मेरे सपनों का भारत -अब्दुल कलाम: Difference between revisions

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Revision as of 14:38, 14 December 2013

मेरे सपनों का भारत -अब्दुल कलाम
लेखक ए.पी.जे. अब्दुल कलाम तथा डॉ. ए. शिवताणु पिल्लै
मूल शीर्षक 'मेरे सपनों का भारत'
प्रकाशक प्रभात प्रकाशन
प्रकाशन तिथि 22 जून, 2006
ISBN 81-7315-468-6
देश भारत
पृष्ठ: 199
भाषा हिन्दी
पुस्तक क्रमांक 1656
टिप्पणी पुस्तक 'मेरे सपनों का भारत' में लेखकद्वय डॉ. कलाम व डॉ. ए. शिवताणु पिल्लै ने इस स्वप्न को साकार करने की प्रक्रिया का बड़ी ही सूक्ष्मता और गहराई से विश्लेषण किया है।

मेरे सपनों का भारत भारत के ग्याहरवें राष्ट्रपति और 'मिसाइल मैन' के नाम से प्रसिद्ध 'ए.पी.जे. अब्दुल कलाम' की चर्चित पुस्तक है। इस पुस्तक का प्रकाशन 'प्रभात प्रकाशन' द्वारा 22 जून, 2006 को किया गया। वर्ष 2020 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के स्वप्न का बड़ी ही सूक्ष्मता और गहराई के साथ इस पुस्तक में विश्लेषण किया गया है।

पुस्तक अंश

भारत के पूर्व राष्ट्रपति महामहिम डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का स्वप्न है कि वर्ष 2020 तक भारत एक विकसित राष्ट्र बने। पुस्तक 'मेरे सपनों का भारत' में लेखकद्वय डॉ. कलाम व डॉ. ए. शिवताणु पिल्लै ने इस स्वप्न को साकार करने की प्रक्रिया का बड़ी ही सूक्ष्मता और गहराई से विश्लेषण किया है। विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में छात्र, युवा, किसान, वैज्ञानिक, इंजीनियर, तकनीशियन, चिकित्सक, चिकित्सा कर्मी, शिक्षाविद्, उद्योगपति, सैन्य कर्मी, राजनेता, प्रशासक, अर्थशास्त्री, कलाकार और खिलाड़ियों की क्या-क्या भूमिका हो सकती है, इसके बारे में भी उन्होंने महत्त्वपूर्ण सुझाव दिए हैं।[1]

हाल के वर्षों में जीवन-स्तर को बेहतर बनाने में प्रौद्योगिकी एक ऐसा इंजन है, जिसमें देश को विकास तथा संपन्नता की ओर ले जाने और राष्ट्रों के समूह में उसे आवश्यक प्रतिस्पर्धा लाभ उपलब्ध कराने की क्षमता है। इस प्रकार भारत को एक विकसित देश में बदलने में प्रौद्योगिकी की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। आज भारत के पास प्रक्षेपण यानों, मिसाइलों तथा वायुयानों के सिस्टम डिजाइन, सिस्टम इंजीनियरिंग, सिस्टम इंटीग्रेशन तथा सिस्टम मैनेजमेंट की योग्यता और महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के विकास की क्षमता है। पुस्तक में इन सभी पहलुओं पर अनुकरणीय प्रकाश डाला गया है।

प्रस्तावना

'मेरे सपनों का भारत' पुस्तक की प्रस्तावना में डॉ. अब्दुल कलाम कहते हैं कि पिछले चार वर्षों के दौरान मैंने भारत के लगभग सभी भागों का भ्रमण किया है और जीवन के सभी क्षेत्रों से संबंधित लोगों के संपर्क में आया हूँ; जैसे- छात्र, युवा, किसान, वैज्ञानिक इंजीनियर, तकनीशियन, चिकित्सक, चिकित्सा कर्मचारी, शिक्षाविद्, उद्योगपति, सशस्त्र सैन्य कर्मी, अध्यापिका नेता, राजनेता, प्रशासक, अर्थाशस्त्री, कलाकार खिलाड़ी, शारीरिक तथा मानसिक रूप से विकलांग एवं ग्रामीण जनता। भारतीय जनता के विभिन्न वर्गों के संपर्क में आकर मैंने बहुत कुछ सीखा है। स्कूली बच्चों तथा युवाओं ने मेरे वेबसाइट के माध्यम से भी मुझे संपर्क किया। उन्होंने भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने तथा इस लक्ष्य को प्राप्त करने में अपनी भूमिका के बारे में कई महत्त्वपूर्ण सुझाव दिए। मैं बच्चों तथा युवाओं से प्राप्त कई सुझावों में से कुछ का उल्लेख करना चाहता हूँ।[1]

  • मेघालय के एक छात्र ने कहा, "मुझे शिक्षण कार्य पसन्द है, क्योंकि इससे बच्चों को हमारे देश के अच्छे एवं श्रेष्ठ नागरिकों के रूप में आकार दिया जा सकता है। इसीलिए मैं एक शिक्षक या अपने देश की रक्षा के लिए सैनिक बनना चाहता हूँ।"
  • पांडिचेरी की अन्य बालिका ने कहा, "एक धागे में कई फूल पिरोकर ही माला बनाई जा सकती है। इसलिए मैं विकसित भारत के स्वप्न को साकार करने के लिए अपने देशवासियों को देश से प्यार करने तथा मन की एकता के लिए कार्य करने को प्रेरित करूँगी।"
  • गोवा के एक बालक ने कहा, ‘मैं एक इलेक्ट्रॉन बन जाऊँगा और ऑरबिट में स्थित इलेक्ट्रॉन की तरह अपने देश के लिए अनवरत कार्य करता रहूँगा।"

जब हम भारत में रॉकेट, प्रक्षेपण यान, मिसाइल प्रणालियाँ तथा संबंधित प्रौद्योगिकियाँ विकसित कर रहे थे तो कई कारणों से विकसित विश्व ने हमें प्रौद्योगिकी प्रदान करने से इनकार कर दिया। इसने युवा मस्तिष्कों को चुनौती देने का काम किया। प्रौद्योगिकी न मिलने पर प्रौद्योगिकी प्राप्त की जाती है। आज भारत के पास प्रक्षेपण यानों, मिसाइलों तथा वायुयानों के सिस्टम डिजाइन, सिस्टम इंजीनियरिंग, सिस्टम इंटीग्रेशन तथा सिस्टम मैनेजमेंट की योग्यता और महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के विकास की क्षमता है। स्कूल एवं कॉलेज विद्यार्थियों को दिए गए भाषणों तथा वर्त्ताओं में युवाओं की भागीदारी विलक्षण तथा विचारोत्तेजक रही है। भारत के युवाओं के साथ इन विचार-विमर्शों ने ही हमें भारत को विकसित देश बनाने के स्वप्न तथा अपने अनुभवों को बाँटने के लिए प्रेरित किया। भारत के पास प्रयोजन-लक्षित कार्यक्रमों के प्रबंधन के कई सफल अनुभव रहे हैं। हम प्रौद्योगिकी के महत्त्व तथा नीतियों के निर्माण और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में उसकी भूमिका को मान्यता देते हैं। आज समय में अनुकूल एक उपयुक्त वातावरण के निर्माण तथा भारत को ऐसे विद्वत्तापूर्ण समाज में रूपांतरित करने की आवश्यकता है। संसाधनों तथा युवाओं की क्षमता के सदुपयोग के लिए रचनात्मक नेतृत्व अनिवार्य है।[1]

अब समाज के सभी वर्गों, विशेषकर युवाओं तथा बच्चों, में एक विकसित भारत में रहने तथा उसके लिए कार्य करने की भावना उत्पन्न हुई है। यहाँ तक कि विदेशों में रह रहे भारतीय परिवारों ने भी भारत को एक विकसित देश बनाने के लक्ष्य में हिस्सा लेने की इच्छा अभिव्यक्त की है। इसी कारण इस पुस्तक को लिखने की आवश्यकता महसूस हुई। पुस्तक मेरे सपनों का भारत में समाज पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव तथा वर्ष 2020 एक विकसित भारत के लक्ष्य के संबंध में विस्तार से चर्चा की गई है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 मेरे सपनों का भारत (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 14 दिसम्बर, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

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