विरुपाक्ष मन्दिर: Difference between revisions
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'''विरुपाक्ष मन्दिर''' [[ | '''विरुपाक्ष मन्दिर''' [[हम्पी]], [[कर्नाटक]] के कई आकर्षणों में से मुख्य है। 15वीं [[शताब्दी]] में निर्मित यह मन्दिर बाज़ार क्षेत्र में स्थित है। यह नगर के सबसे प्राचीन स्मारकों में से एक है। 1509 ई. में अपने अभिषेक के समय [[कृष्णदेव राय]] ने यहाँ गोपुड़ा का निर्माण करवाया था। भगवान 'विठाला' या भगवान '[[विष्णु]]' को यह मन्दिर समर्पित है। विरुपाक्ष मन्दिर को 'पंपापटी' नाम से भी जाना जाता है। मन्दिर का संबंध इतिहास प्रसिद्ध [[विजयनगर साम्राज्य]] से है। | ||
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किंवदंती है कि भगवान विष्णु ने इस जगह को अपने रहने के लिए कुछ अधिक ही बड़ा समझा और अपने घर वापस लौट गए। विरुपाक्ष मन्दिर भूमिगत | *विरुपाक्ष मन्दिर का शिखर जमीन से 50 मीटर ऊंचा है। मन्दिर [[शिव]] के विरूपक्ष रूप को समर्पित है। | ||
*इस विशाल मन्दिर के अंदर अनेक छोटे-छोटे मन्दिर हैं, जो विरुपाक्ष मन्दिर से भी प्राचीन हैं। | |||
*विरुपाक्ष मन्दिर [[विश्व विरासत स्थल]] की सूची में सम्मिलित है। | |||
*मन्दिर को 'पंपापटी मन्दिर' भी कहा जाता है, यह हेमकुटा पहाड़ियों के निचले हिस्से में स्थित है। | |||
*[[हम्पी]] के कई आकर्षणों में से यह मुख्य है। 1509 में अपने अभिषेक के समय [[कृष्णदेव राय]] ने यहँ के गोपुड़ा का निर्माण करवाया था। भगवान विठाला या भगवान [[विष्णु]] को यह मन्दिर समर्पित है। | |||
*15वीं [[शताब्दी]] में निर्मित यह मन्दिर हम्पी नगर के बाज़ार क्षेत्र में स्थित है। यह नगर के सबसे प्राचीन स्मारकों में से एक है। | |||
*मन्दिर का शिखर ज़मीन से 50 मीटर ऊँचा है। मन्दिर का संबंध [[विजयनगर साम्राज्य|विजयनगर]] काल से है। | |||
*विशाल मन्दिर के अंदर अनेक छोटे-छोटे मन्दिर हैं, जो विरुपाक्ष मन्दिर से भी प्राचीन हैं। | |||
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*किंवदंती है कि [[भगवान विष्णु]] ने इस जगह को अपने रहने के लिए कुछ अधिक ही बड़ा समझा और अपने घर वापस लौट गए। | |||
*विरुपाक्ष मन्दिर में भूमिगत शिव मन्दिर भी है। मन्दिर का बड़ा हिस्सा पानी के अन्दर समाहित है, इसलिए वहाँ कोई नहीं जा सकता। बाहर के हिस्से के मुक़ाबले मन्दिर के इस हिस्से का [[तापमान]] बहुत कम रहता है। | |||
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[[चित्र:Virupaksha-Temple-Hamp-2.jpg|विरुपाक्ष मन्दिर, हम्पी|250px|thumb]] विरुपाक्ष मन्दिर हम्पी, कर्नाटक के कई आकर्षणों में से मुख्य है। 15वीं शताब्दी में निर्मित यह मन्दिर बाज़ार क्षेत्र में स्थित है। यह नगर के सबसे प्राचीन स्मारकों में से एक है। 1509 ई. में अपने अभिषेक के समय कृष्णदेव राय ने यहाँ गोपुड़ा का निर्माण करवाया था। भगवान 'विठाला' या भगवान 'विष्णु' को यह मन्दिर समर्पित है। विरुपाक्ष मन्दिर को 'पंपापटी' नाम से भी जाना जाता है। मन्दिर का संबंध इतिहास प्रसिद्ध विजयनगर साम्राज्य से है।
- विरुपाक्ष मन्दिर का शिखर जमीन से 50 मीटर ऊंचा है। मन्दिर शिव के विरूपक्ष रूप को समर्पित है।
- इस विशाल मन्दिर के अंदर अनेक छोटे-छोटे मन्दिर हैं, जो विरुपाक्ष मन्दिर से भी प्राचीन हैं।
- विरुपाक्ष मन्दिर विश्व विरासत स्थल की सूची में सम्मिलित है।
- मन्दिर को 'पंपापटी मन्दिर' भी कहा जाता है, यह हेमकुटा पहाड़ियों के निचले हिस्से में स्थित है।
- हम्पी के कई आकर्षणों में से यह मुख्य है। 1509 में अपने अभिषेक के समय कृष्णदेव राय ने यहँ के गोपुड़ा का निर्माण करवाया था। भगवान विठाला या भगवान विष्णु को यह मन्दिर समर्पित है।
- 15वीं शताब्दी में निर्मित यह मन्दिर हम्पी नगर के बाज़ार क्षेत्र में स्थित है। यह नगर के सबसे प्राचीन स्मारकों में से एक है।
- मन्दिर का शिखर ज़मीन से 50 मीटर ऊँचा है। मन्दिर का संबंध विजयनगर काल से है।
- विशाल मन्दिर के अंदर अनेक छोटे-छोटे मन्दिर हैं, जो विरुपाक्ष मन्दिर से भी प्राचीन हैं।
- मन्दिर के पूर्व में पत्थर का एक विशाल नंदी है, जबकि दक्षिण की ओर गणेश की विशाल प्रतिमा है। यहाँ अर्ध सिंह और अर्ध मनुष्य की देह धारण किए नृसिंह की 6.7 मीटर ऊँची मूर्ति है।[1]
[[चित्र:Virupraksha-Temple-Hampi.jpg|left|विरुपाक्ष मन्दिर, हम्पी|thumb]]
- किंवदंती है कि भगवान विष्णु ने इस जगह को अपने रहने के लिए कुछ अधिक ही बड़ा समझा और अपने घर वापस लौट गए।
- विरुपाक्ष मन्दिर में भूमिगत शिव मन्दिर भी है। मन्दिर का बड़ा हिस्सा पानी के अन्दर समाहित है, इसलिए वहाँ कोई नहीं जा सकता। बाहर के हिस्से के मुक़ाबले मन्दिर के इस हिस्से का तापमान बहुत कम रहता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हम्पी अपनी कहानी बयां करता शहर (हिन्दी) यात्रा सलाह। अभिगमन तिथि: 2 अप्रॅल, 2011।