डीग: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 1: Line 1:
{{Incomplete}}
{{Incomplete}}
'''डीग / Deeg'''<br />
'''डीग / Deeg'''<br />
[[चित्र:Jal-Mahal-Deeg-3.jpg|thumb|250px|जल महल, डीग<br />Jal Mahal, Deeg]]
[[चित्र:Jal-Mahal-Deeg-2.jpg|thumb|250px|जल महल, डीग<br />Jal Mahal, Deeg]]
[[मथुरा]] से [[गोवर्धन]] होते हुए डीग लगभग 40 कि.मी. और [[आगरा]] से 44 मील पश्चिमोत्तर में व [[भरतपुर]] से 22 मील उत्तर की ओर स्थित है। यह नगर लगभग सौ वर्षो से उपेक्षित अवस्था में है, किंतु आज भी यहां भरतपुर के [[जाट]]-नरेशों के पुराने महल तथा अन्य भवन अपने भव्य सौंदर्य के लिए विख्यात हैं। नगर के चतुर्दिक मिट्टी की चहारदिवारी है और उसके चारों ओर गहरी खाई है। मुख्य द्वार शाहबुर्ज कहलाता था। यह स्वयं ही एक गढ़ी के रूप में निर्मित था।  इसकी लंबाई-चौड़ाई 50 गज है। प्रारंभ में यहां सैनिकों के रहने के लिए स्थान था। मुख्य दुर्ग यहां से एक मील है जिसके चारों ओर एक सृदृढ़ दीवार है। बाहर किले के चतुर्दिक मार्गों की सुरक्षा के लिए छोटी-छोटी गढ़ियां बनाई गई थीं जिनमें गोपालगढ़ जो मिट्टी का बना हुआ क़िला है सबसे अधिक प्रसिद्ध था। यह शाहबुर्ज से कुछ ही दूर पर है। इन किलों की मोर्चाबंदी के अंदर डीग का सुंदर सुसज्जित नगर था जो अपने वैभवकाल में (18वीं शती में) मुग़लों की तत्कालीन अस्तोन्मुख राजधानियों [[दिल्ली]] तथा आगरा के मुक़ाबले में कहीं अधिक शानदार दिखाई देता था।  भरतपुर के राजा [[बदनसिंह]] ने दुर्ग के अंदर पुराना महल नामक सुंदर भवन बनवाया था। बदनसिंह के उत्तराधिकारी राजा [[सूरजमल]] के शासन काल में 7 फरवरी 1960 ई॰ को बर्बर आक्रांता [[अहमदशाह अब्दाली]] ने डीग पर आक्रमण किया किंतु सौभाग्य से वह यहां अधिक समय तक ना टिका और मेवात की ओर चला गया। [[जवाहर सिंह]] ने जब अपने पिता सूरजमल के विरूद्ध विद्रोह किया तो उसने डीग में ही स्वयं को स्वतंत्र शासक घोषित किया था। डीग का प्राचीन नाम दीर्घवती कहा जाता है।
[[मथुरा]] से [[गोवर्धन]] होते हुए डीग लगभग 40 कि.मी. और [[आगरा]] से 44 मील पश्चिमोत्तर में व [[भरतपुर]] से 22 मील उत्तर की ओर स्थित है। यह नगर लगभग सौ वर्षो से उपेक्षित अवस्था में है, किंतु आज भी यहां भरतपुर के [[जाट]]-नरेशों के पुराने महल तथा अन्य भवन अपने भव्य सौंदर्य के लिए विख्यात हैं। नगर के चतुर्दिक मिट्टी की चहारदिवारी है और उसके चारों ओर गहरी खाई है। मुख्य द्वार शाहबुर्ज कहलाता था। यह स्वयं ही एक गढ़ी के रूप में निर्मित था।  इसकी लंबाई-चौड़ाई 50 गज है। प्रारंभ में यहां सैनिकों के रहने के लिए स्थान था। मुख्य दुर्ग यहां से एक मील है जिसके चारों ओर एक सृदृढ़ दीवार है। बाहर किले के चतुर्दिक मार्गों की सुरक्षा के लिए छोटी-छोटी गढ़ियां बनाई गई थीं जिनमें गोपालगढ़ जो मिट्टी का बना हुआ क़िला है सबसे अधिक प्रसिद्ध था। यह शाहबुर्ज से कुछ ही दूर पर है। इन किलों की मोर्चाबंदी के अंदर डीग का सुंदर सुसज्जित नगर था जो अपने वैभवकाल में (18वीं शती में) मुग़लों की तत्कालीन अस्तोन्मुख राजधानियों [[दिल्ली]] तथा आगरा के मुक़ाबले में कहीं अधिक शानदार दिखाई देता था।  भरतपुर के राजा [[बदनसिंह]] ने दुर्ग के अंदर पुराना महल नामक सुंदर भवन बनवाया था। बदनसिंह के उत्तराधिकारी राजा [[सूरजमल]] के शासन काल में 7 फरवरी 1960 ई॰ को बर्बर आक्रांता [[अहमदशाह अब्दाली]] ने डीग पर आक्रमण किया किंतु सौभाग्य से वह यहां अधिक समय तक ना टिका और मेवात की ओर चला गया। [[जवाहर सिंह]] ने जब अपने पिता सूरजमल के विरूद्ध विद्रोह किया तो उसने डीग में ही स्वयं को स्वतंत्र शासक घोषित किया था। डीग का प्राचीन नाम दीर्घवती कहा जाता है।
==वीथिका डीग==
==वीथिका डीग==
<gallery widths="145px" perrow="4">
<gallery widths="145px" perrow="4">
चित्र:Jal-Mahal-Deeg-1.jpg|जल महल, डीग<br />Jal Mahal, Deeg
चित्र:Jal-Mahal-Deeg-3.jpg|जल महल, डीग<br />Jal Mahal, Deeg
चित्र:Kund-Deeg-Mahal-Deeg-1.jpg|कुण्ड, डीग महल, डीग <br /> Kund, Deeg Mahal, Deeg
चित्र:Kund-Deeg-Mahal-Deeg-1.jpg|कुण्ड, डीग महल, डीग <br /> Kund, Deeg Mahal, Deeg
चित्र:Badrinath-Temple-Deeg-2.jpg|आदि बद्रीनाथ मंदिर, डीग <br /> Badrinath Temple, Deeg
चित्र:Badrinath-Temple-Deeg-2.jpg|आदि बद्रीनाथ मंदिर, डीग <br /> Badrinath Temple, Deeg

Revision as of 06:59, 16 April 2010

40px पन्ना बनने की प्रक्रिया में है। आप इसको तैयार करने में सहायता कर सकते हैं।

डीग / Deeg
thumb|250px|जल महल, डीग
Jal Mahal, Deeg
मथुरा से गोवर्धन होते हुए डीग लगभग 40 कि.मी. और आगरा से 44 मील पश्चिमोत्तर में व भरतपुर से 22 मील उत्तर की ओर स्थित है। यह नगर लगभग सौ वर्षो से उपेक्षित अवस्था में है, किंतु आज भी यहां भरतपुर के जाट-नरेशों के पुराने महल तथा अन्य भवन अपने भव्य सौंदर्य के लिए विख्यात हैं। नगर के चतुर्दिक मिट्टी की चहारदिवारी है और उसके चारों ओर गहरी खाई है। मुख्य द्वार शाहबुर्ज कहलाता था। यह स्वयं ही एक गढ़ी के रूप में निर्मित था। इसकी लंबाई-चौड़ाई 50 गज है। प्रारंभ में यहां सैनिकों के रहने के लिए स्थान था। मुख्य दुर्ग यहां से एक मील है जिसके चारों ओर एक सृदृढ़ दीवार है। बाहर किले के चतुर्दिक मार्गों की सुरक्षा के लिए छोटी-छोटी गढ़ियां बनाई गई थीं जिनमें गोपालगढ़ जो मिट्टी का बना हुआ क़िला है सबसे अधिक प्रसिद्ध था। यह शाहबुर्ज से कुछ ही दूर पर है। इन किलों की मोर्चाबंदी के अंदर डीग का सुंदर सुसज्जित नगर था जो अपने वैभवकाल में (18वीं शती में) मुग़लों की तत्कालीन अस्तोन्मुख राजधानियों दिल्ली तथा आगरा के मुक़ाबले में कहीं अधिक शानदार दिखाई देता था। भरतपुर के राजा बदनसिंह ने दुर्ग के अंदर पुराना महल नामक सुंदर भवन बनवाया था। बदनसिंह के उत्तराधिकारी राजा सूरजमल के शासन काल में 7 फरवरी 1960 ई॰ को बर्बर आक्रांता अहमदशाह अब्दाली ने डीग पर आक्रमण किया किंतु सौभाग्य से वह यहां अधिक समय तक ना टिका और मेवात की ओर चला गया। जवाहर सिंह ने जब अपने पिता सूरजमल के विरूद्ध विद्रोह किया तो उसने डीग में ही स्वयं को स्वतंत्र शासक घोषित किया था। डीग का प्राचीन नाम दीर्घवती कहा जाता है।

वीथिका डीग