दंतपुर: Difference between revisions
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*वह [[मगध]] से भाग कर दंतपुर के बंदरगाह से एक जलयान द्वारा यात्रा करके [[मलय]] देश पहुँचा था। | *वह [[मगध]] से भाग कर दंतपुर के बंदरगाह से एक जलयान द्वारा यात्रा करके [[मलय]] देश पहुँचा था। | ||
*वर्तमान [[जगन्नाथपुरी]] ही प्राचीन दंतपुर है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=422|url=}}</ref> | *वर्तमान [[जगन्नाथपुरी]] ही प्राचीन दंतपुर है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=422|url=}}</ref> | ||
*'''दंतपुर''' प्राचीन [[कलिंग]] के एक नगर का नाम है। यहाँ राजा ब्रह्मदत्त ने बुद्धदेव का एक दांत स्थापित कर एक [[स्तूप]] बनवाया था जिससे यह बौद्धों का एक तीर्थ स्थान बन गया। [[बौद्ध धर्म]] में प्रचलित इस शब्द का प्रयोग [[हिन्दी साहित्य]] में किया गया है। <ref>पुस्तक- पौराणिक कोश |लेखक- राणा प्रसाद शर्मा | पृष्ठ संख्या- 559</ref> | |||
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Latest revision as of 10:35, 11 April 2018
दंतपुर अथवा 'दंतपुरनगर' बंगाल की खाड़ी पर स्थित प्राचीन बंदरगाह था। कुछ विद्वानों ने वर्तमान जगन्नाथपुरी को ही दंतपुर बताया है।
- मलय प्रायद्वीप के लिगोर नामक प्राचीन भारतीय उपनिवेश को बसाने वाले राजकुमार के विषय में परंपरागत कथा है कि वह मौर्य सम्राट अशोक का वंशज था।
- वह मगध से भाग कर दंतपुर के बंदरगाह से एक जलयान द्वारा यात्रा करके मलय देश पहुँचा था।
- वर्तमान जगन्नाथपुरी ही प्राचीन दंतपुर है।[1]
- दंतपुर प्राचीन कलिंग के एक नगर का नाम है। यहाँ राजा ब्रह्मदत्त ने बुद्धदेव का एक दांत स्थापित कर एक स्तूप बनवाया था जिससे यह बौद्धों का एक तीर्थ स्थान बन गया। बौद्ध धर्म में प्रचलित इस शब्द का प्रयोग हिन्दी साहित्य में किया गया है। [2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
बौद्ध धर्म शब्दावली |
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