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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {एक मकान का अंकन परिप्रेक्ष्य के सिद्धांत के अनुसार है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-168,प्रश्न-19
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| -वायवीय परिप्रेक्ष्य
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| +रैखिक परिप्रेक्ष्य
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| -साधारण परिप्रेक्ष्य
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| -उपरोक्त में से कोई नहीं
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| ||एक मकान का अंकन रैखिक परिप्रेक्ष्य के सिद्धांत के अनुसार है। मकान का चित्रण रेखाओं के द्वारा किया जाता है जबकि धूमिक रंगों का प्रयोग वायवीय परिप्रेक्ष्य को दिखाने के लिए किया जाता है। चित्र में निकट की वस्तुओं को बड़ा एवं दूर की वस्तुओं को छोटा दिखाने के सिद्धांत को 'परिप्रेक्ष्य' कहते हैं। परिप्रेक्ष्य दो प्रकार का होता है- रेखीय तथा वायवीय।
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| {'मांडी' और 'झागोर' [[लोकनृत्य]] किस राज्य से संबंधित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-185,प्रश्न-28
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| -[[झारखंड]]
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| -[[उत्तराखंड]]
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| +[[गोवा]]
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| -[[छत्तीसगढ़]]
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| {प्रसिद्ध [[देवगढ़, उत्तर प्रदेश|देवगढ़]] का मंदिर [[उत्तर प्रदेश]] के किस नगर के समीप है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-207,प्रश्न-168
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| |type="()"}
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| -[[आगरा]]
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| +ललितपुर
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| -[[कानपुर]]
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| -गढ़ मुक्तेश्वर
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| ||प्रसिद्ध देवगढ़ मंदिर ललितपुर जिले में [[बेतवा नदी]] के तट पर स्थित है। देवगढ़ स्थित दशावतार मंदिर [[भगवान विष्णु]] को समर्पित है। यहां पर प्रमुख [[जैन मंदिर]] भी है। प्रसिद्ध देवगढ़ मंदिर गुप्त काल में बना जिसका निर्माण लगभग 470 ई. (5 वीं शताब्दी) में प्रारंभ हुआ माना जाता है।
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| {'पट चित्रण' कहाँ की कला है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-378
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| |type="()"}
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| -[[उत्तर प्रदेश]]
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| -[[बिहार]]
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| -[[गुजरात]]
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| +[[उड़ीसा]]
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| ||'पट चित्रण' [[उड़ीसा]] (वर्तमान में ओडिशा) की कला है। यह भगवान जगन्नाथ तथा [[जगन्नाथ मंदिर पुरी|जगन्नाथ मंदिर]] पर आधारित पेंटिंग है। यह चित्र अधिकतर कपड़ों पर ही बनाए जाते हैं।
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| {निम्न में से कौन-सी प्रागैतिहासिक गुफ़ा [[मध्य प्रदेश]] में स्थित नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-13
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| |type="()"}
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| -सिंधनपुर
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| -[[आदमगढ़]]
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| -[[भीमबेटका गुफ़ाएँ|भीमबेटका]]
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| +लखनिया
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| ||सिंघनपुर, आदमगढ़ और भीमबेटका की प्रागैतिहासिक गुफ़ाएं मध्य प्रदेश में स्थित हैं। वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ को [[मध्य प्रदेश]] से अलग कर नया राज्य बनाया गया। वर्तमान में सिंघनपुर, [[छत्तीसगढ़]] राज्य में है। लखनिया गुफ़ा उत्तर प्रदेश में स्थित है।
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| {किसने कबूतर के पंख को काटकर चित्रकारों से उसका चित्र बनवाया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-66,प्रश्न-69
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| |type="()"}
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| -[[अकबर]]
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| -[[जहांगीर]]
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| +[[हुमायूँ]]
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| -[[जलालुद्दीन ख़िलजी|जलालुद्दीन]]
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| {[[कंपनी शैली]] के भारतीय केंद्रों में प्रसिद्ध है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-3
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| |type="()"}
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| -[[मुर्शिदाबाद]]
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| -[[कलकत्ता]]
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| +[[पटना]]
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| -[[दिल्ली]]
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| ||[[पटना चित्रकला|पटना कला शैली]] का विकास यूरोपीय एवं भारतीय शैली के सम्मिश्रण से हुआ। इसका दूसरा नाम '[[कंपनी शैली]]' भी है। अंग्रेजी प्रशासन तथा व्यापार का विशिष्ट केंद्र होने के कारण पटना में अंग्रेज व्यापारी, धनाढ्य तथा कंपनी के अधिकारी निवास करते थे। इनके आश्रय में कलाकार 'एंग्लो इंडियन स्टाइल' चित्रण करते थे। 'अर्द्ध-यूरोपीय ढंग' से पूर्व-पाश्चात्य मिश्रण के आधार पर पटना शैली में पशु-पक्षी, प्राकृतिक चित्र, लघु चित्र, भारतीय जनमानस तथा पारिवारिक चित्र बनाए गए। पटना शैली के कलाकारों ने अबरक (अभ्रक) के पत्रों पर अतिलधु चित्रों का निर्माण आरंभ किया।
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| {भारतीय [[चित्रकला]] का रंग-विधान किसका भाग है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-162,प्रश्न-39
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| |type="()"}
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| -सादृश्य
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| -रूपभेद
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| -प्रमाण
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| +वर्णिकाभंग
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| ||भारतीय चित्रकला का 'रंगविधान' वर्णिकाभंग का भाग है। रंगों का प्रभाव तथा मिश्रण उनके प्रयोग की विधियां और ब्रश का ज्ञान वर्णिका भंग के अंतर्गत आता है। कला कृति में भावों के अनुसार रंगों का प्रयोग करने पर ही चित्र प्रभावित होते हैं। [[चित्रकला]] में वर्णिका का विशेष महत्त्व स्पष्ट है।
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| {भगवान की लीलाओं से संबंधित किस भगवान के चित्र [[राजस्थानी कला]] में अधिक बने? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-51,प्रश्न-32
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| |type="()"}
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| -[[राम]]
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| +[[कृष्ण]]
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| -[[शिव]]
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| -[[देवी]]
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| ||[[राजस्थान]] में [[वैष्णव धर्म]] एवं वल्लभ संप्रदाय का प्रभाव अधिक था। इसी कारण [[राजस्थानी चित्रकला]] में [[राधा]] - [[कृष्ण]] की मनोरम लीलाओं के आकर्षक चित्र अधिक प्राप्त होते हैं।
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| {[[मुगल कालीन चित्रकला|मुगल चित्रकला]] में हिंदू विषयों का पोषक कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-69,प्रश्न-88 | | {[[मुगल कालीन चित्रकला|मुगल चित्रकला]] में हिंदू विषयों का पोषक कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-69,प्रश्न-88 |