यायावर: Difference between revisions
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'''यायावर''' का अर्थ है- "सदा विचरने वाला मुनि।" मुनिवृत्ति से रहते हुए सदा इधर-उधर घूमते रहने वाले गृहस्थ ब्राह्मणों के एक समूह विशेष की संज्ञा 'यायावर' है। ये लोग एक [[गाँव]] में एक रात से अधिक नहीं ठहरते और पक्ष में एक बार अग्निहोत्र करते हैं। पक्षहोम सम्प्रदाय की प्रवृत्ति इन्हीं से हुई है। इनके विषय में भारद्वाज का वचन इस प्रकर मिलता है<ref>[[महाभारत आदि पर्व अध्याय 13 श्लोक 1-19]]</ref>- | |||
"यायावर नाम ब्राह्मणा आसंस्ते अर्ध मासादग्निहोत्रभजुह्न्।" | |||
यायावर लोग घूमते-घूमते जहाँ संध्या हो जाती है, वहीं ठहर जाते हैं। | |||
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Revision as of 07:03, 19 November 2016
चित्र:Disamb2.jpg यायावर | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- यायावर (बहुविकल्पी) |
यायावर का अर्थ है- "सदा विचरने वाला मुनि।" मुनिवृत्ति से रहते हुए सदा इधर-उधर घूमते रहने वाले गृहस्थ ब्राह्मणों के एक समूह विशेष की संज्ञा 'यायावर' है। ये लोग एक गाँव में एक रात से अधिक नहीं ठहरते और पक्ष में एक बार अग्निहोत्र करते हैं। पक्षहोम सम्प्रदाय की प्रवृत्ति इन्हीं से हुई है। इनके विषय में भारद्वाज का वचन इस प्रकर मिलता है[1]-
"यायावर नाम ब्राह्मणा आसंस्ते अर्ध मासादग्निहोत्रभजुह्न्।"
यायावर लोग घूमते-घूमते जहाँ संध्या हो जाती है, वहीं ठहर जाते हैं।
हिन्दी | वह जो एक स्थान पर टिक कर न रहता हो। सदा इधर-उधर भ्रमण करता रहने वाला। ख़ानाबदोश। घुमक्कड़। |
-व्याकरण | विशेषण |
-उदाहरण | 'हिन्दी यात्रा साहित्य' के जनक राहुल सांकृत्यायन सन 1990 ई. से 1914 ई. तक वैराग्य से प्रभावित रहे और हिमालय पर यायावर जीवन जिया। |
-विशेष | सन्यासी या साधु-सन्त (पुल्लिंग)। |
-विलोम | |
-पर्यायवाची | |
संस्कृत | [धातु या + यङ्, द्वित्व, + वरच्] |
अन्य ग्रंथ | |
संबंधित शब्द | |
संबंधित लेख |
अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश