सिस्टर यूप्रासिआ: Difference between revisions
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Latest revision as of 05:04, 29 May 2015
सिस्टर यूप्रासिआ
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पूरा नाम | सिस्टर यूप्रासिआ |
जन्म | 17 अक्टूबर, 1877 |
जन्म भूमि | त्रिशूर, केरल |
मृत्यु | 29 अगस्त, 1952 |
मृत्यु स्थान | केरल |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | ईसाई संत |
नागरिकता | भारतीय |
संबंधित लेख | ईसाई धर्म, कुरिआकोसी इलिआस चावारा |
अन्य जानकारी | 'प्रेयरिंग मदर' के नाम से मशहूर सिस्टर यूप्रासिआ अपने पास आने वाले पीडि़तों को सांत्वना और जीवन के संबंध में सलाह देती थीं। |
सिस्टर यूप्रासिआ (जन्म- 17 अक्टूबर, 1877, त्रिशूर, केरल; मृत्यु- 29 अगस्त, 1952) भारतीय ईसाई महिला संत थीं। 23 नवम्बर, 2014 को वेटिकन शहर में पोप फ़्राँसिस ने सेंट पीटर स्क्वायर पर उन्हें मरणोपरान्त 'संत' की उपाधि दी।
- सिस्टर यूप्रासिआ का जन्म 17 अक्टूबर, 1877 ई. में केरल के त्रिशूर ज़िले में हुआ था।
- वे जीवन भर त्रिशूर के आश्रम में ही रहीं।
- 'प्रेयरिंग मदर' के नाम से मशहूर सिस्टर यूप्रासिआ अपने पास आने वाले पीडि़तों को सांत्वना और जीवन के संबंध में सलाह देती थीं।
- उन्हें संत घोषित करने की प्रक्रिया वर्ष 1987 में शुरू हुई थी।
- केरल के सदियों पुराने 'मालाबार कैथोलिक चर्च' के पास अब तीन ऐसे ईसाई संतों के नाम हैं, जिन्हें पोप द्वारा 'संत' घोषित किया गया है। 2008 में सबसे पहले 'सिस्टर अलफोंसा' को यह उपाधि मिली थी। 23 नवम्बर, 2014 को 'कुरिआकोसी इलिआस चावारा' और 'सिस्टर यूप्रासिआ' को यह उपाधि दी गई।
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