छत्तीसगढ़ का भूगोल: Difference between revisions
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*[[छत्तीसगढ़]] राज्य [[मध्य प्रदेश]] के दक्षिण-पूर्व में 17°46' उत्तरी अक्षांश से 24°5' उत्तरी अक्षांश तथा 80°15' पूर्वी देशांतर से 84°15' पूर्वी देशांतर रेखाओं के मध्य स्थित है। | *[[छत्तीसगढ़]] राज्य [[मध्य प्रदेश]] के दक्षिण-पूर्व में 17°46' उत्तरी [[अक्षांश]] से 24°5' उत्तरी अक्षांश तथा 80°15' पूर्वी देशांतर से 84°15' पूर्वी देशांतर रेखाओं के मध्य स्थित है। | ||
*छत्तीसगढ़ का कुल भौगोलिक क्षेत्रअफल 1,35,194 वर्ग किमी. है। इसकी उत्तरी-दक्षिण लम्बाई 360 किमी. तथा पूर्व-पश्चिम चौड़ाई 140 किमी. है। | *छत्तीसगढ़ का कुल भौगोलिक क्षेत्रअफल 1,35,194 वर्ग किमी. है। इसकी उत्तरी-दक्षिण लम्बाई 360 किमी. तथा पूर्व-पश्चिम चौड़ाई 140 किमी. है। | ||
*छत्तीसगढ़ के उत्तर में [[उत्तर प्रदेश]], उत्तरी-पूर्वी सीमा में [[झारखण्ड]], दक्षिण-पूर्व में [[ओडिशा]] राज्य स्थित है। | *छत्तीसगढ़ के उत्तर में [[उत्तर प्रदेश]], उत्तरी-पूर्वी सीमा में [[झारखण्ड]], दक्षिण-पूर्व में [[ओडिशा]] राज्य स्थित है। |
Revision as of 11:12, 25 November 2011
- छत्तीसगढ़ राज्य मध्य प्रदेश के दक्षिण-पूर्व में 17°46' उत्तरी अक्षांश से 24°5' उत्तरी अक्षांश तथा 80°15' पूर्वी देशांतर से 84°15' पूर्वी देशांतर रेखाओं के मध्य स्थित है।
- छत्तीसगढ़ का कुल भौगोलिक क्षेत्रअफल 1,35,194 वर्ग किमी. है। इसकी उत्तरी-दक्षिण लम्बाई 360 किमी. तथा पूर्व-पश्चिम चौड़ाई 140 किमी. है।
- छत्तीसगढ़ के उत्तर में उत्तर प्रदेश, उत्तरी-पूर्वी सीमा में झारखण्ड, दक्षिण-पूर्व में ओडिशा राज्य स्थित है।
- दक्षिण में आन्ध्र प्रदेश, दक्षिण-पश्चिम में महाराष्ट्र तथा उत्तरी-पश्चिम भाग में मध्य प्रदेश स्थित है।
- छत्तीसगढ़ राज्य में तीन सम्भाग व 16 ज़िले हैं। यह प्रदेश भारत के कुल क्षेत्रफल का 4.11% है।
- क्षेत्रेफल की दृष्टि से छत्तीसगढ़ का क्षेत्रफल 16 रज्यों से अधिक है। यह राज्य अनेक छोटे-छोटे राज्यों से बड़ा है।
- छत्तीसगढ़ का क्षेत्रफल पंजाब, हरियाणा एवं केरल इन तीनों राज्यों से योग से अधिक है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ का सम्भाग बस्तर[1] का विस्तार केरल के क्षेत्रफल से बड़ा है।
- छत्तीसगढ़ राज्य की नदियाँ
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
नदियाँ जीवनदायिनी होती हैं। किसी भी राष्ट्र या राज्य के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, भौतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास में इनका प्रमुख स्थान है। नदियाँ पेयजल, सिंचाई और परिवहन का प्रमुख स्रोत रही हैं, जिसके कारण आदिकाल से ही सभ्यताओं का विकास नदियों किनारे स्थित है। नदियों से भूमि के ढाल के विषय में जानकारी प्राप्त होती है किसी राज्य का अपवाह तन्त्र वहाँ के उच्चावच एवं भूमि के ढाल पर निर्भर करता है। ये नदियाँ अपने प्रवाह के साथ विभिन्न प्रकार के महत्त्वपूर्ण तत्त्व लाकर अपने तटों पर बिछा देती हैं, जो तत्त्व कृषि में बहुत ही सहायक होते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 39,114 वर्ग किमी.