इब्राहीम आदिलशाह द्वितीय: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 2: | Line 2: | ||
इब्राहीम आदिलशाह द्वितीय [[बीजापुर]] के [[आदिलशाही वंश]] का छठा सुल्तान था। उसने 1580 ई. से 1626 ई. तक शासन किया। उसकी माँ [[अहमदनगर]] की प्रसिद्ध शाहजादी, [[चाँद बीबी]] थी। इब्राहीम आदिलशाह द्वितीय जिस समय गद्दी पर बैठा, उस समय वह नाबालिग था और राज्य का प्रबंध 1584 ई. तक उसकी माँ देखती रही। 1584 ई. में चाँद बीबी अहमदनगर वापस लौट गयी। 1595 ई. में इब्राहीम आदिलशाह द्वितीय ने अहमदनगर के सुल्तान को पराजित कर मार डाला। परन्तु शीघ्र ही दोनों राज्यों को [[मुग़ल काल|मुग़ल साम्राज्य]] द्वारा आत्मसात् कर लिये जाने की योजना का सामना करना पड़ा। इब्राहीम आदिलशाह द्वितीय बहुत ही उदार शासक था। उसने अपने राज्य में [[हिन्दू]] और [[ईसाई धर्म|ईसाई]] प्रजा को पूरी धार्मिक आज़ादी दे रखी थी। उसने प्रशासन में कई सुधार किये, भूमि का बन्दोबस्त ठीक किया, [[गोवा]] के [[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] से मैत्री पूर्ण सम्बन्ध स्थापित किये, अपने राज्य का विस्तार [[मैसूर]] की सीमा तक किया, बीजापुर में कई सुन्दर इमारतें बनवायीं और प्रसिद्ध इतिहासकार मुहम्मद कासिम को—जो फ़रिश्ता के उपनाम से प्रसिद्ध है-आश्रय दिया। | इब्राहीम आदिलशाह द्वितीय [[बीजापुर]] के [[आदिलशाही वंश]] का छठा सुल्तान था। उसने 1580 ई. से 1626 ई. तक शासन किया। उसकी माँ [[अहमदनगर]] की प्रसिद्ध शाहजादी, [[चाँद बीबी]] थी। इब्राहीम आदिलशाह द्वितीय जिस समय गद्दी पर बैठा, उस समय वह नाबालिग था और राज्य का प्रबंध 1584 ई. तक उसकी माँ देखती रही। 1584 ई. में चाँद बीबी अहमदनगर वापस लौट गयी। 1595 ई. में इब्राहीम आदिलशाह द्वितीय ने अहमदनगर के सुल्तान को पराजित कर मार डाला। परन्तु शीघ्र ही दोनों राज्यों को [[मुग़ल काल|मुग़ल साम्राज्य]] द्वारा आत्मसात् कर लिये जाने की योजना का सामना करना पड़ा। इब्राहीम आदिलशाह द्वितीय बहुत ही उदार शासक था। उसने अपने राज्य में [[हिन्दू]] और [[ईसाई धर्म|ईसाई]] प्रजा को पूरी धार्मिक आज़ादी दे रखी थी। उसने प्रशासन में कई सुधार किये, भूमि का बन्दोबस्त ठीक किया, [[गोवा]] के [[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] से मैत्री पूर्ण सम्बन्ध स्थापित किये, अपने राज्य का विस्तार [[मैसूर]] की सीमा तक किया, बीजापुर में कई सुन्दर इमारतें बनवायीं और प्रसिद्ध इतिहासकार मुहम्मद कासिम को—जो फ़रिश्ता के उपनाम से प्रसिद्ध है-आश्रय दिया। | ||
{{प्रचार}} | |||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार= | |आधार= |
Revision as of 05:28, 14 June 2011
thumb|इब्राहीम आदिलशाह द्वितीय इब्राहीम आदिलशाह द्वितीय बीजापुर के आदिलशाही वंश का छठा सुल्तान था। उसने 1580 ई. से 1626 ई. तक शासन किया। उसकी माँ अहमदनगर की प्रसिद्ध शाहजादी, चाँद बीबी थी। इब्राहीम आदिलशाह द्वितीय जिस समय गद्दी पर बैठा, उस समय वह नाबालिग था और राज्य का प्रबंध 1584 ई. तक उसकी माँ देखती रही। 1584 ई. में चाँद बीबी अहमदनगर वापस लौट गयी। 1595 ई. में इब्राहीम आदिलशाह द्वितीय ने अहमदनगर के सुल्तान को पराजित कर मार डाला। परन्तु शीघ्र ही दोनों राज्यों को मुग़ल साम्राज्य द्वारा आत्मसात् कर लिये जाने की योजना का सामना करना पड़ा। इब्राहीम आदिलशाह द्वितीय बहुत ही उदार शासक था। उसने अपने राज्य में हिन्दू और ईसाई प्रजा को पूरी धार्मिक आज़ादी दे रखी थी। उसने प्रशासन में कई सुधार किये, भूमि का बन्दोबस्त ठीक किया, गोवा के पुर्तग़ालियों से मैत्री पूर्ण सम्बन्ध स्थापित किये, अपने राज्य का विस्तार मैसूर की सीमा तक किया, बीजापुर में कई सुन्दर इमारतें बनवायीं और प्रसिद्ध इतिहासकार मुहम्मद कासिम को—जो फ़रिश्ता के उपनाम से प्रसिद्ध है-आश्रय दिया।
|
|
|
|
|