संविधान संशोधन- 75वाँ: Difference between revisions

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*[[भारत]] के संविधान में एक और [[संविधान संशोधन|संशोधन]] किया गया।
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*इन दिनों विभिन्न राज्यों में जो किराया नियंत्रण कानून लागू हैं, उनमें कई खामियाँ हैं, जिनके कारण अनेक अवांछनीय परिणाम हो रहे हैं।  
*इन दिनों विभिन्न राज्यों में जो किराया नियंत्रण क़ानून लागू हैं, उनमें कई खामियाँ हैं, जिनके कारण अनेक अवांछनीय परिणाम हो रहे हैं।  
*किराया नियंत्रण कानूनों के कुछ वैधानिक दुष्परिणाम हैं-लगातार बढ़ती हुई मुकदमेबाजी, न्यायलायों द्वारा समय पर न्याय न दे पाना, किराया नियंत्रण कानूनों से बचने के तरीके निकालना और किराए के लिए मिल सकने वाले मकानों की निरंतर कमी।
*किराया नियंत्रण क़ानूनों के कुछ वैधानिक दुष्परिणाम हैं-लगातार बढ़ती हुई मुकदमेबाजी, न्यायलायों द्वारा समय पर न्याय न दे पाना, किराया नियंत्रण क़ानूनों से बचने के तरीके निकालना और किराए के लिए मिल सकने वाले मकानों की निरंतर कमी।
*[[उच्चतम न्यायालय]] ने देश में किराया नियंत्रण कानूनों की अनिश्चित और तर्करहित स्थिति को ध्यान में रखते हुए प्रभाकरण नय्यर और अन्य बनाम [[तमिलनाडु]] राज्य (सिविल रिट पेटीशन संख्या 506 ऑफ़ 1986) तथा अन्य रिट याचिकाओं के संर्दभ में यह विचार प्रकट किया था कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों को किराया कानूनों के जबर्दस्त भार से मुक्त कर दिया जाना चाहिए।  
*[[उच्चतम न्यायालय]] ने देश में किराया नियंत्रण क़ानूनों की अनिश्चित और तर्करहित स्थिति को ध्यान में रखते हुए प्रभाकरण नय्यर और अन्य बनाम [[तमिलनाडु]] राज्य (सिविल रिट पेटीशन संख्या 506 ऑफ़ 1986) तथा अन्य रिट याचिकाओं के संर्दभ में यह विचार प्रकट किया था कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों को किराया क़ानूनों के जबर्दस्त भार से मुक्त कर दिया जाना चाहिए।  
*इन मुकदमों में अपील करने के अवसर कम कर दिए जाने चाहिए।  
*इन मुकदमों में अपील करने के अवसर कम कर दिए जाने चाहिए।  
*किराया नियंत्रण कानून, सरल, विवेकपूर्ण और स्पष्ट होने चाहिए।  
*किराया नियंत्रण क़ानून, सरल, विवेकपूर्ण और स्पष्ट होने चाहिए।  
*मुकदमेबाजी जल्दी ही अवश्य समाप्त हो जानी चाहिए।
*मुकदमेबाजी जल्दी ही अवश्य समाप्त हो जानी चाहिए।



Revision as of 11:59, 10 September 2011

भारत का संविधान (75वाँ संशोधन) अधिनियम,1994

  • भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
  • इन दिनों विभिन्न राज्यों में जो किराया नियंत्रण क़ानून लागू हैं, उनमें कई खामियाँ हैं, जिनके कारण अनेक अवांछनीय परिणाम हो रहे हैं।
  • किराया नियंत्रण क़ानूनों के कुछ वैधानिक दुष्परिणाम हैं-लगातार बढ़ती हुई मुकदमेबाजी, न्यायलायों द्वारा समय पर न्याय न दे पाना, किराया नियंत्रण क़ानूनों से बचने के तरीके निकालना और किराए के लिए मिल सकने वाले मकानों की निरंतर कमी।
  • उच्चतम न्यायालय ने देश में किराया नियंत्रण क़ानूनों की अनिश्चित और तर्करहित स्थिति को ध्यान में रखते हुए प्रभाकरण नय्यर और अन्य बनाम तमिलनाडु राज्य (सिविल रिट पेटीशन संख्या 506 ऑफ़ 1986) तथा अन्य रिट याचिकाओं के संर्दभ में यह विचार प्रकट किया था कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों को किराया क़ानूनों के जबर्दस्त भार से मुक्त कर दिया जाना चाहिए।
  • इन मुकदमों में अपील करने के अवसर कम कर दिए जाने चाहिए।
  • किराया नियंत्रण क़ानून, सरल, विवेकपूर्ण और स्पष्ट होने चाहिए।
  • मुकदमेबाजी जल्दी ही अवश्य समाप्त हो जानी चाहिए।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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