हम्मीर देव: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "फौज" to "फ़ौज")
No edit summary
Line 6: Line 6:
*अन्त में 1301 ई. में सुल्तान ने स्वयं क़िला घेर लिया उसे फ़तेह कर लिया।
*अन्त में 1301 ई. में सुल्तान ने स्वयं क़िला घेर लिया उसे फ़तेह कर लिया।


{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय इतिहास कोश |लेखक= सच्चिदानन्द भट्टाचार्य|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=490|url=}}
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय इतिहास कोश |लेखक= सच्चिदानन्द भट्टाचार्य|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=490|url=}}
Line 12: Line 12:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{चौहान वंश}}
{{चौहान वंश}}
[[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:चौहान वंश]]
[[Category:चरित कोश]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:चौहान वंश]]
__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 09:22, 11 September 2012

हम्मीर देव रणथम्भौर का चौहान राजा था, जिसने 1282 से 1301 ई. तक अपनी मृत्यु पर्यन्त राज्य किया। हम्मीर ने बड़ी आनबान और शान के साथ अपना शासन आरम्भ किया। उसने मालवा का एक भाग तथा गढ़मंडल जीत लिया था। हम्मीर देव ने अपने राज्य की सीमा मालवा में उज्जैन तक तथा राजपूताना में आबू पर्वत तक बढ़ा ली थी।

  • हम्मीर इतना शक्तिशाली था कि सुल्तान अलाउद्दीन ख़िलजी ने 1291 ई. में रणथम्भौर का क़िला सर करने का प्रयत्न त्याग दिया।
  • बाद में हम्मीर ने अलाउद्दीन ख़िलजी की सेना के बगावत करने वाले सरदारों को शरण देकर उसकी खुली अवहेलना की।
  • उसने सुल्तान की फ़ौज के दो हमलों को विफल कर दिया था।
  • अन्त में 1301 ई. में सुल्तान ने स्वयं क़िला घेर लिया उसे फ़तेह कर लिया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 490 |


संबंधित लेख