दरिया दौलत बाग़: Difference between revisions
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|चित्र का नाम=दरिया दौलत बाग़ | |||
|विवरण='दरिया दौलत बाग़' एक महल है, जो [[कर्नाटक]] के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। महल में [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के खिलाफ़ [[टीपू सुल्तान]] द्वारा लड़ी गई लड़ाइयों के भित्तिचित्र देखे जा सकते हैं। | |||
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|संबंधित लेख=[[कर्नाटक]], [[श्रीरंगपट्टनम]], [[मैसूर]], [[हैदर अली]], [[टीपू सुल्तान]] | |||
|अन्य जानकारी=इस महल को [[1959]] में 'राष्ट्रीय स्मारक' का दर्जा प्रदान किया गया। | |||
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दरिया दौलत बाग़
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विवरण | 'दरिया दौलत बाग़' एक महल है, जो कर्नाटक के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। महल में अंग्रेज़ों के खिलाफ़ टीपू सुल्तान द्वारा लड़ी गई लड़ाइयों के भित्तिचित्र देखे जा सकते हैं। |
राज्य | कर्नाटक |
शहर | श्रीरंगपट्टनम |
निर्माणकर्ता | इसका निर्माण हैदर अली ने शुरू करवाया था, जबकि सन 1784 में टीपू सुल्तान ने इसे पूर्ण करवाया। |
संबंधित लेख | कर्नाटक, श्रीरंगपट्टनम, मैसूर, हैदर अली, टीपू सुल्तान |
अन्य जानकारी | इस महल को 1959 में 'राष्ट्रीय स्मारक' का दर्जा प्रदान किया गया। |
दरिया दौलत बाग़ (अंग्रेज़ी: Daria Daulat Bagh) कर्नाटक राज्य के श्रीरंगपट्टनम शहर में स्थित एक महल है। इस महल को बनाने में अधिकतर सागौन की लकड़ी का प्रयोग किया गया है। इस महल का निर्माण हैदर अली ने शुरू करवाया था, जिसे उसके बेटे टीपू सुल्तान ने पूरा कराया जो भारतीय इतिहास में "शेर-ए-मैसूर' के नाम से प्रसिद्ध है।
- सन 1784 में पूर्ण हुआ दरिया दौलत बाग़ टीपू सुल्तान के 'ग्रीष्म महल' के नाम से प्रसिद्ध है।
- 18वीं शताब्दी के मध्य में जब टीपू सुल्तान के पिता हैदर ने वाडियार साम्राज्य से सत्ता छीन ली, तब इसी स्थान से टीपू सुल्तान ने कुछ समय के लिए मैसूर पर राज किया था।
- दरिया दौलत बाग़ मैसूर से लगभग 14 किलोमीटर दूर एक खूबसूरत बाग़ में बना हुआ है। आयताकार आकार के इस महल को बनाने में भारतीय और अरबी वास्तुकला का प्रयोग किया गया है।
- महल में अंग्रेज़ों के खिलाफ़ टीपू सुल्तान द्वारा लड़ी गई लड़ाइयों के भित्तिचित्र देखे जा सकते हैं।
- यहां की दीवारों, स्तंभों और अन्य सभी खाली जगहों पर खूबसूरत मैसूर शैली में पेंटिग की गई है।
- इस महल को 1959 में 'राष्ट्रीय स्मारक' का दर्जा प्रदान किया गया।
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