शल्य संदर्भ: Difference between revisions

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==शल्य पर्व महाभारत==
==शल्य पर्व महाभारत==
* [[शल्य पर्व महाभारत]] में [[कर्ण]] की मृत्यु के पश्चात [[कृपाचार्य]] द्वारा सन्धि के लिए [[दुर्योधन]] को समझाना, सेनापति पद पर शल्य का अभिषेक, मद्रराज शल्य का अदभुत पराक्रम, [[युधिष्ठिर]] द्वारा शल्य और उनके भाई का वध, [[सहदेव]] द्वारा [[शकुनि]] का वध, बची हुई सेना के साथ दुर्योधन का पलायन, दुर्योधन का ह्रद में प्रवेश, व्याधों द्वारा जानकारी मिलने पर युधिष्ठिर का ह्रद पर जाना, युधिष्ठिर का दुर्योधन से संवाद, [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] और [[बलराम]] का भी वहाँ पहुँचना, दुर्योधन के साथ [[भीम]] का वाग्युद्ध और गदा युद्ध और दुर्योधन का धराशायी होना, क्रुद्ध बलराम को श्री कृष्ण द्वारा समझाया जाना, दुर्योधन का विलाप और सेनापति पद पर [[अश्वत्थामा]] का अभिषेक आदि वर्णित है।  
* [[शल्य पर्व महाभारत]] में [[कर्ण]] की मृत्यु के पश्चात् [[कृपाचार्य]] द्वारा सन्धि के लिए [[दुर्योधन]] को समझाना, सेनापति पद पर शल्य का अभिषेक, मद्रराज शल्य का अदभुत पराक्रम, [[युधिष्ठिर]] द्वारा शल्य और उनके भाई का वध, [[सहदेव]] द्वारा [[शकुनि]] का वध, बची हुई सेना के साथ दुर्योधन का पलायन, दुर्योधन का ह्रद में प्रवेश, व्याधों द्वारा जानकारी मिलने पर युधिष्ठिर का ह्रद पर जाना, युधिष्ठिर का दुर्योधन से संवाद, [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] और [[बलराम]] का भी वहाँ पहुँचना, दुर्योधन के साथ [[भीम]] का वाग्युद्ध और गदा युद्ध और दुर्योधन का धराशायी होना, क्रुद्ध बलराम को श्री कृष्ण द्वारा समझाया जाना, दुर्योधन का विलाप और सेनापति पद पर [[अश्वत्थामा]] का अभिषेक आदि वर्णित है।  





Latest revision as of 07:36, 7 November 2017

शल्य महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक मद्रराज महारथी थे। ये पाण्डु की पत्नी माद्री के भाई अर्थात पांडवों के मामा थे।

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शल्य पर्व महाभारत

  • शल्य पर्व महाभारत में कर्ण की मृत्यु के पश्चात् कृपाचार्य द्वारा सन्धि के लिए दुर्योधन को समझाना, सेनापति पद पर शल्य का अभिषेक, मद्रराज शल्य का अदभुत पराक्रम, युधिष्ठिर द्वारा शल्य और उनके भाई का वध, सहदेव द्वारा शकुनि का वध, बची हुई सेना के साथ दुर्योधन का पलायन, दुर्योधन का ह्रद में प्रवेश, व्याधों द्वारा जानकारी मिलने पर युधिष्ठिर का ह्रद पर जाना, युधिष्ठिर का दुर्योधन से संवाद, श्रीकृष्ण और बलराम का भी वहाँ पहुँचना, दुर्योधन के साथ भीम का वाग्युद्ध और गदा युद्ध और दुर्योधन का धराशायी होना, क्रुद्ध बलराम को श्री कृष्ण द्वारा समझाया जाना, दुर्योधन का विलाप और सेनापति पद पर अश्वत्थामा का अभिषेक आदि वर्णित है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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