दीक्षा: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 12: Line 12:
=====<u>"क्ष" का अर्थ</u>=====
=====<u>"क्ष" का अर्थ</u>=====
"क्ष" का अर्थ क्षय करना है। उपासना करते करते जब हमारी मनोस्थिति परमात्मा में लीन होने लगती है उस क्षण में जो वासना जलकर नष्ट होती है, उसे क्षय कहते हैं।
"क्ष" का अर्थ क्षय करना है। उपासना करते करते जब हमारी मनोस्थिति परमात्मा में लीन होने लगती है उस क्षण में जो वासना जलकर नष्ट होती है, उसे क्षय कहते हैं।
=====<u>का अर्थ</u>=====
=====<u>का अर्थ</u>=====
"" का अर्थ आनंद है। मन, बुद्धि, चित्त आदि के विषय - काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, इन सभी विकारों का अवकाश जब हमारे जीवन में होने लगता है और अंतःकरण में दिव्य चेतना का प्रकाश होते ही प्रसन्नता, समता, प्रेम प्रकट होने लगता है, उस क्षण का नाम आनंद है। जब हमारा जीव भाव, [[शिव]] भाव में परिणित होता है, उस अवस्था का नाम [[आनंद]] है, जो शब्द का नहीं अनुभव का विषय होता है।<ref>{{cite web |url=http://abhinavteerth.blogspot.com/2010/01/normal-0-false-false-false.html |title=दीक्षा का अर्थ |accessmonthday=[[20 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=अभिनव तीर्थ् |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
"" का अर्थ आनंद है। मन, बुद्धि, चित्त आदि के विषय - काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, इन सभी विकारों का अवकाश जब हमारे जीवन में होने लगता है और अंतःकरण में दिव्य चेतना का प्रकाश होते ही प्रसन्नता, समता, प्रेम प्रकट होने लगता है, उस क्षण का नाम आनंद है। जब हमारा जीव भाव, [[शिव]] भाव में परिणित होता है, उस अवस्था का नाम [[आनंद]] है, जो शब्द का नहीं अनुभव का विषय होता है।<ref>{{cite web |url=http://abhinavteerth.blogspot.com/2010/01/normal-0-false-false-false.html |title=दीक्षा का अर्थ |accessmonthday=[[20 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=अभिनव तीर्थ् |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
{{शब्द संदर्भ लघु
{{शब्द संदर्भ लघु
|हिन्दी=सोमयागादि का संकल्प-पूर्वक अनुष्ठान करना,[[यज्ञ]] करना, यजन, दीक्ष।
|हिन्दी=सोमयागादि का संकल्प-पूर्वक अनुष्ठान करना,[[यज्ञ]] करना, यजन, दीक्ष।
|व्याकरण=स्त्रीलिंग, धातु
|व्याकरण=स्त्रीलिंग, धातु
|उदाहरण='''दीक्षा''' का अर्थ है-गुरु के पास रहकर सीखी गई शिक्षा का समापन।
|उदाहरण='''दीक्षा''' का अर्थ है-गुरु के पास रहकर सीखी गई शिक्षा का समापन।
|विशेष=उपनयन संस्कार, जिसमें विधिपूर्वक गुरु से मंत्रोपदेश लिया जाता है।
|विशेष=[[उपनयन संस्कार]], जिसमें विधिपूर्वक गुरु से मंत्रोपदेश लिया जाता है।
|पर्यायवाची=देना-लेना, गुरुमंत्र, पूजन।
|पर्यायवाची=देना-लेना, गुरुमंत्र, पूजन।
|संस्कृत=[दीक्ष (यज्ञ करना)+अ-टाप]
|संस्कृत=[दीक्ष (यज्ञ करना)+अ-टाप]

Revision as of 10:18, 29 August 2011

गुरु के पास रहकर सीखी गई शिक्षा के समापन को दीक्षा कहा जाता है। माना जाता है कि शिक्षा हमारे जीवन में हमारी दशा को सुधारती है परन्तु दीक्षा हमें एक नित्य दिशा देती है। कहा जाता है कि मानव को शिक्षा पुस्तकों से, समाज के लोगों से, नित्य निरंतर प्राप्त होती है परन्तु दीक्षा यानि दिशा किसी महापुरुष से ही प्राप्त हो सकती है। स्वामी विवेकानंद के पास भौतिक शिक्षा का भण्डार तो था परन्तु रामकृष्ण ने जब उन्हें दीक्षा दी तो उनके जीवन में एक नयी दिशा का प्रादुर्भाव हुआ।

पौराणिक अर्थ

माना जाता है कि दीक्षा का अर्थ वेदोंपुराणों में विभिन्न रूपों से हमारे महाॠषियों ने प्रदान किया है। अगर हम दीक्षा शब्द को देखें तो इसमें दो व्यंजन और दो स्वर मिले हुए हैं –

  • "द"
  • "ई"
  • "क्ष"
  • "आ"
द का अर्थ

"द" का अर्थ है दमन है। सदगुरुओं से ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात विवेक से जब संकल्पवान होकर संसार, शरीर के विषयों से निरासक्त, अपने मन को एकाग्र करके अनुकूलता का जीवन जीने का अभ्यास करते हैं उसे दमन कहते हैं या इन्द्रियों का निग्रह मन का निग्रह का नाम दमन है।

ई का अर्थ

"ई" का अर्थ ईश्वर उपासना है। विषयातीत मानसिक बुद्धि को सदगुरु और शास्त्र के द्वारा बतायी हुई विधि के अनुसार परमात्मा में एक ही भाव से स्थिर रखने का नाम ईश्वर उपासना है।

"क्ष" का अर्थ

"क्ष" का अर्थ क्षय करना है। उपासना करते करते जब हमारी मनोस्थिति परमात्मा में लीन होने लगती है उस क्षण में जो वासना जलकर नष्ट होती है, उसे क्षय कहते हैं।

आ का अर्थ

"आ" का अर्थ आनंद है। मन, बुद्धि, चित्त आदि के विषय - काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, इन सभी विकारों का अवकाश जब हमारे जीवन में होने लगता है और अंतःकरण में दिव्य चेतना का प्रकाश होते ही प्रसन्नता, समता, प्रेम प्रकट होने लगता है, उस क्षण का नाम आनंद है। जब हमारा जीव भाव, शिव भाव में परिणित होता है, उस अवस्था का नाम आनंद है, जो शब्द का नहीं अनुभव का विषय होता है।[1]

शब्द संदर्भ
हिन्दी सोमयागादि का संकल्प-पूर्वक अनुष्ठान करना,यज्ञ करना, यजन, दीक्ष।
-व्याकरण    स्त्रीलिंग, धातु
-उदाहरण   दीक्षा का अर्थ है-गुरु के पास रहकर सीखी गई शिक्षा का समापन।
-विशेष    उपनयन संस्कार, जिसमें विधिपूर्वक गुरु से मंत्रोपदेश लिया जाता है।
-विलोम   
-पर्यायवाची    देना-लेना, गुरुमंत्र, पूजन।
संस्कृत [दीक्ष (यज्ञ करना)+अ-टाप]
अन्य ग्रंथ
संबंधित शब्द
संबंधित लेख

अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. दीक्षा का अर्थ (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) अभिनव तीर्थ्। अभिगमन तिथि: 20 अक्टूबर, 2010