प्रयोग:रविन्द्र१: Difference between revisions
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||देश के राज्यों के भाषायी पुनर्गठन के फलस्वरूप 1 मई, 1960 को महाराष्ट्र राज्य का प्रशासनिक प्रादुर्भाव हुआ। यह राज्य आसपास के मराठी भाषी क्षेत्रों को मिलाकर बनाया गया, जो पहले चार अलग अलग प्रशासनों के नियंत्रण में था। इनमें मूल ब्रिटिश [[मुंबई]] प्रांत में शामिल दमन तथा [[गोवा]] के बीच का ज़िला, [[हैदराबाद]] के निज़ाम की रियासत के पाँच ज़िले, मध्य प्रांत ([[मध्य प्रदेश]]) के दक्षिण के आठ ज़िले तथा आसपास की ऐसी अनेक छोटी-छोटी रियासतें शामिल थीं, जो समीपवर्ती ज़िलों में मिल गई थीं। {{point}}विस्तार से पढ़ें:-[[महाराष्ट्र]] | ||देश के राज्यों के भाषायी पुनर्गठन के फलस्वरूप 1 मई, 1960 को महाराष्ट्र राज्य का प्रशासनिक प्रादुर्भाव हुआ। यह राज्य आसपास के मराठी भाषी क्षेत्रों को मिलाकर बनाया गया, जो पहले चार अलग अलग प्रशासनों के नियंत्रण में था। इनमें मूल ब्रिटिश [[मुंबई]] प्रांत में शामिल दमन तथा [[गोवा]] के बीच का ज़िला, [[हैदराबाद]] के निज़ाम की रियासत के पाँच ज़िले, मध्य प्रांत ([[मध्य प्रदेश]]) के दक्षिण के आठ ज़िले तथा आसपास की ऐसी अनेक छोटी-छोटी रियासतें शामिल थीं, जो समीपवर्ती ज़िलों में मिल गई थीं। {{point}}विस्तार से पढ़ें:-[[महाराष्ट्र]] | ||
{ "कजरी" लोक नृत्य शैली कहाँ प्रचलित है? | { "कजरी" [[लोक नृत्य]] शैली कहाँ प्रचलित है? | ||
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- [[उड़ीसा]] | - [[उड़ीसा]] | ||
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||[[मुग़ल|मुग़लों]] के पश्चात आधुनिक बंगाल का इतिहास यूरोपीय तथा अंग्रेज़ी व्यापारिक कंपनियों के आगमन से आरंभ होता है। सन 1757 में [[प्लासी]] का युद्ध ने इतिहास की धारा को मोड़ दिया जब अंग्रेज़ों ने पहली बार बंगाल और [[भारत]] में अपने पांव जमाए। सन 1905 में राजनीतिक लाभ के लिए [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने बंगाल का विभाजन कर दिया, लेकिन [[कांग्रेस]] के नेतृत्व में लोगों के बढ़ते हुए आक्रोश को देखते हुए 1911 में बंगाल को फिर से एक कर दिया गया। इससे [[सिपाही क्रांति 1857|स्वतंत्रता आंदोलन]] की ज्वाला और तेज़ी से भड़क उठी, जिसका पटाक्षेप 1947 में देश की आज़ादी और विभाजन के साथ हुआ।{{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[पश्चिम बंगाल]] | ||[[मुग़ल|मुग़लों]] के पश्चात आधुनिक बंगाल का इतिहास यूरोपीय तथा अंग्रेज़ी व्यापारिक कंपनियों के आगमन से आरंभ होता है। सन 1757 में [[प्लासी]] का युद्ध ने इतिहास की धारा को मोड़ दिया जब अंग्रेज़ों ने पहली बार बंगाल और [[भारत]] में अपने पांव जमाए। सन 1905 में राजनीतिक लाभ के लिए [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने बंगाल का विभाजन कर दिया, लेकिन [[कांग्रेस]] के नेतृत्व में लोगों के बढ़ते हुए आक्रोश को देखते हुए 1911 में बंगाल को फिर से एक कर दिया गया। इससे [[सिपाही क्रांति 1857|स्वतंत्रता आंदोलन]] की ज्वाला और तेज़ी से भड़क उठी, जिसका पटाक्षेप 1947 में देश की आज़ादी और विभाजन के साथ हुआ।{{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[पश्चिम बंगाल]] | ||
{ "पण्डवानी" किस राज्य की प्रमुख लोक नृत्य शैली है? | { "पण्डवानी" किस राज्य की प्रमुख [[लोक नृत्य]] शैली है? | ||
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- [[उत्तराखंड]] | - [[उत्तराखंड]] | ||
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- [[मध्य प्रदेश]] | - [[मध्य प्रदेश]] | ||
- [[उत्तर प्रदेश]] | - [[उत्तर प्रदेश]] | ||
||छठी और बारहवीं शताब्दियों के बीच सरभपूरिया, पांडुवंशी, सोमवंशी, कलचुरी और नागवंशी शासकों ने इस क्षेत्र पर शासन किया। कलचुरियों ने छत्तीसगढ़ पर सन 980 से लेकर 1791 तक राज किया। सन 1854 में [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के आक्रमण के बाद महत्त्व बढ़ | ||छठी और बारहवीं शताब्दियों के बीच सरभपूरिया, पांडुवंशी, सोमवंशी, कलचुरी और नागवंशी शासकों ने इस क्षेत्र पर शासन किया। कलचुरियों ने छत्तीसगढ़ पर सन 980 से लेकर 1791 तक राज किया। सन 1854 में [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के आक्रमण के बाद महत्त्व बढ़ गया। सन [[1904]] में संबलपुर [[उड़ीसा]] में चला गया और 'सरगुजा' रियासत बंगाल से छत्तीसगढ़ के पास आ गई। छत्तीसगढ़ पूर्व में दक्षिणी झारखण्ड और उड़ीसा से, पश्चिम में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से, उत्तर में उत्तर प्रदेश और पश्चिमी झारखण्ड और दक्षिण में [[आंध्र प्रदेश]] से घिरा है।{{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[छत्तीसगढ़]] | ||
{ "गिद्धा" कहाँ का प्रमुख [[नृत्य कला|नृत्य]] है? | { "गिद्धा" कहाँ का प्रमुख [[नृत्य कला|नृत्य]] है? | ||
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||पंजाब में सिंचाई के लिए 1134 सरकारी नहरें हैं, जिनसे भूमि की सिंचाई होती है। यहाँ सभी प्रकार की खेती होती है। [[कृषि]] प्रधान राज्य होने के कारण कृषि विकास को प्राथमिकता दी जाती है। पंजाब सरकार फ़सलों के विविधीकरण के लिए अनेक योजनाएँ चला रही है। पानी के सही इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करके विभिन्न ज़िलों के सिंचाई क्षेत्र में 0.97 लाख हेक्टेयर को बढ़ावा दिया गया है। राज्य का कुल भौगोलिक क्षेत्र 50.36 लाख हेक्टेयर है। कुल भूमि में से 42.90 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खेती होती है।{{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[पंजाब]] | ||पंजाब में सिंचाई के लिए 1134 सरकारी नहरें हैं, जिनसे भूमि की सिंचाई होती है। यहाँ सभी प्रकार की खेती होती है। [[कृषि]] प्रधान राज्य होने के कारण कृषि विकास को प्राथमिकता दी जाती है। पंजाब सरकार फ़सलों के विविधीकरण के लिए अनेक योजनाएँ चला रही है। पानी के सही इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करके विभिन्न ज़िलों के सिंचाई क्षेत्र में 0.97 लाख हेक्टेयर को बढ़ावा दिया गया है। राज्य का कुल भौगोलिक क्षेत्र 50.36 लाख हेक्टेयर है। कुल भूमि में से 42.90 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खेती होती है।{{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[पंजाब]] | ||
{ " | { "नौटंकी" कहाँ का प्रमुख नृत्य है? | ||
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- [[गुजरात]] | - [[गुजरात]] | ||
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||[[सिपाही क्रांति 1857|स्वतंत्रता संग्राम]] में महाराष्ट्र सबसे आगे था। [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] का जन्म भी यहीं हुआ। [[मुंबई]] तथा महाराष्ट्र के अन्य शहरों के अनगिनत नेताओं ने पहले तिलक और बाद में [[महात्मा गांधी]] के मार्गदर्शन में कांग्रेस के आंदोलन को आगे बढाया। गांधी जी ने भी अपने आंदोलन का केंद्र महाराष्ट्र को बनाया था और गांधी युग में राष्ट्रवादी देश की राजधानी सेवाग्राम थी। {{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[महाराष्ट्र]] | ||[[सिपाही क्रांति 1857|स्वतंत्रता संग्राम]] में महाराष्ट्र सबसे आगे था। [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] का जन्म भी यहीं हुआ। [[मुंबई]] तथा महाराष्ट्र के अन्य शहरों के अनगिनत नेताओं ने पहले तिलक और बाद में [[महात्मा गांधी]] के मार्गदर्शन में कांग्रेस के आंदोलन को आगे बढाया। गांधी जी ने भी अपने आंदोलन का केंद्र महाराष्ट्र को बनाया था और गांधी युग में राष्ट्रवादी देश की राजधानी सेवाग्राम थी। {{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[महाराष्ट्र]] | ||
{ कौन-सा लोक नृत्य "ग़रीबों की कथकली" के नाम से जाना जाता है? | { कौन-सा [[लोक नृत्य]] "ग़रीबों की कथकली" के नाम से जाना जाता है? | ||
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- चाक्यारकुंतु | - चाक्यारकुंतु | ||
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- पनिहारी | - पनिहारी | ||
{ लोक नृत्य करने वाले को क्या कहते हैं? | { [[लोक नृत्य]] करने वाले को क्या कहते हैं? | ||
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- लौकिक | - लौकिक | ||
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- गरबा | - गरबा | ||
- डांडिया | - डांडिया | ||
|| | ||[[चित्र:Kathakali-Dance.jpg|80px|right|कथकली नृत्य]] [[शास्त्रीय नृत्य]] कथकली का सबसे अधिक प्रभावशाली भाग यह है कि, इसके चरित्र कभी बोलते नहीं हैं, केवल उनके हाथों के हाव-भाव की उच्च विकसित भाषा तथा चेहरे की अभिव्यक्ति होती है, जो इस नाटिका के पाठ्य को दर्शकों के सामने प्रदर्शित करती है। उनके चेहरे के छोटे और बड़े हाव-भाव, भंवों की गति, नेत्रों का संचलन, गालों, नाक और ठोड़ी की अभिव्यक्ति पर बारीकी से काम किया जाता है।{{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[कथकली]] | ||
{ निम्नलिखित में से सबसे प्राचीन वाद्ययंत्र कौन-सा है? | { निम्नलिखित में से सबसे प्राचीन वाद्ययंत्र कौन-सा है? | ||
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- शहनाई | - शहनाई | ||
- सरोद | - सरोद | ||
||सितार परंपरिक वाद्य होने के साथ ही सबसे अधिक लोकप्रिय है, और सितार ऐसा वाद्य यंत्र है, जिसने पूरी दुनिया में हिन्दुस्तान का नाम लोकप्रिय किया। सितार बहुआयामी साज होने के साथ ही एक ऐसा वाद्य यंत्र है, जिसके ज़रिये भावनाओं को प्रकट किया जाता हैं।{{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[सितार]] | ||[[चित्र:Sitar.jpg|80px|सितार|right]]सितार परंपरिक वाद्य होने के साथ ही सबसे अधिक लोकप्रिय है, और सितार ऐसा वाद्य यंत्र है, जिसने पूरी दुनिया में हिन्दुस्तान का नाम लोकप्रिय किया। सितार बहुआयामी साज होने के साथ ही एक ऐसा वाद्य यंत्र है, जिसके ज़रिये भावनाओं को प्रकट किया जाता हैं।{{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[सितार]] | ||
{ [[मुग़ल]] सम्राट [[अकबर]] किस वाद्ययंत्र को बहुत ही कुशलता से बजाता था? | { [[मुग़ल]] सम्राट [[अकबर]] किस वाद्ययंत्र को बहुत ही कुशलता से बजाता था? | ||
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- शहनाई | - शहनाई | ||
- वीणा | - वीणा | ||
||[[चित्र:Sitar.jpg|80px|सितार|right]]सितार परंपरिक वाद्य होने के साथ ही सबसे अधिक लोकप्रिय है, और सितार ऐसा वाद्य यंत्र है, जिसने पूरी दुनिया में हिन्दुस्तान का नाम लोकप्रिय किया। सितार बहुआयामी साज होने के साथ ही एक ऐसा वाद्य यंत्र है, जिसके ज़रिये भावनाओं को प्रकट किया जाता हैं।{{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[सितार]] | |||
{ नीरू स्वामी पिल्लई किस वाद्ययंत्र से सम्बन्धित हैं? | { नीरू स्वामी पिल्लई किस वाद्ययंत्र से सम्बन्धित हैं? | ||
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+ [[बाँसुरी]] वादन | + [[बाँसुरी]] वादन | ||
- मृदंग वादन | - मृदंग वादन | ||
||बाँसुरी की बजाने की तकनीक कलाएं समृद्ध ही नहीं, उस की किस्में भी विविधतापूर्ण हैं, जैसे मोटी लम्बी बांसुरी, पतली नाटी बांसुरी, सात छेदों वाली बांसुरी और ग्यारह छेदों वाली बांसुरी आदि देखने को मिलते हैं और उस की बजाने की शैली भी भिन्न रूपों में पायी जाती है। बाँसुरी, वंसी, वेणु, वंशिका आदि कई सुंदर नामो से सुसज्जित है।{{point}}विस्तार से पढ़ें:-[[बाँसुरी]] | ||[[चित्र:Bansuri.jpg|80px|right|बाँसुरी]] बाँसुरी की बजाने की तकनीक कलाएं समृद्ध ही नहीं, उस की किस्में भी विविधतापूर्ण हैं, जैसे मोटी लम्बी बांसुरी, पतली नाटी बांसुरी, सात छेदों वाली बांसुरी और ग्यारह छेदों वाली बांसुरी आदि देखने को मिलते हैं और उस की बजाने की शैली भी भिन्न रूपों में पायी जाती है। बाँसुरी, वंसी, वेणु, वंशिका आदि कई सुंदर नामो से सुसज्जित है।{{point}}विस्तार से पढ़ें:-[[बाँसुरी]] | ||
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Revision as of 14:25, 7 April 2011
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