दालचीनी: Difference between revisions

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'''दालचीनी''' [[दक्षिण भारत]] का एक प्रमुख वृक्ष है। इस वृक्ष की छाल को औषधि और मसालों के रूप में प्रयोग किया जाता है। दालचीनी एक छोटा सदाबहार पेड़ होता है, जो कि 10–15 मीटर (32.8–49.2 फीट) ऊँचा होता है। दालचीनी के पेड़ अधिकतर [[श्रीलंका]] और [[दक्षिण भारत]] में पाये जाते हैं।  
'''दालचीनी''' [[दक्षिण भारत]] का एक प्रमुख वृक्ष है। इस वृक्ष की छाल को औषधि और मसालों के रूप में प्रयोग किया जाता है। दालचीनी एक छोटा सदाबहार पेड़ होता है, जो कि 10–15 मीटर (32.8–49.2 फीट) ऊँचा होता है। दालचीनी के पेड़ अधिकतर [[श्रीलंका]] और [[दक्षिण भारत]] में पाये जाते हैं।  
==अन्य नाम==
==अन्य नाम==
दालचीनी के अन्य नामों में तवाक, लवानगमू, डालोचाइनी आदि हैं।
दालचीनी के अन्य नामों में तवाक, लवानगमू, डालोचाइनी आदि हैं।[[चित्र:Cinnamon.jpg|thumb|left|दालचीनी]]
==औषधीय गुण==
==औषधीय गुण==
====मधुमेह के रोगियों के लिये====
====मधुमेह के रोगियों के लिये====
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Revision as of 10:03, 22 June 2013

दालचीनी
जगत पादप (Plantae)
संघ मैग्नोलियोफाइटा (Magnoliophyta)
वर्ग मैग्नोलियोप्सीडा (Magnoliopsida)
गण लूरेल्स (Laurales)
कुल लूरेसी (Lauraceae)
जाति सिन्नामोमम (Cinnamomum)
प्रजाति वेरम (verum)
द्विपद नाम सिन्नामोमम वेरम (Cinnamomum verum)
अन्य नाम तवाक, लवानगमू, डालोचाइनी
अन्य जानकारी इस वृक्ष की छाल को औषधि और मसालों के रूप में प्रयोग किया जाता है। दालचीनी के पेड़ अधिकतर श्रीलंका और दक्षिण भारत में पाये जाते हैं।

दालचीनी दक्षिण भारत का एक प्रमुख वृक्ष है। इस वृक्ष की छाल को औषधि और मसालों के रूप में प्रयोग किया जाता है। दालचीनी एक छोटा सदाबहार पेड़ होता है, जो कि 10–15 मीटर (32.8–49.2 फीट) ऊँचा होता है। दालचीनी के पेड़ अधिकतर श्रीलंका और दक्षिण भारत में पाये जाते हैं।

अन्य नाम

दालचीनी के अन्य नामों में तवाक, लवानगमू, डालोचाइनी आदि हैं।thumb|left|दालचीनी

औषधीय गुण

मधुमेह के रोगियों के लिये

दालचीनी कैल्शियम और फाइबर का एक बहुत अच्छा स्रोत है। दालचीनी मधुमेह को सन्तुलित करने के लिए एक प्रभावी औषधि है, इसलिए इसे गरीब आदमी का इंसुलिन भी कहते हैं। दालचीनी ना सिर्फ खाने का जायका बढ़ाती है, बल्कि यह शरीर में रक्त शर्करा को भी नियंत्रण में रखता है। जिन लोगों को मधुमेह नहीं है वे इसका सेवन करके मधुमेह से बच सकते हैं। और जो मधुमेह के मरीज हैं वे इसके सेवन से रक्त में ग्शर्करा के स्तर को कम कर सकते है।

सेवन विधि
  • 1 कप पानी में दालचीनी पाउडर को उबालकर, छानकर रोजाना सुबह पियें। इसे कॉफी में भी मिलाकर पी सकते हैं। इसे सेवन करने से मधुमेह में लाभ होगा।
  • रोज तीन ग्राम दालचीनी लेने से न केवल रक्त शर्करा की मात्रा कम होती है, बल्कि सही से भूख भी लगती है।
  • दालचीनी को पीसकर चाय में चुटकी भर मिलाकर रोज दिन में दो तीन बार पीएं। इससे मधुमेह की बीमारी में आराम मिलेगा।
  • दालचीनी और पानी के घोल के प्रयोग से रक्त में शर्करा के स्तर में कमी आ जाती है।[1]

दालचीनी और शहद का प्रयोग

दालचीनी सुगंधित, पाचक, उत्तेजक, और जीवाणुरोधी है। यह पेट रोग, इंफ्यूएंजा, टाइफाइड, टीबी और कैंसर जैसे रोगों में उपयोगी पाई गई हैं। दालचीनी और शहद का प्रयोग हमारे यहाँ सदियों से होता रहा है। दालचीनी और शहद के मिश्रण को सोने पर सुहागा कहा जाता है। गठिया, दमा, पथरी, दाँत का दर्द, सर्दी-खाँसी, पेट रोग, थकान, यहाँ तक कि गंजेपन का भी इलाज इस मिश्रण के द्वारा किया जा सकता है। आयुर्वेद और यूनानी पद्धति में तो शहद एक शक्तिवर्धक औषधि के रूप में लंबे समय से प्रयुक्त की जा रही है। इसके विभिन्न गुण अब दुनिया भर में किए जा रहे शोधों से उजागर हो रहे हैं। कनाडा से प्रकाशित 'वीकली वर्ल्ड न्यूज' में पश्चिमी वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध के आधार पर दालचीनी और शहद से ठीक होने वाले रोगों की एक सूची दी गई है। त्वचा और शरीर को चमकदार और स्वस्थ बनाने के लिए इन दोनों का उपयोग करना चाहिए। दालचीनी और शहद का योग पेट रोगों में भी लाभकारी है। पेट यदि गड़बड़ है तो इसके लेने से पेट दर्द ठीक हो जाता है और पेट के छाले भी खत्म हो जाते हैं। खाना खाने से पहले दो चम्मच शहद पर थोड़ा-सा दालचीनी पावडर बुरककर चाटने से कब्ज में राहत मिलती है और खाना अच्छे से पचता है।[1]

हृदय रोगों के लिए

शहद और दालचीनी के पावडर का काढ़ा बनाएं और इसे रोटी पर चुपड़कर खाएं। घी या जेली के स्थान पर यह पेस्ट इस्तेमाल करें। इससे आपकी धमनियों में कोलेस्टरोल जमा नहीं होगा और हृदयाघात से बचाव होगा। जिन लोगों को एक बार हृदयाघात का दौरा पड़ चुका है वे अगर इस उपचार को करेंगे तो अगले हृदयाघात से बचे रहेंगे। इसका नियमित उपयोग करने से द्रुत श्वास की कठिनाई दूर होगी। हृदय की धडकन में शक्ति का समावेश होगा। अमेरिका और कनाडा के कई नर्सिंग होम में प्रयोग किये गये हैं और यह निष्कर्ष आया है कि जैसे-जैसे मनुष्य बूढा होता है, उसकी धमनियां और शिराएं कठोर हो जाती हैं। शहद और दालचीने के मिश्रण से धमनी काठिन्य रोग में हितकारी प्रभाव देखा गया है। बढे हुए कोलेस्टरोल में दो बडे चम्मच शहद और तीन चाय चम्मच दालचीनी पावडर मिलाकर आधा लीटर मामूली गरम जल के साथ लें। इससे सिर्फ़ 2 घंटे में रक्त का कोलेस्टरोल लेवल 10 प्रतिशत नीचे आ जाता है। और दिन मे तीन बार लेते रहने से कोलेस्टरोल बढे हुए पुराने रोगी भी ठीक हो जाते हैं। [1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 दालचीनी - अमृत औषधि (हिंदी) Vaidic Health Tips। अभिगमन तिथि: 22 जून, ।

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