कॉल्विन ताल्लुकेदार कॉलेज: Difference between revisions

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[[कॉल्विन ताल्लुकेदार स्कूल|कॉल्विन तालुकेदार्स कालेज‎]] जनपद [[लखनऊ]] में स्थित है।  
[[कॉल्विन ताल्लुकेदार स्कूल|कॉल्विन तालुकेदार्स कालेज‎]] जनपद [[लखनऊ]] में स्थित है। अवध और आगरा प्रान्त के मुख्य आयुक्त सर आकलेन्ड काल्विन इस कालेज के सन्थापक थे।
==इतिहास ==
==इतिहास ==
सुरम्य [[गोमती]] के तट पर 80 एकड भूमि के विस्तार में फैले  इस कालेज '''{{PAGENAME}}''' की स्थापना 11 मार्च 1891 को अवध और आगरा प्रान्त के मुख्य आयुक्त सर आक्लैन्ड काल्विन की थी। काल्विन ने इसके मुख्य भवन की नींव रखी थी परन्तु वास्तव में यह विद्यालय वर्ष [[1892]] में प्रारंभ हो सका जब इसमें तत्कालीन रजवाडों और [[तालुकदार]] के पाल्यो ने दाखिला लिया । इसमें प्रवेश की एकमात्र तथा अंतिम शर्त राजघराने का पुत्र या पाल्य होना ही थी। यह संस्था विशुद्ध रूप से रजवाडों के पाल्यों को अंग्रजी माध्यम से शिक्षा दिलाने के लिये स्थापित की गयी थी अतः इसमें छात्रों की संख्या 50 से उपर न होती थी। जिस वर्ष इस की छात्र संख्या ने 100 का आंकडा छुआ उस दिन प्रसन्नतावश विद्यालय में एक दिन का अवकाश घोषित किया गया। <ref>हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा बुलेटिन संख्या 378 </ref>[[चित्र:Ocland colvin.jpg|thumb|right|200px|सर आकलेन्ड काल्विन ]] [[1891]] मे अवध और आगरा प्रान्त के मुख्य आयुक्त सर आकलेन्ड काल्विन कलेज के सन्थापक
सुरम्य [[गोमती]] के तट पर 80 एकड भूमि के विस्तार में फैले  इस कालेज '''{{PAGENAME}}''' की स्थापना [[11 मार्च]] [[1891]] को अवध और आगरा प्रान्त के मुख्य आयुक्त सर आक्लैन्ड काल्विन की थी। काल्विन ने इसके मुख्य भवन की नींव रखी थी परन्तु वास्तव में यह विद्यालय वर्ष [[1892]] में प्रारंभ हो सका जब इसमें तत्कालीन रजवाडों और [[तालुकदार]] के पाल्यो ने दाखिला लिया । इसमें प्रवेश की एकमात्र तथा अंतिम शर्त राजघराने का पुत्र या पाल्य होना ही थी। यह संस्था विशुद्ध रूप से रजवाडों के पाल्यों को अंग्रजी माध्यम से शिक्षा दिलाने के लिये स्थापित की गयी थी अतः इसमें छात्रों की संख्या 50 से उपर न होती थी। जिस वर्ष इस की छात्र संख्या ने 100 का आंकडा छुआ उस दिन प्रसन्नतावश विद्यालय में एक दिन का अवकाश घोषित किया गया। <ref>हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा बुलेटिन संख्या 378 </ref>


==व्यवस्था==
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मेरा दाख़िला लखनऊ के मशहूर स्कूल कॉल्विन ताल्लुक़ेदार कॉलेज में छटी क्लास में करा दिया जाता है। पहले यहाँ सिर्फ़, ताल्लुक़ेदारों के बेटे पढ़ सकते थे, अब मेरे जैसे कमज़ातों को भी दाख़िला मिल जाता है। अब भी बहुत महँगा स्कूल है... मेरी फ़ीस सत्रह रुपये महीना है (यब बात बहुत अच्छी तरह याद है, इसलिए की रोज... जाने दीजिए)। मेरी क्लास में कई बच्चे घड़ी बाँधते हैं। वो सब बहुत अमीर घरों के हैं। ............ मैंने फैसला कर लिया है कि बड़ा होकर अमीर बनूँगा...<ref>अपनी आत्मकथा तरकश में इस कालेज का जिक्र करते हुये जावेद अख्तर</ref>=[[जावेद अख्तर]]
मेरा दाख़िला लखनऊ के मशहूर स्कूल कॉल्विन ताल्लुक़ेदार कॉलेज में छटी क्लास में करा दिया जाता है। पहले यहाँ सिर्फ़, ताल्लुक़ेदारों के बेटे पढ़ सकते थे, अब मेरे जैसे कमज़ातों को भी दाख़िला मिल जाता है। अब भी बहुत महँगा स्कूल है... मेरी फ़ीस सत्रह रुपये महीना है (यब बात बहुत अच्छी तरह याद है, इसलिए की रोज... जाने दीजिए)। मेरी क्लास में कई बच्चे घड़ी बाँधते हैं। वो सब बहुत अमीर घरों के हैं। ............ मैंने फैसला कर लिया है कि बड़ा होकर अमीर बनूँगा...<ref>अपनी आत्मकथा तरकश में इस कालेज का जिक्र करते हुये जावेद अख्तर</ref>=[[जावेद अख्तर]]
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इस कालेज में शिक्षा ग्रहण कर विभिन्न क्षेत्रों में  प्रसिद्धि पाने वालों में प्रमुख व्यक्ति इस प्रकार है।
इस कालेज में शिक्षा ग्रहण कर विभिन्न क्षेत्रों में  प्रसिद्धि पाने वालों में प्रमुख व्यक्ति इस प्रकार है।
'''विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख व्यक्ति'''
'''विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख व्यक्ति'''
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*[http://www.colvincollege.org/home.aspx अधिकारिक वेवसाइट]
*[http://www.colvincollege.org/home.aspx अधिकारिक वेवसाइट]


[[श्रेणी:लखनऊ के विद्यालय]]
==संबंधित लेख==
 
[[Category:कालेज‎]]]
[[en:Colvin Taluqdars' College]]

Revision as of 03:35, 8 February 2013

thumb|right|250px|[http://www.colvincollege.org/home.aspx कॉल्विन तालुकेदार्स कालेज] कॉल्विन तालुकेदार्स कालेज‎ जनपद लखनऊ में स्थित है। अवध और आगरा प्रान्त के मुख्य आयुक्त सर आकलेन्ड काल्विन इस कालेज के सन्थापक थे।

इतिहास

सुरम्य गोमती के तट पर 80 एकड भूमि के विस्तार में फैले इस कालेज कॉल्विन ताल्लुकेदार कॉलेज की स्थापना 11 मार्च 1891 को अवध और आगरा प्रान्त के मुख्य आयुक्त सर आक्लैन्ड काल्विन की थी। काल्विन ने इसके मुख्य भवन की नींव रखी थी परन्तु वास्तव में यह विद्यालय वर्ष 1892 में प्रारंभ हो सका जब इसमें तत्कालीन रजवाडों और तालुकदार के पाल्यो ने दाखिला लिया । इसमें प्रवेश की एकमात्र तथा अंतिम शर्त राजघराने का पुत्र या पाल्य होना ही थी। यह संस्था विशुद्ध रूप से रजवाडों के पाल्यों को अंग्रजी माध्यम से शिक्षा दिलाने के लिये स्थापित की गयी थी अतः इसमें छात्रों की संख्या 50 से उपर न होती थी। जिस वर्ष इस की छात्र संख्या ने 100 का आंकडा छुआ उस दिन प्रसन्नतावश विद्यालय में एक दिन का अवकाश घोषित किया गया। [1]

व्यवस्था

इस कालेज में शिक्षा पाने के लिये राजघराने का पाल्य होने की शर्त को 1933 में हटा लिया गया था। 1965 में इस विद्यालय को भारत सरकार द्वारा देश के प्रमुख विद्यालयों के रूप में चिन्हित करते हुये मेधावी छात्रों को शिक्षित करने के लिये अधिसूचित किया गया।इस कालेज मे प्राचार्य तथा उपप्राचार्य अंग्रेज ही हुआ करते थे । विद्यालय आज भी बी0 आई 0 ए0 (ब्रिटिश इन्डिया एसोसिएशन) नामक संस्था के सहयोग से चलता है।

उपलब्धियां

विद्यालय उज्जैन, तक्षशिला, नालन्दा, सांची, और अजन्ता नामक पांच प्रमुख हाउस में बंटा हुआ है। यह् लखनऊ का एक ऐसा विद्यालय है जिसमे भारत की अनेक प्रमुख हस्तियो जैसे अरुण नेहरू , जावेद अख्तर, बाबा सहगल आदि ने शिक्षा प्राप्त की है ।

अपनी आत्मकथा तरकश में इस कालेज का जिक्र करते हुये जावेद अख्तर ने लिखा है -

मेरा दाख़िला लखनऊ के मशहूर स्कूल कॉल्विन ताल्लुक़ेदार कॉलेज में छटी क्लास में करा दिया जाता है। पहले यहाँ सिर्फ़, ताल्लुक़ेदारों के बेटे पढ़ सकते थे, अब मेरे जैसे कमज़ातों को भी दाख़िला मिल जाता है। अब भी बहुत महँगा स्कूल है... मेरी फ़ीस सत्रह रुपये महीना है (यब बात बहुत अच्छी तरह याद है, इसलिए की रोज... जाने दीजिए)। मेरी क्लास में कई बच्चे घड़ी बाँधते हैं। वो सब बहुत अमीर घरों के हैं। ............ मैंने फैसला कर लिया है कि बड़ा होकर अमीर बनूँगा...[2]=जावेद अख्तर

इस कालेज में शिक्षा ग्रहण कर विभिन्न क्षेत्रों में प्रसिद्धि पाने वालों में प्रमुख व्यक्ति इस प्रकार है। विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख व्यक्ति

  • रजा हुसैन नामी भूगर्भवेत्ता
  • असित देसाई वैमानिकी प्रमुख बंगलौर

राजनीतिज्ञ

  • अवधेश सिंह
  • अमरनाथ वर्मा
  • जीतेन्द्र प्रसाद

प्रशासनिक अधिकारी

  • एस0बी0 एम0 त्रिपाठी सदस्य राज्य मावाधिकार आयोग पूर्व पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश
  • अनिल स्वरूप आई ए एस


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा बुलेटिन संख्या 378
  2. अपनी आत्मकथा तरकश में इस कालेज का जिक्र करते हुये जावेद अख्तर

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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