ईरोड: Difference between revisions
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10वीं से 13वीं शताब्दी में इस शहर का नाम एक चोल मंदिर से जुड़ा हुआ है और इसका अर्थ है 'गीली खोपड़ी' हांलाकि ईरोड को मराठों (पश्चिम भारत), [[मैसूर]] ([[कर्नाटक]], दक्षिण भारत) और ब्रिटिश सेनाओं द्वारा बारी-बारी से ध्वस्त किया गया, लेकिन इसके आसपास की उपजाऊ भूमि ने इस शहर को कृषि एवं व्यापारिक केन्द्र के रूप में शीघ्र ही फिर से स्थापित होने में मदद की। | 10वीं से 13वीं शताब्दी में इस शहर का नाम एक चोल मंदिर से जुड़ा हुआ है और इसका अर्थ है 'गीली खोपड़ी' हांलाकि ईरोड को [[मराठा|मराठों]] (पश्चिम भारत), [[मैसूर]] ([[कर्नाटक]], दक्षिण भारत) और ब्रिटिश सेनाओं द्वारा बारी-बारी से ध्वस्त किया गया, लेकिन इसके आसपास की उपजाऊ भूमि ने इस शहर को कृषि एवं व्यापारिक केन्द्र के रूप में शीघ्र ही फिर से स्थापित होने में मदद की। | ||
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यहाँ के उद्योगों में कपास ओटाई और परिवहन उपकरणों का निर्माण शामिल है। | यहाँ के उद्योगों में कपास ओटाई और परिवहन उपकरणों का निर्माण शामिल है। |
Revision as of 06:00, 10 March 2011
ईरोड शहर, उत्तरी तमिलनाडु, दक्षिण भारत में कावेरी नदी के तट पर स्थित है। यहाँ स्थित मंदिरों के अभिलेख 10वीं शताब्दी में इस शहर की महत्त्वपूर्ण भूमिका की ओर संकेत करते हैं।
इतिहास
10वीं से 13वीं शताब्दी में इस शहर का नाम एक चोल मंदिर से जुड़ा हुआ है और इसका अर्थ है 'गीली खोपड़ी' हांलाकि ईरोड को मराठों (पश्चिम भारत), मैसूर (कर्नाटक, दक्षिण भारत) और ब्रिटिश सेनाओं द्वारा बारी-बारी से ध्वस्त किया गया, लेकिन इसके आसपास की उपजाऊ भूमि ने इस शहर को कृषि एवं व्यापारिक केन्द्र के रूप में शीघ्र ही फिर से स्थापित होने में मदद की।
उद्योग और व्यापार
यहाँ के उद्योगों में कपास ओटाई और परिवहन उपकरणों का निर्माण शामिल है।
यातायात और परिवहन
ईरोड रेलवे केंद्र है और पायकरा तथा मेत्तूर की जलविद्युत परियोजनाओं का जंक्शन है।
शिक्षण संस्थान
यहाँ औद्योगिक विद्यालय और मद्रास विश्वविद्यालय (चेन्नई, तमिलनाडु) से संबद्ध कई महाविद्यालय हैं।
जनसंख्या
2001 की जनगणना के अनुसार इस शहर की जनसंख्या 1,51,184 है। और ज़िले की कुल जनसंख्या 25,74,067 है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ