संविधान संशोधन- 24वाँ: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''भारत का संविधान (24वाँ संशोधन) अधिनियम, 1971''' *भारत के स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
Line 6: Line 6:
*इसने गोलकनाथ  के  मामले के प्रभाव को ही दूर नहीं किया, बल्कि संशोधन शक्ति को और विस्तृत करने के लिए इन शब्दों को भी जोड़ दिया कि संशोधन की शक्ति में किसी उपबन्ध के जोड़ने, परिवर्तित करने और निरसित करने की शक्ति भी शामिल है।
*इसने गोलकनाथ  के  मामले के प्रभाव को ही दूर नहीं किया, बल्कि संशोधन शक्ति को और विस्तृत करने के लिए इन शब्दों को भी जोड़ दिया कि संशोधन की शक्ति में किसी उपबन्ध के जोड़ने, परिवर्तित करने और निरसित करने की शक्ति भी शामिल है।
*अनुच्छेद 13 में एक नया खण्ड जोड़कर यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि अनुच्छेद 13 के अर्थांतर्गत अनुच्छेद 368 के अधीन पारित सांविधानिक संशोधन 'विधि' नहीं है।  
*अनुच्छेद 13 में एक नया खण्ड जोड़कर यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि अनुच्छेद 13 के अर्थांतर्गत अनुच्छेद 368 के अधीन पारित सांविधानिक संशोधन 'विधि' नहीं है।  
*केशवानंद भारती बनाम [[केरल]] राज्य के बाद में [[उच्चतम न्यायालय]] ने संविधान के (24वें संशोधन) अधिनियम को विधिमान्य घोषित किया है।   
*केशवानंद भारती बनाम [[केरल]] राज्य के वाद में [[उच्चतम न्यायालय]] ने संविधान के (24वें संशोधन) अधिनियम को विधिमान्य घोषित किया है।   


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

Revision as of 05:25, 31 August 2011

भारत का संविधान (24वाँ संशोधन) अधिनियम, 1971

  • भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
  • यह संशोधन गोलकनाथ के मामले में उत्पन्न स्थिति के संदर्भ में पारित हुआ।
  • तदनुसार इस अधिनियम द्वारा मूल अधिकारों सहित संविधान में संशोधन करने के संसद के अधिकारों के बारे में सभी प्रकार के संदेहों को दूर करने के लिए अनुच्छेद 13 और अनुच्छेद 368 में संशोधन किया गया।
  • संशोधन रूप में अनुच्छेद 368 द्वारा यह स्पष्ट कर दिया गया कि इसमें संविधान-संशोधन करने की प्रक्रिया और शक्ति दोनों शामिल हैं।
  • इसने गोलकनाथ के मामले के प्रभाव को ही दूर नहीं किया, बल्कि संशोधन शक्ति को और विस्तृत करने के लिए इन शब्दों को भी जोड़ दिया कि संशोधन की शक्ति में किसी उपबन्ध के जोड़ने, परिवर्तित करने और निरसित करने की शक्ति भी शामिल है।
  • अनुच्छेद 13 में एक नया खण्ड जोड़कर यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि अनुच्छेद 13 के अर्थांतर्गत अनुच्छेद 368 के अधीन पारित सांविधानिक संशोधन 'विधि' नहीं है।
  • केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के वाद में उच्चतम न्यायालय ने संविधान के (24वें संशोधन) अधिनियम को विधिमान्य घोषित किया है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख