कर्नाटक की अर्थव्यवस्था: Difference between revisions
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कर्नाटक की लगभग 70 प्रतिशत जनता कृषि कार्य में लगी है। तटीय मैदान में सघन खेती होती है, जहाँ प्रमुख खाद्यान्न चावल और प्रमुख नकदी गन्ना है। अन्य प्रमुख फ़सलों में ज्वार और रागी शामिल हैं। अन्य नकदी फ़सलों में काजू, इलायची, सुपारी और अंगूर प्रमुख हैं। पश्चिमी घाट की ठंडी ढलानों पर कॉफी और चाय के बागान हैं। पूर्वी क्षेत्र में सिंचाई के कारण गन्ने और अल्प मात्रा में रबड़ केले व संतरे जैसे फलों की खेती संभव हो सकी है। पश्चिमोत्तर में मिलने वाली काली मिट्टी में कपास,तिलहन और मूंगफली की फ़सलें उगाई जाती है।
पश्चिम में मलनाड क्षेत्र के जंगलों में सागौन, चंदन व बांस मिलते हैं और अन्य वनोपजों में चर्मरंजक गोद लाख (गोंद के जैसा पदार्थ, जिसका उपयोग वार्विश के निर्माण में होता है) शामिल हैं। अन्य वृक्षों में यूकलिप्टस और शीशम आते हैं। मैसूर नगर में चंदन के तेल का प्रसंस्करण होता है और यह राज्य की अग्रणी निर्यात सामग्री है।
खनिज
कुछ स्थानों पर कर्नाटक की उच्च खनिज भंडार वाली पूर्व कैंब्रियन युग की चट्टानें हैं, जो कम से कम 57 करोड़ वर्ष पुरानी हैं। कर्नाटक भारत में क्रोमाइट का सबसे बड़ा उत्पादन है; यह देश में मैग्नेसाइट उत्पादन दो राज्यों में से एक (दूसरा राज्य तमिलनाडु) है। उच्च गुणवत्ता वाले लौह अयस्क भंडार मुख्यत: चिकमगलूर और चित्रदुर्ग ज़िलों में हैं; अल्प मात्रा में अभ्रक ताम्र अयस्क, बॉक्साइट, रक्तमणि का भी खनन होता है। भारत में सोना इस क्षेत्र में स्थित कोलार स्वर्ण क्षेत्र से निकाला जाता है। राष्ट्रीयकृत हो चुकी सोने की प्रमुख खानें 2,743 मीटर तक गहरी हैं।
उद्योग
राज्य के खनिज संसाधन, भद्रावती में लौह और इस्पात उद्योग और बंगलोर में भारी इंजीनियरिंग कारख़ाने को आधार प्रदान करते है। राज्य के अन्य उद्योगों में सूती वस्त्र की मिलें चीनी प्रसंस्करण, वस्त्र निर्माण, खाद्य सामग्री, बिजली की मशीनरी उर्वरक, सीमेंट और काग़ज़ उद्योग शामिल हैं। मैसूर शहर बंगलोर दोनों में प्राचीन काल से स्थापित रेशम उद्योग है, जहाँ भारत के मलबेरी रेशम का अधिकांश हिस्सा उत्पादित होता है। जोग जलप्रपात के पास स्थित शरवती परियोजना कर्नाटक के उद्योगों को बिजली प्रदान करने वाले अनेक जलविद्युत संयंत्रों में सबसे बड़ी है।
परिवहन
पश्चिमी घाट के अवरोध के कारण पहले बंदरगाहों को अंतस्थ पठार से जोंडने वाले रेल मार्ग का निर्माण नहीं हो पाया था। लेकिन अब बंगलोर, हासन के रास्ते मंगलोर से जुड़ गया है। दक्षिण-पूर्व में स्थित बंगलोर रेल परिवहन का प्रमुख केंद्र है। दक्षिण-पश्चिम स्थित मंगलोर बंदरगाह गोवा मार्ग से कोंकण रेलवे के माध्यम से मुंबई (भूतपूर्व बंबई) से जुड़ा हुआ है। आयात और निर्यात व्यापार प्राथमिक रूप से सड़क परिवहन पर निर्भर है, लेकिन राज्य के पश्चिमी हिस्से में स्थित अनेक सड़कें बारिश के मौसम में चलने लायक़ नहीं रहती। राष्ट्रीय राजमार्ग बंगलोर से पूर्व में चेन्नई (भूतपूर्व मद्रास) उत्तर में हैदराबाद, पश्चिमोत्तर में मुंबई और पश्चिम में हासन के रास्ते मंगलोर बंदरगाह तक जाता है। बंगलोर, बेलगांव और मंगलोर में हवाई अड्डे हैं।
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