उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान, जबलपुर: Difference between revisions

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*कृषि वानिकी नमूनों का विकास तथा प्रदर्शन
*कृषि वानिकी नमूनों का विकास तथा प्रदर्शन
*वन रक्षण
*वन रक्षण
*जैव उर्वरक तथा जैव कीटनाशक
*जैव उर्वरक तथा जैव [[कीटनाशक]]
*अकाष्ठ वन उत्पादों
*अकाष्ठ वन उत्पादों
*रोपण भण्डार सुधार
*रोपण भण्डार सुधार

Latest revision as of 12:09, 15 June 2014

उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान जबलपुर (मध्य प्रदेश) में 'भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद' (भा.वा.अ.शि.प.) के अधीन आठ क्षेत्रीय संस्थानों में से एक है। इस संस्थान की अध्यक्षता निदेशक करते हैं। संस्थान का कैम्पस जबलपुर के दस किलोमीटर पूर्व में राष्ट्रीय राजमार्ग 12ए में स्थित है।

स्थापना

यह प्रसिद्ध संस्थान वर्ष 1988 में अस्तित्व में आया, यद्यपि इसकी स्थापना 1973 में जब 'वन अनुसंधान संस्थान', देहरादून का एक क्षेत्रीय केंद्र मध्य भारत में वन प्रबंधन की समस्याओं में सहायता देने के लिए जबलपुर में स्थापित किया गया था, हुई थी। संस्थान केवल बुनियादी ढांचे में ही उन्नत नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र तथा उड़ीसा सहित मध्य क्षेत्र के उष्णकटिबंधीय वनों की वानिकी तथा पारिस्थितिकी से संबंधित समस्याओं पर अनुसंधान के मुख्य केंद्र के रूप में अपने आप को विशेष बना लिया है।[1]

अध्यक्षता

इस संस्थान की अध्यक्षता निदेशक करते है तथा 36 वैज्ञानिकों तथा 21 अधिकारियों सहित कर्मचारियों की संख्या 201 है। संस्थान का कैम्पस जबलपुर के 10 कि.मी. पूर्व में एन.एच. 12ए में स्थित है। कैम्पस 109 हेक्टेयर के मनमोहक परिवेश के बीच में स्थित है। इसके अतिरिक्त संस्थान के पास संस्थान से 8 कि.मी. दूर 300 हेक्टेयर का प्रयोगात्मक क्षेत्र है। क्षेत्र की जलवायु अर्ध शुष्क है तथा वार्षिक वर्षण 1358 मि.मी. है। संस्थान का कैम्पस कार्यालय कम प्रयोगशाला भवन, पुस्तकालय तथा सूचना केंद्र, जैव प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला, आवासीय भवन, बैंक, पोस्ट आफिस, डिस्पैन्सरी, केंद्रीय विद्यालय, समुदाय भवन, विद्यार्थी पारगमन हास्टल, वैज्ञानिक हास्टल, खेल का मैदान तथा विश्राम गृह जैसी सुविधाओं से पूर्णतय विकसित है।

उद्देश्य

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र तथा उड़ीसा राज्यों को सम्मिलित कर मध्य भारत में वनों तथा वानिकी सेक्टर के धारणीय विकास में मजबूत अनुसंधान सहायता उपलब्ध करवाने के लिए 'उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान' को एक केंद्रीय संस्था के रूप में विकसित करना।[1]

अधिदेश

निम्नलिखित पर अनुसंधान कार्य आदि करना-

  • विन्ध्यन, सतपुड़ा तथा माइकल तथा पश्चिमी घाट का पारिपुनरूद्धार तथा खनित क्षेत्रों का पारिपुनर्स्थापन
  • कृषि वानिकी नमूनों का विकास तथा प्रदर्शन
  • वन रक्षण
  • जैव उर्वरक तथा जैव कीटनाशक
  • अकाष्ठ वन उत्पादों
  • रोपण भण्डार सुधार

मुख्य क्षेत्र

  1. जैवविविधता आकलन, संरक्षण तथा विकास
  2. धारणीय वन प्रबंधन
  3. रोपण भण्डार सुधार
  4. जलवायु परिवर्तन
  5. पर्यावरणीय सुधार
  6. वन उत्पादों का विकास
  7. वनों से जैव ईंधन
  8. कृषि वानिकी नमूनों का विकास
  9. वन रक्षण
  10. वन विस्तार

परामर्शी सेवाएँ तथा प्रशिक्षण

  • पौधशाला विकास
  • औषधीय पादपों सहित एन.डब्ल्यू.एफ.पी. का मूल्य संवर्धन तथा कृषि
  • रोपण भण्डार सुधार तथा पादप फैलाव
  • जैव नियंत्रण
  • मुश्किल स्थलों का पारिपुनरूद्धार
  • वन रक्षण कृषि वानिकी तंत्र
  • वन रोपण इत्यादि का अनुश्रवण एवं मूल्यांकन

कार्य

संस्थान उच्च शिक्षित वैज्ञानिकों, वन अधिकारियों तथा आठ प्रभागों में कार्यरत प्रशिक्षित तकनीकी कर्मचारियों के द्वारा अनुसंधान कार्यक्रम के अधिदेश को कार्यान्वित करता है जैसे कृषि वानिकी जैवविविधता तथा धारणीय प्रबंधन, वन पारिस्थितिकी तथा पारिपुनर्स्थापन, वन कीट विज्ञान, वन रोग विज्ञान, आनुवंशिकी तथा पादप फैलाव, अकाष्ठ वन उत्पाद, वन संवर्धन तथा संयुक्त वन प्रबंधन तथा विस्तार प्रभाग तथा प्रत्येक की वरिष्ठ वैज्ञानिक/वन अधिकारी द्वारा अध्यक्षता का जाती है। यह मध्य भारतीय राज्यों जैसे छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र तथा उड़ीसा की सभी अनुसंधान आवश्यकताओं को पूरा करता है विशेष रूप से आम तौर पर भारत जिन वनों तथा वानिकी सेक्टर के विशिष्ट मामलों का मुकाबला कर रहा है। मध्य क्षेत्र पूर्व में बंगाल की खाड़ी से लेकर पश्चिम में अरब सागर तक प्राकृतिक उष्णकटिबंधीय वनों को सहन कर रहा है जो पुष्पीय वनस्पति संपदा से भरपूर है।[1]

संस्थान में विकसित तकनीकों तथा सूचना के प्रचार के लिए विस्तार प्रभाग भा.वा.अ.शि.प. के संस्थानों, सरकारी संस्थाओं, किसानों, उद्योगों तथा गैर सरकारी संगठनों तथा संस्थान के मध्य इंटरफेस के रूप में कार्य करता है। तकनीकी बुलेटन के प्रकाशन, ब्रोशर, पेम्पलेट, पोस्टर इत्यादि के अतिरिक्त यह विभिन्न स्थानों पर संगोष्ठी, प्रशिक्षण तथा प्रदर्शनियां आयोजित करता है।

अनुसंधान प्रभाग

  • कृषि वानिकी
  • जैवविविधता तथा धारणीय प्रबंधन
  • वन पारिस्थितिकी तथा पारिपुनर्स्थापन
  • वन कीट विज्ञान
  • वन रोग विज्ञान
  • आनुवंशिकी तथा पादप फैलाव
  • अकाष्ठ वन उपज
  • वन संवर्धन तथा संयुक्त वन प्रबंधन
सम्पर्क पता

उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान,

पो.ओ. आर.एफ.आर.सी., मण्डला रोड,

जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482 021


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान, जबलपुर (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 13 सितम्बर, 2013।

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