प्रयोग:लक्ष्मी1: Difference between revisions
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-[[शिव]] | -[[शिव]] | ||
-[[गणेश]] | -[[गणेश]] | ||
||[[चित्र:Bhagwan-Shiv-1.jpg| | ||[[चित्र:Bhagwan-Shiv-1.jpg|शिव, पार्वती, गणेश और कार्तिकेय|100px|right]] पार्वती, पर्वतराज [[हिमालय]] और मेना की कन्या हैं। मेना और हिमवान ने आदिशक्ति के वरदान से आदिशक्ति को कन्या के रूप में प्राप्त किया। उसका नाम पार्वती रखा गया। वह भूतपूर्व [[सती]] तथा आदिशक्ति थीं। इन्हीं को [[उमा]], गिरिजा और शिवा भी कहते हैं।{{point}} अधिक जानकारी देखें:-[[पार्वती|पार्वती देवी]] | ||
{ निम्नलिखित में से कौन-सा हिन्दुस्तानी ताल नहीं है? | { निम्नलिखित में से कौन-सा हिन्दुस्तानी ताल नहीं है? | ||
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-वीणा | -वीणा | ||
-वायलिन | -वायलिन | ||
||[[चित्र:Sitar.jpg| | ||[[चित्र:Sitar.jpg|सितार|100px|right]]सितार के जन्म के विषय में विद्वानों के अनेक मत हैं। अभी तक किसी भी मत के पक्ष में कोई ठोस प्रमाण नहीं प्राप्त हो सका हैं। कुछ विद्वानों के मतानुसार इसका निर्माण वीणा के एक प्रकार के आधार पर हुआ है। भारतीयता को महत्त्व देने वाले भारतीय विद्वान इस मत को सहज में ही मान लेते हैं।{{point}} अधिक जानकारी देखें:-[[सितार]] | ||
{ '[[संगीत]]' गाने-बजाने की नवीन पद्धति है, जिसकी शुरुआत की थी- | { '[[संगीत]]' गाने-बजाने की नवीन पद्धति है, जिसकी शुरुआत की थी- | ||
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-[[स्वामी हरिदास]] | -[[स्वामी हरिदास]] | ||
-भारखण्डे | -भारखण्डे | ||
||[[चित्र:Amir-Khusro.jpg|100px|right]][[हिन्दी]] खड़ी बोली के पहले लोकप्रिय कवि अमीर ख़ुसरो ने कई गज़ल, ख़याल, कव्वाली, रुबाई, तराना की रचना की हैं। अमीर ख़ुसरो का जन्म सन 1253 ई. में [[एटा]] ([[उत्तरप्रदेश]]) के पटियाली नामक क़स्बे में [[गंगा]] किनारे हुआ था। अमीर ख़ुसरो मध्य [[एशिया]] की लाचन जाति के | ||[[चित्र:Amir-Khusro.jpg|100px|right]][[हिन्दी]] खड़ी बोली के पहले लोकप्रिय कवि अमीर ख़ुसरो ने कई गज़ल, ख़याल, कव्वाली, रुबाई, तराना की रचना की हैं। अमीर ख़ुसरो का जन्म सन 1253 ई. में [[एटा]] ([[उत्तरप्रदेश]]) के पटियाली नामक क़स्बे में [[गंगा]] किनारे हुआ था। अमीर ख़ुसरो मध्य [[एशिया]] की लाचन जाति के तुर्क सैफ़उद्दीन के पुत्र हैं। {{point}} अधिक जानकारी देखें:- [[अमीर ख़ुसरो]] | ||
{निम्नलिखित में से कौन '[[ध्रुपद]]' गायक नहीं थे? | {निम्नलिखित में से कौन '[[ध्रुपद]]' गायक नहीं थे? | ||
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-[[फ़ारसी भाषा]] | -[[फ़ारसी भाषा]] | ||
+[[ब्रज भाषा]] | +[[ब्रज भाषा]] | ||
||[[चित्र:Raskhan-2.jpg| | ||[[चित्र:Raskhan-2.jpg|रसखान के दोहे|100px|right]] ब्रजभाषा मूलत: ब्रजक्षेत्र की बोली है। विक्रम की 13वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक [[भारत]] में साहित्यिक भाषा रहने के कारण ब्रज की इस जनपदीय बोली ने अपने विकास के साथ भाषा नाम प्राप्त किया और ब्रजभाषा नाम से जानी जाने लगी। शुद्ध रूप में यह आज भी [[मथुरा]], [[आगरा]], [[धौलपुर]], [[अलीगढ़]] ज़िलों में बोली जाती है।{{point}} अधिक जानकारी देखें:-[[ब्रज भाषा]] | ||
{ 'धमार ताल' कितनी मात्रा का होता है? | { 'धमार ताल' कितनी मात्रा का होता है? |