विजय नगर साम्राज्य: Difference between revisions
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Revision as of 10:56, 24 March 2011
विजयनगर का शाब्दिक अर्थ है- ‘जीत का शहर’। प्रायः इस नगर को मध्ययुग का प्रथम हिन्दू साम्राज्य माना जाता है। 14 वीं शताब्दी में उत्पन्न विजयनगर साम्राज्य को मध्ययुग और आधुनिक औपनिवेशिक काल के बीच का संक्रान्ति-काल कहा जाता है। इस साम्राज्य की स्थापना 1336 ई. में दक्षिण भारत में तुग़लक़ सत्ता के विरुद्ध होने वाले राजनीतिक तथा सांस्कृतिक आन्दोलन के परिणामस्वरूप संगम पुत्र हरिहर एवं बुक्का द्वारा तुंगभद्रा नदी के उत्तरी तट पर स्थित अनेगुंडी दुर्ग के सम्मुख की गयी। अपने इस साहसिक कार्य में उन्हें ब्राह्मण विद्वान माधव विद्यारण्य तथा वेदों के प्रसिद्ध भाष्यकार सायण से प्रेरणा मिली। विजयनगर साम्राज्य का नाम तुंगभद्रा नदी के दक्षिण किनारे पर स्थित उसकी राजधानी के नाम पर पड़ा। उसकी राजधानी विपुल शक्ति एवं सम्पदा की प्रतीक थी। विजयनगर के विषय में फ़ारसी यात्री अब्दुल रज्जाक ने लिखा है कि, "विजयनगर दुनिया के सबसे भव्य शहरों में से एक लगा, जो उसने देखे या सुने थे"।
उत्पत्ति मतभेद
विजयनगर साम्राज्य के संस्थापकों की उत्पत्ति के बारे में स्पष्ट जानकारी के अभाव में इतिहासकारों में विवाद है। कुछ विद्वान ‘तेलुगु आन्ध्र’ अथवा काकतीय उत्पत्ति मानते हैं, तो कुछ 'कर्नाटा' (कर्नाटक) या होयसल तथा कुछ 'काम्पिली' उत्पत्ति मानते हैं। हरिहर और बुक्का ने अपने पिता संगम के नाम पर संगम राजवंश की स्थापना की। विजयनगर साम्राज्य की राजधानियाँ क्रमश: अनेगुंडी या अनेगोण्डी, विजयनगर, पेनुगोण्डा तथा चन्द्रगिरी थीं। हम्पी (हस्तिनावती) विजयनगर की पुरानी राजधानी का प्रतिनिधित्व करता है। विजयनगर का वर्तमान नाम 'हम्पी' (हस्तिनावती) है।
विजयनगर के राजवंश
विजयनगर साम्राज्य पर जिन राजवंशों ने शासन किया, वे निम्नलिखित हैं-
- संगम वंश - 1336-1485 ई.
- सालुव वंश - 1485-1505 ई.
- तुलुव वंश - 1505-1570 ई.
- अरविडु वंश - 1570-1650 ई.
शासक | शासनकाल |
---|---|
हरिहर प्रथम | (1336-1356 ई.) |
बुक्का प्रथम | (1356-1377 ई.) |
हरिहर द्वितीय | (1377-1404 ई.) |
विरुपाक्ष प्रथम | (1404 ई.) |
बुक्का द्वितीय | (1404-1406 ई.) |
देवराय प्रथम | (1406-1422 ई.) |
देवराय द्वितीय | (1422-1446 ई.) |
विजयराय द्वितीय | (1446-1447 ई.) |
मल्लिकार्जुन | (1447-1465 ई.) |
विरुपाक्ष द्वितीय | (1465-1485 ई.) |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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