृश्य ऩजर आता है, जब सनसेट पॉइंट पर खड़े लोग समुद्र में समाते सूर्य को देखते हैं।

श्रीचित्रा कला दीर्घा

श्रीचित्रा कला दीर्घा नेपियर संग्रहालय के निकट ही स्थित है। 1935 में स्थापित इस दीर्घा का भवन भी उत्कृष्ट वास्तुशिल्प वाला है। यह कला दीर्घा कला प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। इसके संग्रह में राजा रवि वर्मा, निकोलस रोरिक, स्वेतलोबा, रवींद्रनाथ टैगोर, जैमिनी राय जैसे महान कलाकारों के चित्र देखने को मिलते हैं। इस दीर्घा में राजपूत एवं मुग़ल शैली के लघु चित्र तथा तंजौर शैली के चित्र भी प्रदर्शित हैं। ऐसे अमूल्य चित्र संग्रह के साथ ही इस दीर्घा में जापान, चीन, तिब्बत एवं इंडोनेशिया आदि देशों के चित्र भी देखने लायक हैं।

संग्रहालयों का गढ़

महात्मा गांधी मार्ग मंदिर क्षेत्र के बाहर है। संग्रहालय एवं चिड़ियाघर इसके उत्तरी छोर के निकट है। यहाँ पहुँचकर लगता है जैसे शहर के मध्य किसी छोटे जंगल में आ गए हैं। [[चित्र:Napier-Museum-Thiruvananthapuram.jpg|thumb|left|250px|नेपियर संग्रहालय, तिरुअनंतपुरम
Napier Museum, Thiruvananthapuram]]

कुतिरामलिका पैलेस संग्रहालय

महल के एक भाग में कुतिरामलिका पैलेस संग्रहालय देखने लायक है। इस संग्रहालय में सुंदर चित्र, काष्ठ नक्काशी के नमूने, राजपरिवार से संबंधित अनेक मूल्यवान वस्तुएँ, काष्ठ प्रतिमाएं, सिक्के आदि प्रदर्शित हैं। लकड़ी से बने महल के दो मंजिला भवन में कई झरोखे एवं खिड़कियां हैं। यहाँ समय-समय पर पर्यटकों के लिए विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।

नेपियर संग्रहालय

इस संग्रहालय का भवन भारतीय सीरियन वास्तुशैली में बना है जो 1853 में बनाया गया था। संग्रहालय में शामिल कई चीजें दर्शकों को प्रभावित करती हैं। ऐतिहासिक महत्व की कई वस्तुएँ मूर्तियाँ, आभूषण, हाथी दाँत की कलात्मक वस्तुएँ तथा 250 वर्ष पुरानी नक्काशी की कला देखते ही बनती है। नेपियर संग्रहालय के निकट ही श्रीचित्रा कला दीर्घा है।

प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय

प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय चित्रा कला दीर्घा के निकट ही है जहाँ राज्य के प्राकृतिक इतिहास से जुड़ी वस्तुएँ देखी जा सकती हैं। यहाँ जीव-जंतुओं, पक्षी एवं समुद्री प्राणियों का इतिहास भी दर्शाया गया है। हरे-भरे विशाल परिसर में वनस्पति उद्यान एवं चिड़ियाघर भी है।

अन्य दर्शनीय स्थल

[[चित्र:Legislative-Assembly-Of-Kerala.jpg|thumb|250px|केरल की विधान सभा
Legislative Assembly Of Kerala]]

  • विज्ञान एवं तकनीक संग्रहालय
  • जैव तकनीक संग्रहालय
  • चाचा नेहरू बाल संग्रहालय,
  • प्रियदर्शिनी प्लैनेटोरियम
  • कन्नाकुन्नु महल
  • सचिवालय भवन भी देखने लायक है। यह स़फेद इमारत रोमन वास्तुशैली में निर्मित है।
  • आक्कुलम पर्यटन केंद्र
  • तिरुवल्लभ नौका विहार
  • नैय्यर बांध
  • पद्मानाभपुरम तथा
  • मिनी हिल स्टेशन पोनमुड़ी है।

thumb|250px|left|पीप्पारा बांध, तिरुअनंतपुरम
Peppara Dam, Thiruvananthapuram

तिरुअनंतपुरम की खूबियाँ

तिरुअनंतपुरम सात छोटी-छोटी पहाड़ियों पर बसा है। ये पहाडि़याँ कई सदी पूर्व हरे-भरे वनों से आच्छादित थीं, जहाँ कुछ छोटे-छोटे गाँव भी थे। यहाँ के निवासियों को एक बार सबसे ऊँची पहाड़ी पर भगवान विष्णु की दिव्य प्रतिमा मिली थीं। विष्णु भगवान की प्रतिमा उसी जगह पर मंदिर बनाकर स्थापित कर दिया था। यहाँ की आबादी मंदिर की स्थापना के बाद बढ़ती गई और धीरे-धीरे इन पहाडि़यों पर एक शहर बस गया। उस समय यह त्रावनकोर राज्य का एक हिस्सा था जिसकी राजधानी पद्मनाभपुरम थी।

आयुर्वेद

केरल की आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का लाभ उठाने कोवलम और तिरुअनंतपुरम आने वाले कई पर्यटक आते हैं। दोनों ही जगह कई ऐसे केंद्र हैं जहाँ पर्यटक प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा रोगों का निदान पा सकते हैं और स्वास्थ्य लाभ कर सकते हैं। इन केंद्रों में दो प्रकार के पद्धतियों से चिकित्सा होती है।

  1. इनमें एक है कायाकल्प चिकित्सा, जिसमें शरीर को पूरी तरह निरोगी बनाने का प्रयास किया जाता है।
  2. दूसरी है औषधीय चिकित्सा जिसमें रोग विशेष का उपचार किया जाता है। यहाँ विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा ये उपचार किए जाते हैं।

संबंधित लेख