दिल्ली का भूगोल: Difference between revisions

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दिल्ली की परिवर्तनशील जलवायु के कारण तीन वानस्पतिक काल होते हैं। वर्षा की कमी तथा भूमिगत जलस्तर के नीचे से प्राकृतिक वनस्पति का प्रर्याप्त विकास नहीं हो पाता। फूलों के क़रीब 1,000 प्रजातियाँ, जिनमे से अधिकाशं स्वदेशी मूल के है। यह यहाँ के वातावरण के अनुरुप ढल चुकी हैं, और दिल्ली शहर तथा आसपास के वातावरण में फलफूल रहे हैं। पहाड़ियों एव नदी के तटवर्ती भूभाग की वनस्पतियाँ स्पष्टत: भिन्न है। स्कंध क्षेत्र में पाई जाने वाली पर्वतीय वनस्पतियों में बबूल, जंगली खजूर तथा सघन झाड़ियाँ हैं। जिनमें कुछ फूलदार प्रजातियाँ भी शामिल हैं। यहाँ घास, बेले तथा लिपटने वाली अल्पायु लताएँ भी होती हैं, जो केवल बरसात के मौसम में पनपती हैं। दूसरी ओर नदी के तट के रेतीले एव क्षारीय भूभाग में विशेषकर मानसून व ठंड के महीने में वनस्पतियाँ समृद्ध एवं भिन्न हैं।
दिल्ली की परिवर्तनशील जलवायु के कारण तीन वानस्पतिक काल होते हैं। वर्षा की कमी तथा भूमिगत जलस्तर के नीचे से प्राकृतिक वनस्पति का प्रर्याप्त विकास नहीं हो पाता। फूलों के क़रीब 1,000 प्रजातियाँ, जिनमे से अधिकाशं स्वदेशी मूल के है। यह यहाँ के वातावरण के अनुरुप ढल चुकी हैं, और दिल्ली शहर तथा आसपास के वातावरण में फलफूल रहे हैं। पहाड़ियों एव नदी के तटवर्ती भूभाग की वनस्पतियाँ स्पष्टत: भिन्न है। स्कंध क्षेत्र में पाई जाने वाली पर्वतीय वनस्पतियों में बबूल, जंगली खजूर तथा सघन झाड़ियाँ हैं। जिनमें कुछ फूलदार प्रजातियाँ भी शामिल हैं। यहाँ घास, बेले तथा लिपटने वाली अल्पायु लताएँ भी होती हैं, जो केवल बरसात के मौसम में पनपती हैं। दूसरी ओर नदी के तट के रेतीले एव क्षारीय भूभाग में विशेषकर मानसून व ठंड के महीने में वनस्पतियाँ समृद्ध एवं भिन्न हैं।
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Revision as of 07:02, 9 June 2011

दिल्ली एक जलसंभर पर स्थित है। जो गंगा तथा सिंधु नदी प्रणालियों को विभाजित करता है। दिल्ली की सबसे महत्त्वपूर्ण स्थालाकृति विशेषता पर्वत स्कंध (रिज) है, जो राजस्थान प्रांत की प्राचीन अरावली पर्वत श्रेणियों का चरम बिंदु है। अरावली संभवत: दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत माला है, लेकिन अब यह पूरी तरह वृक्ष विहीन हो चुकी है। पश्चिमोत्तर पश्चिम तथा दक्षिण में फैला और तिकोने परकोट की दो भुजाओं जैसा लगने वाला यह स्कंध क्षेत्र 180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। कछारी मिट्टी के मैदान को आकृति की विविधता देता है तथा दिल्ली को कुछ उत्कृष्ट जीव व वनस्पतियाँ उपलब्ध कराता है। यमुना नदी त्रिभुजाकार परकोटे का तीसरा किनारा बताती है। इसी त्रिकोण के भीतर दिल्ली के प्रसिद्ध सात शहरों की उत्पत्ति ई.पू. 1000 से 17 वीं शताब्दी के बीच हुई। thumb|left|220px|दिल्ली(शाहजहाँबाद) का एक दृश्य, वर्ष 1858

जलवायु

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य
  • दिल्ली की जलवायु उपोष्ण है।
  • दिल्ली में गर्मी के महीने मई तथा जून बेहद शुष्क और झुलसाने वाले होते हैं।
  • दिन का तापमान कभी-कभी 40-45 सेल्सियस तक पहुँच जाता है।
  • मानसून जुलाई में आता है और तापमान को कम करता है।

वनस्पति

दिल्ली की परिवर्तनशील जलवायु के कारण तीन वानस्पतिक काल होते हैं। वर्षा की कमी तथा भूमिगत जलस्तर के नीचे से प्राकृतिक वनस्पति का प्रर्याप्त विकास नहीं हो पाता। फूलों के क़रीब 1,000 प्रजातियाँ, जिनमे से अधिकाशं स्वदेशी मूल के है। यह यहाँ के वातावरण के अनुरुप ढल चुकी हैं, और दिल्ली शहर तथा आसपास के वातावरण में फलफूल रहे हैं। पहाड़ियों एव नदी के तटवर्ती भूभाग की वनस्पतियाँ स्पष्टत: भिन्न है। स्कंध क्षेत्र में पाई जाने वाली पर्वतीय वनस्पतियों में बबूल, जंगली खजूर तथा सघन झाड़ियाँ हैं। जिनमें कुछ फूलदार प्रजातियाँ भी शामिल हैं। यहाँ घास, बेले तथा लिपटने वाली अल्पायु लताएँ भी होती हैं, जो केवल बरसात के मौसम में पनपती हैं। दूसरी ओर नदी के तट के रेतीले एव क्षारीय भूभाग में विशेषकर मानसून व ठंड के महीने में वनस्पतियाँ समृद्ध एवं भिन्न हैं।

  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


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टीका टिप्पणी और संदर्भ


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