हम होंगे कामयाब -अब्दुल कलाम: Difference between revisions

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'''उत्तर-''' इसमें कोई दो राय नहीं कि हमारे देश के सामने बढ़ती जनसंख्या और अन्य कई सामाजिक समस्याएँ हैं। पर साथ ही हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि पूरे विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जहाँ 50 प्रतिशत से भी अधिक युवा शक्ति विद्यमान है, जो देश की आर्थिक प्रगति में प्रमुख योगदान दे रही है। यह भी देखने में आया है कि जहाँ कहीं भी महिला साक्षरता की दर अधिक है वहाँ यह साक्षरता बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने में कारगर सिद्ध हुई है। एक छात्र होने के नाते आप सब कम से कम ऐसी पाँच महिलाओं को शिक्षित करें, जो पढ़ना-लिखना नहीं जानतीं। साथ ही आप उन्हें समाज की उन प्रमुख समस्याओं से भी अवगत कराएँ, जिनसे आजकल की महिलाओं को दो-चार होना पड़ता है।  
'''उत्तर-''' इसमें कोई दो राय नहीं कि हमारे देश के सामने बढ़ती जनसंख्या और अन्य कई सामाजिक समस्याएँ हैं। पर साथ ही हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि पूरे विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जहाँ 50 प्रतिशत से भी अधिक युवा शक्ति विद्यमान है, जो देश की आर्थिक प्रगति में प्रमुख योगदान दे रही है। यह भी देखने में आया है कि जहाँ कहीं भी महिला साक्षरता की दर अधिक है वहाँ यह साक्षरता बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने में कारगर सिद्ध हुई है। एक छात्र होने के नाते आप सब कम से कम ऐसी पाँच महिलाओं को शिक्षित करें, जो पढ़ना-लिखना नहीं जानतीं। साथ ही आप उन्हें समाज की उन प्रमुख समस्याओं से भी अवगत कराएँ, जिनसे आजकल की महिलाओं को दो-चार होना पड़ता है।  
'''प्रश्न-''' भारत के राष्ट्रपति के रूप में ऐसे विरले ही लोग हुए हैं, जिन्हें वास्तव में बच्चों की चिंता है एवं उनसे प्यार है। क्या बाल मज़दूरी प्रथा को खत्म नहीं किया जा सकता और उन तमाम बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल नहीं बनाया जा सकता ?
'''प्रश्न-''' भारत के राष्ट्रपति के रूप में ऐसे विरले ही लोग हुए हैं, जिन्हें वास्तव में बच्चों की चिंता है एवं उनसे प्यार है। क्या बाल मज़दूरी प्रथा को खत्म नहीं किया जा सकता और उन तमाम बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल नहीं बनाया जा सकता ?
'''उत्तर-''' क़ानूनन बाल-मज़दूरी करवाना एक अपराध है। इस दशक के अंत तक हमें इसे जड़ से खत्म करने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। [[ संसद|भारतीय संसद]] ने भी [[संविधान संशोधन अधिनियम 2002]] के माध्यम से 6-14 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के शिक्षा पाने के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित कर दिया है। यह बहुत जरूरी है कि बच्चे अभिभावकों को नशाखोरी की लत से मुक्त करवाने के लिए एक आंदोलन चलाएँ और प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम के माध्यम से शिक्षित करने की व्यवस्था भी करें। ऐसी समस्या से तीन अलग-अलग तरीकों से निपटा जा सकता है-(क) बच्चा स्वयं अपनी पढ़ाई जारी रखने की इच्छा दिखाए; (ख) [[माता]]-[[पिता]] को शिक्षित करके और (ग) बच्चों से काम लेने वाले मालिकों में आत्मनियंत्रण की प्रवृत्ति का विकास करके, ताकि वे उन बच्चों को अपने बच्चे जैसा ही समझें।  
'''उत्तर-''' क़ानूनन बाल-मज़दूरी करवाना एक अपराध है। इस दशक के अंत तक हमें इसे जड़ से खत्म करने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। [[ संसद|भारतीय संसद]] ने भी [[संविधान संशोधन अधिनियम 2002]] के माध्यम से 6-14 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के शिक्षा पाने के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित कर दिया है। यह बहुत ज़रूरी है कि बच्चे अभिभावकों को नशाखोरी की लत से मुक्त करवाने के लिए एक आंदोलन चलाएँ और प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम के माध्यम से शिक्षित करने की व्यवस्था भी करें। ऐसी समस्या से तीन अलग-अलग तरीकों से निपटा जा सकता है-(क) बच्चा स्वयं अपनी पढ़ाई जारी रखने की इच्छा दिखाए; (ख) [[माता]]-[[पिता]] को शिक्षित करके और (ग) बच्चों से काम लेने वाले मालिकों में आत्मनियंत्रण की प्रवृत्ति का विकास करके, ताकि वे उन बच्चों को अपने बच्चे जैसा ही समझें।  
'''प्रश्न-''' वर्तमान में भ्रष्टाचार सार्वजनिक जीवन में लगभग सभी स्तरों पर व्याप्त है। छात्र-समुदाय सन् 2020 तक भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने के लिए क्या-क्या कर सकता है ?
'''प्रश्न-''' वर्तमान में भ्रष्टाचार सार्वजनिक जीवन में लगभग सभी स्तरों पर व्याप्त है। छात्र-समुदाय सन् 2020 तक भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने के लिए क्या-क्या कर सकता है ?
'''उत्तर-''' सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए एक व्यापक आंदोलन की आवश्यकता है। यह आंदोलन अपने घर और विद्यालय से ही प्रारंभ करना होगा। भ्रष्टाचार उन्मूलन में मेरी दृष्टि में मात्र तीन प्रकार के लोग सहायक सिद्ध हो सकते हैं, वे हैं-माता, पिता और प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक। यदि ये तीनों बच्चों को सच्चाई और ईमानदारी का पाठ पढ़ाते हैं तो इसके बाद जीवन में शायद ही कोई इनको डिगा पाए। अतः हर घर में इस तरह के आंदोलन की आवश्यकता है, जो सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार को खत्म कर सके। आप सब यह संकल्प लें कि आप सदैव ईमानदार एवं भ्रष्टाचार मुक्त जीवन का निर्वाह करेंगे और दूसरों के समक्ष एक पारदर्शी जीवन जीने का आदर्श प्रस्तुत करेंगे।  
'''उत्तर-''' सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए एक व्यापक आंदोलन की आवश्यकता है। यह आंदोलन अपने घर और विद्यालय से ही प्रारंभ करना होगा। भ्रष्टाचार उन्मूलन में मेरी दृष्टि में मात्र तीन प्रकार के लोग सहायक सिद्ध हो सकते हैं, वे हैं-माता, पिता और प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक। यदि ये तीनों बच्चों को सच्चाई और ईमानदारी का पाठ पढ़ाते हैं तो इसके बाद जीवन में शायद ही कोई इनको डिगा पाए। अतः हर घर में इस तरह के आंदोलन की आवश्यकता है, जो सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार को खत्म कर सके। आप सब यह संकल्प लें कि आप सदैव ईमानदार एवं भ्रष्टाचार मुक्त जीवन का निर्वाह करेंगे और दूसरों के समक्ष एक पारदर्शी जीवन जीने का आदर्श प्रस्तुत करेंगे।  

Revision as of 10:51, 2 January 2018

चित्र:Disamb2.jpg हम होंगे कामयाब एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- हम होंगे कामयाब
हम होंगे कामयाब -अब्दुल कलाम
लेखक अब्दुल कलाम
मूल शीर्षक हम होंगे कामयाब
प्रकाशक प्रभात प्रकाशन
प्रकाशन तिथि 3 मार्च, 2006
ISBN 81-7315-588-7
देश भारत
पृष्ठ: 122
भाषा हिंदी

हम होंगे कामयाब भारत के ग्याहरवें राष्ट्रपति और 'मिसाइल मैन' के नाम से प्रसिद्ध 'ए.पी.जे. अब्दुल कलाम' की चर्चित पुस्तक है। प्रश्नोत्तर शैली में प्रस्तुत यह पुस्तक भारत के महान् प्रेरणा पुरुष और राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा बच्चों से बातचीत पर आधारित पुस्तक है। बच्चे समाज और राष्ट्र का भविष्य होते हैं। बच्चे जितने शिक्षित, संस्कारी व चरित्रवान होते हैं, समाज और राष्ट्र का भी उतना ही चारित्रिक विकास होता है। बच्चों की जिज्ञासाएँ अद्भुत व अनुपम होती हैं और उनके सोच को व्यापकता प्रदान करती हैं। उनकी जिज्ञासाओं का समाधान जीवन-पथ पर आगे बढ़ने हेतु उन्हें संबल प्रदान करता है।

इसमें डॉ. कलाम के जीवन के अनूठे प्रसंगों और भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के उनके महान् स्वप्न तथा शिक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञान, चिकित्सा, उद्योग व प्रौद्योगिकी एवं देश को विकसित बनाने वाले अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों के बारे में बच्चों से उनकी रोचक व प्रेरक बातचीत प्रस्तुत है। डॉ. कलाम के जीवन-प्रसंगों, उनके विचारों को प्रस्तुत करती प्रेरणादायी पुस्तक है।

आभार

मैं उन लाखों करोड़ों बच्चों के प्रति अपना आभार व्यक्त करता हूँ, जो मुझे प्रतिदिन अपने कौतूहल तथा विकास की लालसा से प्रेरित करते रहे हैं। मेरी ओर से उन्हें असीम शुभकामनाएँ। साथ ही मेजर जनरल सेवानिवृत्त आर.स्वामीनाथन भी धन्यवाद के पात्र हैं, जिन्होंने मुझे अपना बहुमूल्य सहयोग प्रदान किया। -कलाम

बच्चों से

प्रश्न- बढ़ती जनसंख्या और अन्य कई प्रकार की सामाजिक समस्याएँ, जो हमारे देश में किसी महामारी की तरह फैली हैं, उनके बारे में जागरूकता लाने के लिए हम छात्र क्या कर सकते हैं ?
उत्तर- इसमें कोई दो राय नहीं कि हमारे देश के सामने बढ़ती जनसंख्या और अन्य कई सामाजिक समस्याएँ हैं। पर साथ ही हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि पूरे विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जहाँ 50 प्रतिशत से भी अधिक युवा शक्ति विद्यमान है, जो देश की आर्थिक प्रगति में प्रमुख योगदान दे रही है। यह भी देखने में आया है कि जहाँ कहीं भी महिला साक्षरता की दर अधिक है वहाँ यह साक्षरता बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने में कारगर सिद्ध हुई है। एक छात्र होने के नाते आप सब कम से कम ऐसी पाँच महिलाओं को शिक्षित करें, जो पढ़ना-लिखना नहीं जानतीं। साथ ही आप उन्हें समाज की उन प्रमुख समस्याओं से भी अवगत कराएँ, जिनसे आजकल की महिलाओं को दो-चार होना पड़ता है।
प्रश्न- भारत के राष्ट्रपति के रूप में ऐसे विरले ही लोग हुए हैं, जिन्हें वास्तव में बच्चों की चिंता है एवं उनसे प्यार है। क्या बाल मज़दूरी प्रथा को खत्म नहीं किया जा सकता और उन तमाम बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल नहीं बनाया जा सकता ?
उत्तर- क़ानूनन बाल-मज़दूरी करवाना एक अपराध है। इस दशक के अंत तक हमें इसे जड़ से खत्म करने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। भारतीय संसद ने भी संविधान संशोधन अधिनियम 2002 के माध्यम से 6-14 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के शिक्षा पाने के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित कर दिया है। यह बहुत ज़रूरी है कि बच्चे अभिभावकों को नशाखोरी की लत से मुक्त करवाने के लिए एक आंदोलन चलाएँ और प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम के माध्यम से शिक्षित करने की व्यवस्था भी करें। ऐसी समस्या से तीन अलग-अलग तरीकों से निपटा जा सकता है-(क) बच्चा स्वयं अपनी पढ़ाई जारी रखने की इच्छा दिखाए; (ख) माता-पिता को शिक्षित करके और (ग) बच्चों से काम लेने वाले मालिकों में आत्मनियंत्रण की प्रवृत्ति का विकास करके, ताकि वे उन बच्चों को अपने बच्चे जैसा ही समझें।
प्रश्न- वर्तमान में भ्रष्टाचार सार्वजनिक जीवन में लगभग सभी स्तरों पर व्याप्त है। छात्र-समुदाय सन् 2020 तक भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने के लिए क्या-क्या कर सकता है ?
उत्तर- सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए एक व्यापक आंदोलन की आवश्यकता है। यह आंदोलन अपने घर और विद्यालय से ही प्रारंभ करना होगा। भ्रष्टाचार उन्मूलन में मेरी दृष्टि में मात्र तीन प्रकार के लोग सहायक सिद्ध हो सकते हैं, वे हैं-माता, पिता और प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक। यदि ये तीनों बच्चों को सच्चाई और ईमानदारी का पाठ पढ़ाते हैं तो इसके बाद जीवन में शायद ही कोई इनको डिगा पाए। अतः हर घर में इस तरह के आंदोलन की आवश्यकता है, जो सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार को खत्म कर सके। आप सब यह संकल्प लें कि आप सदैव ईमानदार एवं भ्रष्टाचार मुक्त जीवन का निर्वाह करेंगे और दूसरों के समक्ष एक पारदर्शी जीवन जीने का आदर्श प्रस्तुत करेंगे।
प्रश्न- बड़े सदैव बच्चों को कुछ न कुछ उपदेश देते रहते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि हमें अनुशासित रहना चाहिए, तो कुछ का कहना है कि हमें खूब पढ़ाई करनी चाहिए, ईमानदार बनना चाहिए, कड़ी मेहनत करनी चाहिए आदि-आदि। हालाँकि इन सभी बातों का पालन करना महत्त्वपूर्ण है, पर एक छात्र के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण गुण क्या है ?
उत्तर- एक छात्र के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण गुण है- उसकी अपने प्रति ईमानदारी और दूसरों के प्रति संवेदनशीलता का भाव। ये गुण आपको निस्संदेह एक आदर्श नागरिक बनने में मदद करेंगे।
प्रश्न- एक छात्र के रूप में मैं विकसित भारत के आपके स्वप्न को साकार करने की दिशा में क्या कर सकता हूँ ?
उत्तर- एक छात्र होने के नाते, आप जिस कक्षा में भी पढ़ते हों, उसमें आगे बढ़ने के लिए खूब परिश्रम करें। अपने जीवन में पहले एक लक्ष्य बनाएँ, फिर उसे प्राप्त करने के लिए आवश्यक ज्ञान और अनुभव प्राप्त करें। बाधाओं से लड़ते हुए उन पर विजय प्राप्त करें और निरंतर प्रयत्नशील रहते हुए उत्कृष्टता की ओर बढ़ें। जब कभी मुश्किलों से सामना हो तो उसे पराजित करते हुए सफल बनें। साथ ही नैतिक मूल्यों को भी ग्रहण करो। छात्रों को हमेशा उद्यमी बनने का प्रयत्न करना चाहिए। छुट्टी के दिनों में छात्र गरीब और सुविधाओं से वंचित बच्चों को पढ़ाने का काम करें और इसे अपने जीवन में एक उद्देश्य के रूप में लें। छात्र अधिकाधिक पौधारोपण करें, ताकि प्राकृतिक संतुलन बना रह सके। हमारे ये कार्य न केवल हम सबको, बल्कि हमारे राष्ट्र को भी एक साथ विकास और समृद्धि के पथ पर ले जाएँगे।
प्रश्न- मैंने एक बार सुना था कि एक गरीब माँ ने अपने बच्चे को केवल दस रुपए में बेच डाला। क्या हम भारतीय बच्चों की यही कीमत है ? यदि नहीं, तो एक भारतीय बच्चे की कीमत क्या है ?
उत्तर- गरीबी एक प्रकार का अभिशाप है। हमारी हर संभव कोशिश इसमें मुक्ति पाने की है। बच्चे किसी भी राष्ट्र की अमूल्य निधि होते हैं। [1]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हम होंगे कामयाब (हिंदी) भारतीय साहित्य संग्रह। अभिगमन तिथि: 14 दिसम्बर, 2013।

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