क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "Category:इस्लाम धर्म कोश" to "Category:इस्लाम धर्म कोशCategory:धर्म कोश") |
||
Line 39: | Line 39: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{मुस्लिम धार्मिक स्थल}} | {{मुस्लिम धार्मिक स्थल}} | ||
[[Category:मस्जिद]][[Category:स्थापत्य कला]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:मुस्लिम धार्मिक स्थल]][[Category:धार्मिक स्थल कोश]][[Category:इस्लाम धर्म कोश]] | [[Category:मस्जिद]][[Category:स्थापत्य कला]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:मुस्लिम धार्मिक स्थल]][[Category:धार्मिक स्थल कोश]][[Category:इस्लाम धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Revision as of 13:17, 21 March 2014
क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद
| |
विवरण | मस्जिद दिल्ली में क़ुतुबमीनार के नजदीक ही स्थित है। |
स्थान | दिल्ली |
निर्माता | क़ुतुबुद्दीन ऐबक |
निर्माण काल | 1192 ई. |
वास्तुकला | 'इण्डो-इस्लामिक शैली' में निर्मित स्थापत्य कला का यह पहला ऐसा उदाहरण है, जिसमें स्पष्ट हिन्दू प्रभाव दिखाई देता है। |
चित्र:Map-icon.gif | गूगल मानचित्र |
अन्य जानकारी | इस मस्जिद की सर्वोत्कृष्ट विशेषता उसका 'मकसूरा' एवं इसके साथ जुड़ा 'किबला लिवान' है। |
क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण क़ुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया था। मस्जिद दिल्ली में क़ुतुबमीनार के नजदीक ही स्थित है। पृथ्वीराज चौहान की पराजय के बाद ऐबक ने इस मस्जिद का निर्माण करवाया था। यह भारत में निर्मित पहली तुर्क मस्जिद है। इस मस्जिद की सर्वोत्कृष्ट विशेषता उसका 'मकसूरा' एवं इसके साथ जुड़ा 'किबला लिवान' है। स्थापत्य कला की दृष्टि से यह पहला ऐसा उदाहरण है, जिसमें स्पष्ट हिन्दू प्रभाव परिलक्षित होता है।
मुख्य बिंदु
- 1192 ई. में तराइन के युद्ध में पृथ्वीराज चौहान के हारने पर उसके क़िले 'रायपिथौरा' पर अधिकार कर वहाँ पर 'क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद' का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया।
- कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली विजय के उपलक्ष्य में तथा इस्लाम धर्म को प्रतिष्ठित करने के उदेश्य से 1192 ई. में 'कुत्ब' अथवा 'क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद' का निर्माण कराया।
- 1230 ई. में इल्तुतमिश ने मस्जिद के प्रांगण को दुगना कराया।
- अलाउद्दीन ख़िलजी ने इस मस्जिद का विस्तार कराया तथा क़ुरान की आयतें लिखवाईं।
- इतिहासकार जॉन मार्शल के अनुसार इस मस्जिद का निर्माण 27 निर्माणाधीन जैन मंदिरों के ध्वंसावशेषों पर किया गया था।
- मस्जिद में लगी जाली, स्तम्भ एवं दरवाज़े मंदिरों के अवशेष थे।
- इस मस्जिद में सर्वप्रथम इस्लामी स्थापत्य कला की मज़बूती एवं सौन्दर्य जैसी विशेषताओं का उभारा गया है।
- मस्जिद 121 फुट लम्बे तथा 150 फुट चौड़े समकोणनुमा चबूतरे पर स्थित है।
- 'इण्डो-इस्लामिक शैली' में निर्मित स्थापत्य कला का यह पहला ऐसा उदाहरण है, जिसमें स्पष्ट हिन्दू प्रभाव दिखाई देता है।
|
|
|
|
|