दामोदर मास: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "रूण" to "रुण")
m (श्रेणी:ऋतु (को हटा दिया गया हैं।))
Line 19: Line 19:


==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
[[Category:ऋतु]]
[[Category:संस्कृति कोश]]
[[Category:संस्कृति कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Revision as of 10:34, 22 April 2012

दामोदर मास को कार्तिक मास भी कहा जाता है। देखें कार्तिक

भगवान श्री कृष्ण को वनस्पतियों में तुलसी, पुण्यक्षेत्रों में द्वारिकापुरी, तिथियों में एकादशी और महीनों में कार्तिक विशेष प्रिय है- कृष्णप्रियो हि कार्तिक:, कार्तिक: कृष्णवल्लभ:। इसलिए कार्तिक मास को अत्यंत पवित्र और पुण्यदायक माना गया है।

ग्रंथों के अनुसार

भविष्य पुराण

भविष्य पुराण की कथा के अनुसार, एक बार कार्तिक महीने में श्रीकृष्ण को राधा से कुंज में मिलने के लिए आने में विलंब हो गया। कहते हैं कि इससे राधा क्रोधित हो गईं। उन्होंने श्रीकृष्ण के पेट को लताओं की रस्सी बनाकर उससे बांध दियां वास्तव में माता यशोदा ने किसी पर्व के कारण कन्हैया को घर से बाहर निकलने नहीं दिया था। जब राधा को वस्तुस्थिति का बोध हुआ, तो वे लज्जित हो गईं। उन्होंने तत्काल क्षमा याचना की और दामोदर श्रीकृष्ण को बंधनमुक्त कर दिया। इसलिए कार्तिक माह 'श्रीराधा-दामोदर मास' भी कहलाता है।

पद्म पुराण

पद्म पुराण में उल्लेख है कि पूर्व जन्म में आजीवन एकादशी और कार्तिक व्रत का अनुष्ठान करने से ही सत्यभामा को कृष्ण की अर्द्धांगिनी होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। व्रत और तप की दृष्टि से कार्तिक मास को परम कल्याणकारी, श्रेष्ठ और दुर्लभ कहा गया है-

स्कंदपुराण

स्कंद पुराण के अनुसार, कार्तिक के माहात्म्य के बारे में नारायण ने ब्रह्मा को, ब्रह्मा ने नारद को और नारद ने महाराज पृथु को अवगत कराया था। पद्मपुराण के अनुसार, रात्रि में भगवान विष्णु के समीप जागरण, प्रात: काल स्नान करने, तुलसी की सेवा, उद्यापन और दीपदान ये सभी कार्तिक मास के पांच नियम हैं। इस मास के दौरान विधिपूर्वक स्नान-पूजन, भगवद्कथा श्रवण और संकीर्तन किया जाता है। इस समय वारुण स्नान, यानी जलाशय में स्नान का विशेष महत्व है। तीर्थ-स्नान का भी असीम महत्व है। भक्तगण ब्रज में इस माह के दौरान श्रीराधाकुंड में स्नान और परिक्रमा करते हैं। 'नमो रमस्ते तुलसि पापं हर हरिप्रिये' मंत्रोच्चार कर तुलसी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि दामोदर मास में राधा के विधिपूर्वक पूजन से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं, क्योंकि राधा को प्रसन्न करने के सभी उपक्रम भगवान दामोदर को अत्यंत प्रिय हैं।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख