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मुल्तान आधुनिक [[पाकिस्तान]] में [[चिनाब नदी]] के तट पर [[पश्चिमी पंजाब]] का एक महत्त्वपूर्ण (मुलतान) प्राचीन नगर है। इसका प्राचीन नाम मूलस्थान था।  
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मुल्तान [[मुसलमान|मुसलमानों]] द्वारा सबसे पहले विजित प्रदेशों में था। पूर्व मध्यकाल में मुल्तान अरबों के अधीन था, किंतु 871 ई. में ख़िलाफ़त से सम्बन्ध विच्छेद कर मुल्तान स्वतन्त्र हो गया था। [[महमूद ग़ज़नवी]] ने मुल्तान पर आक्रमण कर उस पर अधिकार कर लिया। तत्कालीन शासक दाउद ने महमूद को 20,000 दिरहम प्रतिवर्ष देने का वायदा किया। 1008 ई. में मुल्तान को महमूद ने अपने राज्य में मिला लिया।  
मुल्तान [[मुसलमान|मुसलमानों]] द्वारा सबसे पहले विजित प्रदेशों में था। पूर्व मध्यकाल में मुल्तान अरबों के अधीन था, किंतु 871 ई. में ख़िलाफ़त से सम्बन्ध विच्छेद कर मुल्तान स्वतन्त्र हो गया था। [[महमूद ग़ज़नवी]] ने मुल्तान पर आक्रमण कर उस पर अधिकार कर लिया। तत्कालीन शासक दाउद ने महमूद को 20,000 दिरहम प्रतिवर्ष देने का वायदा किया। 1008 ई. में मुल्तान को महमूद ने अपने राज्य में मिला लिया।  
 
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1175 ई. में [[मुहम्मद ग़ोरी]] का पहला आक्रमण मुल्तान पर हुआ। इस पर उस समय करमाथी लोग शासन करते थे। महमूद ने नगर पर अधिकार कर उसे अपने सूबेदार के सुपुर्द कर दिया। उसके बाद शताब्दियों तक मुल्तान भारतीय मुस्लिम साम्राज्य का अंग बना रहा। कालांतर में [[अहमदशाह अब्दाली]] (1747-1773 ई.) ने मुल्तान पर अधिकार कर लिया।  
1175 ई. में [[मुहम्मद ग़ोरी]] का पहला आक्रमण मुल्तान पर हुआ। इस पर उस समय करमाथी लोग शासन करते थे। महमूद ने नगर पर अधिकार कर उसे अपने सूबेदार के सुपुर्द कर दिया। उसके बाद शताब्दियों तक मुल्तान भारतीय मुस्लिम साम्राज्य का अंग बना रहा। कालांतर में [[अहमदशाह अब्दाली]] (1747-1773 ई.) ने मुल्तान पर अधिकार कर लिया।  
====स्मारक====
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Revision as of 05:48, 3 March 2011

thumb|250px|मुल्तान
Multan
मुल्तान आधुनिक पाकिस्तान में चिनाब नदी के तट पर पश्चिमी पंजाब का एक महत्त्वपूर्ण (मुलतान) प्राचीन नगर है। इसका प्राचीन नाम मूलस्थान था।

इतिहास

मुल्तान एक प्राचीन सूर्य मन्दिर के लिए दूर-दूर तक विख्यात था। भविष्यपुराण की एक कथा में वर्णित है कि कृष्ण के पुत्र साम्ब ने दुर्वासा के शाप के परिणामस्वरूप कुष्ठ रोग से पीड़ित होने पर सूर्य की उपासना की थी और मूलस्थान (मुल्तान) में सूर्य मन्दिर बनवाया था। इस सूर्य मन्दिर के खण्डहर मुल्तान में आज भी पड़े हुए हैं।

आक्रमण

मुल्तान मुसलमानों द्वारा सबसे पहले विजित प्रदेशों में था। पूर्व मध्यकाल में मुल्तान अरबों के अधीन था, किंतु 871 ई. में ख़िलाफ़त से सम्बन्ध विच्छेद कर मुल्तान स्वतन्त्र हो गया था। महमूद ग़ज़नवी ने मुल्तान पर आक्रमण कर उस पर अधिकार कर लिया। तत्कालीन शासक दाउद ने महमूद को 20,000 दिरहम प्रतिवर्ष देने का वायदा किया। 1008 ई. में मुल्तान को महमूद ने अपने राज्य में मिला लिया।

1175 ई. में मुहम्मद ग़ोरी का पहला आक्रमण मुल्तान पर हुआ। इस पर उस समय करमाथी लोग शासन करते थे। महमूद ने नगर पर अधिकार कर उसे अपने सूबेदार के सुपुर्द कर दिया। उसके बाद शताब्दियों तक मुल्तान भारतीय मुस्लिम साम्राज्य का अंग बना रहा। कालांतर में अहमदशाह अब्दाली (1747-1773 ई.) ने मुल्तान पर अधिकार कर लिया।

स्मारक

मुल्तान के उल्लेखनीय स्मारकों में मुहम्मद बिन क़ासिम की बनवाई गई मस्जिद है। यहाँ के मक़बरों में 1152 ई. में निर्मित शाह युसुफ-गुल गरजिनी का मक़बरा, 1262 ई. में निर्मित बहाउल हक का मक़बरा महत्त्वपूर्ण है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ