युद्ध सन्धियाँ: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
m (Adding category Category:औपनिवेशिक काल (को हटा दिया गया हैं।)) |
m (Adding category Category:आधुनिक काल (को हटा दिया गया हैं।)) |
||
Line 25: | Line 25: | ||
[[Category:इतिहास कोश]] | [[Category:इतिहास कोश]] | ||
[[Category:औपनिवेशिक काल]] | [[Category:औपनिवेशिक काल]] | ||
[[Category:आधुनिक काल]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
Revision as of 15:32, 7 July 2011
भारतीय इतिहाक में समय-समय पर कई ऐतिहासिक सन्धियाँ हुई हैं। इन सन्धियों के द्वारा भारत की राजनीति ने न जाने कितनी ही बार एक अलग ही दिशा प्राप्त की। भारतीय रियासतों में आपस में कई युद्ध लड़े गए। देशी रियासतों की आपसी फूट भी इस हद तक बढ़ चुकी थी, कि अंग्रेज़ों ने उसका पूरा लाभ उठाया। राजपूतों, मराठों और मुसलमानों में भी कई सन्धियाँ हुईं। भारत के इतिहास में अधिकांश सन्धियों का लक्ष्य सिर्फ़ एक ही था, दिल्ली सल्तनत पर हुकूमत। अंग्रेज़ों ने ही अपनी सूझबूझ और चालाकी व कूटनीति से दिल्ली की हुकूमत प्राप्त की थी। हालाँकि उन्हें भारत में अपने पाँव जमाने के लिए काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा था, फिर भी उन्होंने भारतियों की आपसी फूट का लाभ उठाते हुए इसे एक लम्बे समय तक ग़ुलाम बनाये रखा था। भारतीय इतिहास में हुई कुछ प्रमुख सन्धियों का विवरण इस प्रकार से है-
प्रमुख ऐतिहासिक सन्धियाँ
अलीनग की सन्धि - यह सन्धि 9 फ़रवरी, 1757 ई. को बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और ईस्ट इंडिया कम्पनी के बीच हुई थी। इस संधि में अंग्रेजों के प्रतिनिध के रूप में रॉबर्ट क्लाइव और वाटसन शामिल थे। अमृतसर की सन्धि - यह सन्धि 28 अप्रैल, 1809 ई. में महाराजा रणजीत सिंह और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुई थी। इस संधि के समय भारत के गवर्नर-जनरल लॉर्ड मिण्टो प्रथम थे, जिन्होंने ईस्ट इण्डिया कंपनी की ओर से कम्पनी का प्रतिनिधित्व किया था।
- इलाहाबाद की सन्धि - यह सन्धि 1765 ई. में रॉबर्ट क्लाइव और मुग़ल बादशाह शाहआलम द्वितीय के बीच में हुई थी।
- उदयपुर की सन्धि - यह सन्धि 1818 ई. में उदयपुर के राजा राणा और अंग्रेजों के बीच हुई।
- गंडमक की सन्धि - यह सन्धि 1879 ई. में वायसराय लॉर्ड लिटन प्रथम और अफ़ग़ानिस्तान के अपदस्थ अमीर 'शेरअली' के बीच की गई।
- देवगाँव की संधि - 17 दिसम्बर, 1803 ई. को 'देवगाँव की सन्धि' हुई थी। यह सन्धि रघुजी भोंसले द्वितीय और अंग्रेज़ों के बीच हुई थी।
- पुरन्दर की सन्धि - यह सन्धि मार्च, 1776 ई. में मराठों और ईस्ट इण्डिया कंपनी के बीच के बीच सम्पन्न हुई।
- पूना की सन्धि - 1817 ई. में यह सन्धि पेशवा बाजीराव द्वितीय और अंग्रेजों के बीच की गई थी।
- बड़गाँव की सन्धि - यह सन्धि 1779 ई. में मराठों और ईस्ट इण्डिया कम्पनी के बीच (प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध के समय) हुई थी। इस संधि पर अंग्रेजों की ओर से 'कर्नल काकवर्न' ने हस्ताक्षर किया था।
- बनारस की सन्धि - भारतीय इतिहास में बनारस की दो सन्धियाँ हुई हैं-
- प्रथम संधि - बनारस की प्रथम सन्धि 1773 ई. में अवध के नवाब शुजाउद्दौला और अंग्रेज ईस्ट इंण्डिया कम्पनी के बीच सम्पन्न हुई।
- द्वितीय संधि - बनारस की द्वितीय सन्धि 1776 ई में काशी नरेश चेतसिंह और ईस्ट इण्डिया कंपनी के बीच में हुई थी।
- बसई की सन्धि - बसीन या 'बसई की सन्धि' 31 दिसम्बर, 1802 ई. में मराठा पेशवा बाजीराव द्वितीय और अंग्रेजों के हुई थी।
- सालबाई की सन्धि - यह सन्धि 1782 में महादजी शिन्दे और ईस्ट इण्डिया कंपनी के मध्य सम्पन्न हुई।
- सुर्जी अर्जुनगाँव की सन्धि - 1803 में यह सन्धि अंग्रेजों और दौलतराव शिन्दे के बीच की गई थी।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख