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'''केल्ट''' प्रजाति की दृष्टि से यूरोप के मध्य तथा पश्चिमी भाग के प्राचीन निवासी। आजकल सामान्यत: फ्रांस, ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड के केल्टिक भाषाएँ बोलनेवाले उन निवासियों को केल्ट कहा गया है जो शारिरिक आकार में छोटे और त्वचा के रंग में कम उजले हैं। परंतु प्राचीन लेखकों ने जिस प्रजाति को यह संज्ञा दी थी वे ऊँचे, नीली या भूरी आँखोवाले तथा उजले केशोंवाले थे। वे आल्प्स पर्वतमाला के उत्तरी भूभाग में रहनेवाला लोग थे। यूनानी उन्हें केल्तोई कहा करते थे। इस वर्ग में स्कैंडिनेेविया क्षेत्र की नोदिक और अल्पाई इन दोनों प्रजातियों की गणना होती थी। भौगिलिक तथा शरीररचना की दृष्टि से उनकी स्थिति स्कैंडिनेवियाई और भूमध्यसागरीय प्रजातिसमूहों के बीच की कही जा सकती है।
'''केल्ट''' प्रजाति की दृष्टि से [[यूरोप]] के मध्य तथा पश्चिमी भाग के प्राचीन निवासी हैं। आजकल सामान्यत: [[फ्रांस]], [[ग्रेट ब्रिटेन]] और [[आयरलैंड]] के केल्टिक भाषाएँ बोलने वाले उन निवासियों को '''केल्ट''' कहा गया है जो शारिरिक आकार में छोटे और त्वचा के रंग में कम उजले हैं। परंतु प्राचीन लेखकों ने जिस प्रजाति को यह संज्ञा दी थी वे ऊँचे, नीली या भूरी आँखों वाले तथा उजले केशों वाले थे। वे [[आल्प्स|आल्प्स पर्वतमाला]] के उत्तरी भूभाग में रहने वाले लोग थे।  


आल्प्स पर्वतमाला और दानूब नदी के बीच की उपत्यका में संभवत: केल्ट जाति के आदि प्रतिनिधि प्राचीन प्रस्तरयुग में आकर बसे थे।- ईसा पूर्व 500 से इनकी शक्ति के विकास का आरंभ हुआ। ये मध्य यूरोप से क्रमश: अन्य क्षेत्रों में फैलने लगे। उनकी शक्ति के विकास का मुख्य कारण संभवत: धातुविद्या में उनकी दक्षता थी। क्षेत्रीय लौह साधनों का विकास उनकी भौतिक संस्कृति की विशेषता थी।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 3|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=122 |url=}}</ref>
यूनानी उन्हें '''केल्तोई''' कहा करते थे। इस वर्ग में स्कैंडिनेेविया क्षेत्र की नोदिक और अल्पाई इन दोनों प्रजातियों की गणना होती थी। भौगोलिक तथा शरीर रचना की दृष्टि से उनकी स्थिति स्कैंडिनेवियाई और भूमध्यसागरीय प्रजाति समूहों के बीच की कही जा सकती है।


ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में उनका विकास और विस्तार सबसे अधिक हुआ। वे सबसे पहले संभवत: फ्रांस के भूमध्यसागरीय तट की दिशा में बढ़े। विद्वानों का अनुमान है कि ईसा पूर्व चौथी शताब्दी के पूर्व किसी समय वे इटली, दानूब उपत्यका, बाल्कन देशों और दक्षिण रूस में गए होंगे। पश्चिम की ओर वे संभवत: बाद में गए और दो स्वतंत्र समूहों में वे ग्रेट ब्रिटेन के द्वीपों में संभवत: ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में पहुँचे।<ref>सं.ग्रं.-रिप्ले : द रेसेज़ ऑव यूरोप; सर्जी : द मेडिटेरेनियन रेस।</ref>
आल्प्स पर्वतमाला और दानूब नदी के बीच की उपत्यका में संभवत: केल्ट जाति के आदि प्रतिनिधि प्राचीन प्रस्तर युग में आकर बसे थे। ईसा पूर्व 500 से इनकी शक्ति के विकास का आरंभ हुआ। ये [[यूरोप|मध्य यूरोप]] से क्रमश: अन्य क्षेत्रों में फैलने लगे। उनकी शक्ति के विकास का मुख्य कारण संभवत: धा तुविद्या में उनकी दक्षता थी। क्षेत्रीय लौह साधनों का विकास उनकी भौतिक संस्कृति की विशेषता थी।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 3|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=122 |url=}}</ref>
 
ईसा पूर्व तीसरी [[शताब्दी]] में उनका विकास और विस्तार सबसे अधिक हुआ। वे सबसे पहले संभवत: फ्रांस के भूमध्यसागरीय तट की दिशा में बढ़े। विद्वानों का अनुमान है कि ईसा पूर्व चौथी शताब्दी के पूर्व किसी समय वे [[इटली]], दानूब उपत्यका, बाल्कन देशों और [[रूस|दक्षिण रूस]] में गए होंगे। [[पश्चिम दिशा|पश्चिम]] की ओर वे संभवत: बाद में गए और दो स्वतंत्र समूहों में वे ग्रेट ब्रिटेन के द्वीपों में संभवत: ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में पहुँचे।<ref>सं.ग्रं.-रिप्ले : द रेसेज़ ऑफ यूरोप; सर्जी : द मेडिटेरेनियन रेस।</ref>





Latest revision as of 06:33, 13 January 2020

केल्ट प्रजाति की दृष्टि से यूरोप के मध्य तथा पश्चिमी भाग के प्राचीन निवासी हैं। आजकल सामान्यत: फ्रांस, ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड के केल्टिक भाषाएँ बोलने वाले उन निवासियों को केल्ट कहा गया है जो शारिरिक आकार में छोटे और त्वचा के रंग में कम उजले हैं। परंतु प्राचीन लेखकों ने जिस प्रजाति को यह संज्ञा दी थी वे ऊँचे, नीली या भूरी आँखों वाले तथा उजले केशों वाले थे। वे आल्प्स पर्वतमाला के उत्तरी भूभाग में रहने वाले लोग थे।

यूनानी उन्हें केल्तोई कहा करते थे। इस वर्ग में स्कैंडिनेेविया क्षेत्र की नोदिक और अल्पाई इन दोनों प्रजातियों की गणना होती थी। भौगोलिक तथा शरीर रचना की दृष्टि से उनकी स्थिति स्कैंडिनेवियाई और भूमध्यसागरीय प्रजाति समूहों के बीच की कही जा सकती है।

आल्प्स पर्वतमाला और दानूब नदी के बीच की उपत्यका में संभवत: केल्ट जाति के आदि प्रतिनिधि प्राचीन प्रस्तर युग में आकर बसे थे। ईसा पूर्व 500 से इनकी शक्ति के विकास का आरंभ हुआ। ये मध्य यूरोप से क्रमश: अन्य क्षेत्रों में फैलने लगे। उनकी शक्ति के विकास का मुख्य कारण संभवत: धा तुविद्या में उनकी दक्षता थी। क्षेत्रीय लौह साधनों का विकास उनकी भौतिक संस्कृति की विशेषता थी।[1]

ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में उनका विकास और विस्तार सबसे अधिक हुआ। वे सबसे पहले संभवत: फ्रांस के भूमध्यसागरीय तट की दिशा में बढ़े। विद्वानों का अनुमान है कि ईसा पूर्व चौथी शताब्दी के पूर्व किसी समय वे इटली, दानूब उपत्यका, बाल्कन देशों और दक्षिण रूस में गए होंगे। पश्चिम की ओर वे संभवत: बाद में गए और दो स्वतंत्र समूहों में वे ग्रेट ब्रिटेन के द्वीपों में संभवत: ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में पहुँचे।[2]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 3 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 122 |
  2. सं.ग्रं.-रिप्ले : द रेसेज़ ऑफ यूरोप; सर्जी : द मेडिटेरेनियन रेस।

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