पुराना संसद भवन: Difference between revisions

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[[चित्र:Sansad-Bhavan-2.jpg|thumb|250px|संसद भवन, दिल्ली]] नई दिल्ली में स्थित संसद भवन सर्वाधिक भव्य भवनों में से एक है, जहाँ विश्व में किसी भी देश में मौजूद वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूनों की उज्ज्वल छवि मिलती है। राजधानी में आने वाले भ्रमणार्थी इस भवन को देखने जरूर आते हैं जैसा कि संसद के दोनों सभाएं लोक सभा और राज्य सभा इसी भवन के अहाते में स्थित हैं।

भवन संपदा

संसद भवन संपदा के अंतर्गत संसद भवन, स्वागत कार्यालय भवन, संसदीय ज्ञानपीठ (संसद ग्रंथालय भवन) संसदीय सौध और इसके आस-पास के विस्तृत लॉन, जहां फव्वारे वाले तालाब हैं, शामिल हैं। संसद के सत्रों के दौरान और अन्य महत्वपूर्ण अवसरों पर भवन में महत्वपूर्ण स्थलों को विशेष रूप से पुष्पों से सुसज्जित किया जाता है। विद्यमान व्यवस्था के अनुसार संपूर्ण संसद भवन संपदा और विशेषकर दोनों सभाओं के चैम्बर्स में पूरे वर्ष कड़ी सुरक्षा रहती है। संपूर्ण संसद भवन संपदा सजावटी लाल पत्थर की दीवार या लोहे की जालियों से घिरा है तथा लौह द्वारों को आवश्यकता पड़ने पर बंद किया जा सकता है। संसद भवन संपदा से होकर गुजरने वाले पहुंच मार्ग संपदा का हिस्सा है और उनका उपयोग आम रास्ते के रूप में करने की अनुमति नहीं है ।

भवन का निर्माण

संसद भवन की अभिकल्पना दो मशहूर वास्तुकारों - सर एडविन लुटय़न्स और सर हर्बर्ट बेकर ने तैयार की थी जो नई दिल्ली की आयोजना और निर्माण के लिए उत्तरदायी थे। संसद भवन की आधारशिला 12 फरवरी, 1921 को महामहिम द डय़ूक ऑफ कनाट ने रखी थी । इस भवन के निर्माण में छह वर्ष लगे और इसका उद्घाटन समारोह भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन ने 18 जनवरी, 1927 को आयोजित किया। इसके निर्माण पर 83 लाख रूपये की लागत आई।

भवन का आकार

संसद भवन एक विशाल वृत्ताकार भवन है जिसका व्यास 560 फुट (170.69 मीटर) है और इसकी परिधि एक मील की एक तिहाई 536.33 मीटर है तथा यह लगभग छह एकड़ (24281.16 वर्ग मीटर) क्षेत्रफल में फैला हुआ है । इसके प्रथम तल पर खुले बरामदे के किनारे-किनारे क्रीम रंग के बालुई पत्थर के 144 स्तंभ हैं और प्रत्येक स्तंभ की ऊंचाई 27 फुट (8.23 मीटर) है। भवन के 12 द्वार हैं जिनमें से संसद मार्ग पर स्थित द्वारा सं. 1 मुख्य द्वार है।

वास्तु अभिकल्पना

[[चित्र:Sansad-Bhavan.jpg|250px|thumb|संसद भवन, दिल्ली]] इस तथ्य के बावजूद कि भवन का निर्माण स्वदेशी सामग्री से और भारतीय श्रमिकों द्वारा किया गया है, भवन के वास्तुशिल्प में भारतीय परंपरा की गहरी छाप मिलती है। भवन के भीतर और बाहर फव्वारों की बनावट, भारतीय प्रतीकों "छज्जों" के प्रयोग जो दीवारों और खिड़कियों पर छाया का काम करते हैं और संगमरमर से बनी तरह-तरह की "जाली " प्राचीन इमारतों और स्मारकों में झलकते शिल्प कौशल का स्मरण कराते हैं । इसमें भारतीय कला की प्राचीन विशेषताओं के साथ ध्वनि व्यवस्था, वातानुकूलन, साथ-साथ भाषांतरण और स्वचालित मतदान आदि जैसी आधुनिक वैज्ञानिक उपलब्धियां शामिल हैं।

सामान्य रूपरेखा

  • भवन का केन्द्रीय तथा प्रमुख भाग उसका विशाल वृत्ताकार केन्द्रीय कक्ष है।
  • इसके तीन ओर तीन कक्ष लोक सभा, राज्य सभा और पूर्ववर्ती ग्रंथालय कक्ष (जिसे पहले प्रिंसेस चैम्बर कहा जाता था) हैं और इनके मध्य उद्यान प्रांगण है। इन तीनों कक्षों के चारों ओर एक चार मंजिला वृत्ताकार भवन है, जिसमें मंत्रियों, संसदीय समितियों के सभापतियों के कक्ष, दलों के कार्यालय, लोक सभा तथा राज्य सभा सचिवालयों के महत्वपूर्ण कार्यालय और साथ ही संसदीय कार्य मंत्रालय के कार्यालय हैं।
  • प्रथम तल पर तीन समिति कक्ष संसदीय समितियों की बैठकों के लिए प्रयोग किए जाते हैं। इसी तल पर तीन अन्य कक्षों का प्रयोग प्रेस संवाददाता करते हैं जो लोक सभा और राज्य सभा की प्रेस दीर्घाओं में आते हैं।
  • भवन में छह लिफ्ट प्रचालनरत हैं जो कक्षों के प्रवेशद्वारों के दोनों ओर एक-एक हैं। केन्द्रीय कक्ष शीतल वायुयुक्त है और कक्ष (चैम्बर) वातानुकूलित हैं।
  • भवन के भूमि तल पर गलियारे की बाहरी दीवार प्राचीन भारत के इतिहास और अपने पड़ोसी देशों से भारत के सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाने वाली चित्रमालाओं से सुसज्जित है ।

प्रतिमाएँ और आवक्षमूर्तियाँ

संसद भवन परिसर हमारे संसदीय लोकतंत्र के प्रादुर्भाव का साक्षी रहा है। संसद भवन परिसर में हमारे इतिहास की उन निम्नलिखित विभूतियों की प्रतिमाएं और आवक्षमूर्तियां हैं जिन्होंने राष्ट्र हित के लिए महान योगदान दिया है-

  1. चन्द्रगुप्त मौर्य
  2. पंडित मोतीलाल नेहरू
  3. गोपाल कृष्ण गोखले
  4. डॉ. भीमराव अम्बेडकर
  5. अरबिन्दो घोष
  6. महात्मा गाँधी
  7. वाई.बी. चव्हाण
  8. पंडित जवाहरलाल नेहरू
  9. पंडित गोविन्द वल्लभ पन्त
  10. बाबू जगजीवन राम
  11. पंडित रवि शंकर शुक्ल
  12. श्रीमती इंदिरा गांधी
  13. मौलाना अबुल कलाम आज़ाद
  14. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस
  15. के. कामराज
  16. प्रो. एन.जी. रंगा
  17. सरदार पटेल
  18. बिरसा मुण्डा
  19. आंध्र केसरी तंगुतुरी प्रकाशम
  20. जयप्रकाश नारायण
  21. एस. सत्यमूर्ति
  22. सी.एन. अन्नादुरै
  23. लोकप्रिय गोपीनाथ बारदोली
  24. पी. मुथुरामालिंगा थेवर
  25. छत्रपति शिवाजी महाराज
  26. महात्मा बसवेश्वर
  27. महाराजा रणजीत सिंह
  28. शहीद हेमू कलानी
  29. चौधरी देवी लाल
  30. महात्मा ज्योतिराव फुले


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टीका टिप्पणी और संदर्भ