देवघर बिहार: Difference between revisions

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देवघर एक शक्तिपीठ है जहाँ [[सती]] का हृदय गिरा था और अन्तिम [[संस्कार]] भी देवघर में ही हुआ था। तभी से यह स्थान चिताभूमि कहलाने लगा है।
देवघर एक शक्तिपीठ है जहाँ [[सती]] का हृदय गिरा था और अन्तिम [[संस्कार]] भी देवघर में ही हुआ था। तभी से यह स्थान चिताभूमि कहलाने लगा है।
==पौराणिक महत्व==
==पौराणिक महत्त्व==
पौराणिक दृष्टि से विशेष महत्व होने के कारण [[द्वादश ज्योतिर्लिंग]] में नौंवें ज्योर्तिलिंग के रूप में '[[वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग|रावणेश्वर वैद्यनाथ]]' पर जल अर्पण कर 'मोक्ष की कामना' से हज़ारों लोग यहाँ आते हैं।  
पौराणिक दृष्टि से विशेष महत्त्व होने के कारण [[द्वादश ज्योतिर्लिंग]] में नौंवें ज्योर्तिलिंग के रूप में '[[वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग|रावणेश्वर वैद्यनाथ]]' पर जल अर्पण कर 'मोक्ष की कामना' से हज़ारों लोग यहाँ आते हैं।  
*[[श्रावण|सावन]] के महीने में तो यहाँ लोग लगभग 100 किलोमीटर की पदयात्रा कर बाबा वैद्यनाथ को [[गंगा नदी|गंगा]]जल चढ़ाने आते हैं।
*[[श्रावण|सावन]] के महीने में तो यहाँ लोग लगभग 100 किलोमीटर की पदयात्रा कर बाबा वैद्यनाथ को [[गंगा नदी|गंगा]]जल चढ़ाने आते हैं।



Revision as of 10:32, 13 March 2011

शक्तिपीठ

देवघर एक शक्तिपीठ है जहाँ सती का हृदय गिरा था और अन्तिम संस्कार भी देवघर में ही हुआ था। तभी से यह स्थान चिताभूमि कहलाने लगा है।

पौराणिक महत्त्व

पौराणिक दृष्टि से विशेष महत्त्व होने के कारण द्वादश ज्योतिर्लिंग में नौंवें ज्योर्तिलिंग के रूप में 'रावणेश्वर वैद्यनाथ' पर जल अर्पण कर 'मोक्ष की कामना' से हज़ारों लोग यहाँ आते हैं।

  • सावन के महीने में तो यहाँ लोग लगभग 100 किलोमीटर की पदयात्रा कर बाबा वैद्यनाथ को गंगाजल चढ़ाने आते हैं।

प्रमुख पर्यटन स्थल

इसके अतिरिक्त प्रमुख पर्यटन स्थलों में हैं—

  • नन्दन पर्वत
  • त्रिकुटांचल पर्वत
  • तपोवन
  • नौलखा मन्दिर
  • देवसंघ मन्दिर
  • हाथी पहाड़
  • सत्संग आश्रम
  • कुंडलेश्वरी मन्दिर
  • रामकृष्ण आश्रम
  • योगाश्रम
  • हिन्दी विद्यापीठ
  • अरोग्य भवन
  • जसीडीह
  • मधुवन
  • शहीद आश्रम
  • पगला बाबा आश्रम
  • हरिलाजोरी मन्दिर
  • बैजू मन्दिर
  • पहाड़ कोठी
  • जालान पार्क
  • मित्रा गार्डन

मन्दिर

देवघर से पाँच किलोमीटर दूर सामर ग्राम में महापात्र देवता की मूर्ति के रूप में पूजे जाने वाले नवीनतम मन्दिरों में स्थापित साढ़े तीन फीट ऊँची और दो फीट चौड़ी काले पत्थर की मूर्ति है। जिसके नीचे लिखी भाषा अब तक पढ़ी नहीं जा सकी है।

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