संत ज्ञानेश्वर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 4: Line 4:
|अन्य नाम=
|अन्य नाम=
|जन्म=1271 ईसवी
|जन्म=1271 ईसवी
|जन्म भूमि=[[गोदावरी नदी]]
|जन्म भूमि=[[महाराष्ट्र]]
|मृत्यु=
|मृत्यु=
|मृत्यु स्थान=
|मृत्यु स्थान=
Line 10: Line 10:
|पति/पत्नी=
|पति/पत्नी=
|संतान=
|संतान=
|गुरु=
|गुरु=निवृत्तिनाथ
|कर्म भूमि=[[महाराष्ट्र]]
|कर्म भूमि=[[महाराष्ट्र]]
|कर्म-क्षेत्र=साहित्य
|कर्म-क्षेत्र=साहित्य
Line 55: Line 55:
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.dj6qo.de/dnye/Dnbiography.htm SAINT DNYANESHWAR]
*[http://www.hindupedia.com/en/Sant_Dnyaneshwar hindupedia]
==संबंधित लेख==
{{भारत के संत}}
{{भारत के संत}}
[[Category:धर्म प्रवर्तक और संत]][[Category:कवि]][[Category:आध्यात्मिक गुरु]] [[Category:साहित्य कोश]]  
[[Category:धर्म प्रवर्तक और संत]][[Category:कवि]][[Category:आध्यात्मिक गुरु]] [[Category:साहित्य कोश]]  
__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 12:13, 12 August 2011

संत ज्ञानेश्वर
पूरा नाम संत ज्ञानेश्वर
जन्म 1271 ईसवी
जन्म भूमि महाराष्ट्र
गुरु निवृत्तिनाथ
कर्म भूमि महाराष्ट्र
कर्म-क्षेत्र साहित्य
मुख्य रचनाएँ ज्ञानेश्वरी, अमृतानुभव
भाषा मराठी
प्रसिद्धि योगमार्ग के पुरस्कर्ता
  • संत ज्ञानेश्वर महाराष्ट्र के एक महान संत थे, जिन्होंने ज्ञानेश्वरी की रचना की। संत ज्ञानेश्वर की गणना भारत के महान संतों एवं मराठी कवियों में होती है।
  • संत ज्ञानेश्वर का जन्म 1271 ईसवी में गोदावरी नदी के पास छोटे से गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम विट्ठल पंत था; जिनकी चार संतानों में सबसे बड़े निवृत्तिनाथ, उसके बाद ज्ञानेश्वर, सोपानदेव और पुत्री मुक्ताबाई थे।[1]
  • प्राचीन भागवत सम्प्रदाय का अवशेष आज भी भारत के दक्षिण प्रवेश में विद्यमान है। महाराष्ट्र में इस सम्प्रदाय के पूर्वाचार्य संत ज्ञानेश्वर नाथसम्प्रदाय के अंतर्गत योगमार्ग के पुरस्कर्ता माने जाते हैं, उसी प्रकार भक्तिमार्ग में वे विष्णुस्वामी संप्रदाय के पुरस्कर्ता माने जाते हैं। फिर भी योगी ज्ञानेश्वर ने मराठों में 'अमृतानुभव' लिखा जो अद्वैतवादी शैव परम्परा में आता है। निदान, ज्ञानेश्वर सच्चे भागवत थे, क्योंकि भागवत धर्म की यही विशेषता है कि वह शिव और विष्णु में अभेद बुद्धि रखता है।
  • ज्ञानेश्वर ने भगवदगीता के ऊपर मराठी भाषा में एक 'ज्ञानेश्वरी' नामक 10,000 पद्यों का ग्रंथ लिखा है। यह भी अद्वैत- वादी रचना है किंतु यह योग पर भी बल देती है। 28 अभंगों (छंदों) की इन्होंने 'हरिपाठ' नामक एक पुस्तिका लिखी है जिस पर भागवतमत का प्रभाव है।
  • भक्ति का उदगार इससे अत्यधिक है। मराठी संतों में ये प्रमुख समझे जाते हैं। इनकी कविता दार्शनिक तथ्यों से पूर्ण है तथा शिक्षित जनता पर अपना गहरा प्रभाव डालती है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. Gyaneshwar (अंग्रेज़ी) (एच.टी.एम.एल) iloveindia.com। अभिगमन तिथि: 2 मई, 2011

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख