जुरवान: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{पुनरीक्षण}} '''जुरवान''' प्राचीन ईरानी और पारसी धर्म ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m (Text replace - " कायम" to " क़ायम")
Line 2: Line 2:
'''जुरवान''' प्राचीन ईरानी और [[पारसी धर्म]] में समय के [[देवता]]। जुरवान का प्रारंभिक उल्लेख 13वीं से 12वीं शताब्दी ई.पू. की नूज़ी पट्टिकाओं में मिलता है।
'''जुरवान''' प्राचीन ईरानी और [[पारसी धर्म]] में समय के [[देवता]]। जुरवान का प्रारंभिक उल्लेख 13वीं से 12वीं शताब्दी ई.पू. की नूज़ी पट्टिकाओं में मिलता है।
*विकास, परिपक्वता और क्षय के देवता के रूप में भी माने जाने वाले जुरवान दो स्वरूपों, अनंत समय और लंबी अवधि के समय में सामने आए।  
*विकास, परिपक्वता और क्षय के देवता के रूप में भी माने जाने वाले जुरवान दो स्वरूपों, अनंत समय और लंबी अवधि के समय में सामने आए।  
*इनमें बाद वाले अनंत समय से प्रकट होते हैं, 12 हज़ार [[वर्ष|वर्षों]] तक कायम रहते हैं और पुनः उसमें समा जाते हैं।  
*इनमें बाद वाले अनंत समय से प्रकट होते हैं, 12 हज़ार [[वर्ष|वर्षों]] तक क़ायम रहते हैं और पुनः उसमें समा जाते हैं।  
*जुरवान मूलतः तीन अन्य देवताओं: वायु (हवा), थ्वष्ट (अंतरिक्ष) व अतर ([[अग्नि]]) से संबंधित थे।
*जुरवान मूलतः तीन अन्य देवताओं: वायु (हवा), थ्वष्ट (अंतरिक्ष) व अतर ([[अग्नि]]) से संबंधित थे।
*पारसी धर्म के रूपांतरित स्वरूप में जुरवानवाद [[फ़ारस]] में सासानी काल (तीसरी-सातवी शताब्दी) में उदित हुआ।  
*पारसी धर्म के रूपांतरित स्वरूप में जुरवानवाद [[फ़ारस]] में सासानी काल (तीसरी-सातवी शताब्दी) में उदित हुआ।  

Revision as of 14:16, 29 January 2013

चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

जुरवान प्राचीन ईरानी और पारसी धर्म में समय के देवता। जुरवान का प्रारंभिक उल्लेख 13वीं से 12वीं शताब्दी ई.पू. की नूज़ी पट्टिकाओं में मिलता है।

  • विकास, परिपक्वता और क्षय के देवता के रूप में भी माने जाने वाले जुरवान दो स्वरूपों, अनंत समय और लंबी अवधि के समय में सामने आए।
  • इनमें बाद वाले अनंत समय से प्रकट होते हैं, 12 हज़ार वर्षों तक क़ायम रहते हैं और पुनः उसमें समा जाते हैं।
  • जुरवान मूलतः तीन अन्य देवताओं: वायु (हवा), थ्वष्ट (अंतरिक्ष) व अतर (अग्नि) से संबंधित थे।
  • पारसी धर्म के रूपांतरित स्वरूप में जुरवानवाद फ़ारस में सासानी काल (तीसरी-सातवी शताब्दी) में उदित हुआ।
  • जुरवानी सिद्धांतों ने अहुर मज़्दा और अंग्र मैन्यु (अर्हिमन) को बराबर बताया, जिसका सच्चे पारसियों ने जमकर विरोध किया।
  • जुरवानी विचारधारा ने निथ्राइवाद, मानीवाद और गूढ़ज्ञानवादी विश्वास की अन्य विचारधाराओं को प्रभावित किया।
  • सातवीं शताब्दी में ईरान पर इस्लाम की विजय के कुछ सौ वर्ष के बाद जुरवानवाद समाप्त हो गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख