आईएनएस विराट: Difference between revisions

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*आई.एन.एस. विराट के अंतिम यात्रा के साथ ही सी हैरियर्स का एक दौर भी खत्‍म हो गया। सी हैरियर्स फाइटर जेट्स विराट पर ही डेप्‍लॉयड थे। सी हैरियर्स वर्टिकल टेक ऑफ और इसी तरह से लैंडिंग करने में समर्थ हैं। अब सी हैरियर्स को हाई स्‍पीड ट्रैक पर ट्रेनिंग के लिये प्रयोग किया जायेगा। हालांकि सी किंग अभी सेवा में बने रहेंगे।
*आई.एन.एस. विराट के अंतिम यात्रा के साथ ही सी हैरियर्स का एक दौर भी खत्‍म हो गया। सी हैरियर्स फाइटर जेट्स विराट पर ही डेप्‍लॉयड थे। सी हैरियर्स वर्टिकल टेक ऑफ और इसी तरह से लैंडिंग करने में समर्थ हैं। अब सी हैरियर्स को हाई स्‍पीड ट्रैक पर ट्रेनिंग के लिये प्रयोग किया जायेगा। हालांकि सी किंग अभी सेवा में बने रहेंगे।
*विराट को कोच्चि के शिपयार्ड में रिटायर होने से पहले रि-फिट किया जायेगा। नेवी ऑफिसर्स ने बताया कि एयरमेन के लिये यह वाकई काफ़ी दुखद पल है क्‍योंकि अब उन्‍हें आई.एन.एस. विराट के डेक को अलविदा कहना है। उन्‍होंने बताया कि जहाज पर सुरक्षा को लेकर किसी तरह का कोई खतरा नहीं है, इसी वजह से सी किंग्‍स ने इस शिप से उड़ान भरी।
*विराट को कोच्चि के शिपयार्ड में रिटायर होने से पहले रि-फिट किया जायेगा। नेवी ऑफिसर्स ने बताया कि एयरमेन के लिये यह वाकई काफ़ी दुखद पल है क्‍योंकि अब उन्‍हें आई.एन.एस. विराट के डेक को अलविदा कहना है। उन्‍होंने बताया कि जहाज पर सुरक्षा को लेकर किसी तरह का कोई खतरा नहीं है, इसी वजह से सी किंग्‍स ने इस शिप से उड़ान भरी।
*अधिकारियों ने बताया कि आई.एन.एस. विराट को नेवी के पायलेट अक्‍सर 'मां' कहकर बुलाते हैं, इसके आखिरी दिनों में सबकी आंखें नम हैं। आई.एन.एस. विराट के डेक से सी किंग को उड़ाया, उसके कैप्‍टन कमांडर वी.एम. आकाश थे और को-पायलट निहाल सबनिस थे। नेविगेशन इंस्‍ट्रक्‍टर में लेफ्टिनेंट कमांडर ए ओमनाकुट्टन और ट्रेनी लेफ्टिनेंट मनोज ठाकुर शामिल थे।
*अधिकारियों ने बताया कि आई.एन.एस. विराट को नेवी के पायलेट अक्‍सर 'मां' कहकर बुलाते हैं, इसके आखिरी दिनों में सबकी आँखेंं नम हैं। आई.एन.एस. विराट के डेक से सी किंग को उड़ाया, उसके कैप्‍टन कमांडर वी.एम. आकाश थे और को-पायलट निहाल सबनिस थे। नेविगेशन इंस्‍ट्रक्‍टर में लेफ्टिनेंट कमांडर ए ओमनाकुट्टन और ट्रेनी लेफ्टिनेंट मनोज ठाकुर शामिल थे।
*आई.एन.एस. विराट पिछले 57 [[वर्ष|वर्षों]] से सर्विस में था और इंडियन नेवी से पहले इसने रॉयल ब्रिटिश नेवी को अपनी सर्विसेज दी थीं। इस तरह से यह दो देशों की नेवी का हिस्‍सा रहा है। साथ ही यह दुनिया की पहली ऐसी वॉरशिप है, जिसके नाम लंबे समय तक सेवा में रहने का रिकॉर्ड दर्ज है। आई.एन.एस. विराट को [[18 नवंबर]], [[1959]] को ब्रिटिश रॉयल नेवी में कमीशंड किया गया था। इसके बाद करीब तीन दशक तक ब्रिटिश रॉयल नेवी में रहने के बाद यह वर्ष [[1987]] में यह इंडियन नेवी का हिस्‍सा बना।
*आई.एन.एस. विराट पिछले 57 [[वर्ष|वर्षों]] से सर्विस में था और इंडियन नेवी से पहले इसने रॉयल ब्रिटिश नेवी को अपनी सर्विसेज दी थीं। इस तरह से यह दो देशों की नेवी का हिस्‍सा रहा है। साथ ही यह दुनिया की पहली ऐसी वॉरशिप है, जिसके नाम लंबे समय तक सेवा में रहने का रिकॉर्ड दर्ज है। आई.एन.एस. विराट को [[18 नवंबर]], [[1959]] को ब्रिटिश रॉयल नेवी में कमीशंड किया गया था। इसके बाद करीब तीन दशक तक ब्रिटिश रॉयल नेवी में रहने के बाद यह वर्ष [[1987]] में यह इंडियन नेवी का हिस्‍सा बना।



Latest revision as of 05:42, 4 February 2021

आईएनएस विराट
विवरण आई.एन.एस. विराट भारतीय नौसेना में सेंतौर श्रेणी का एक वायुयान वाहक पोत है। भारतीय सेना की अग्रिम पंक्ति[1] का यह पोत लंबे समय से सेना की सेवा में है।
निर्माता विकर्स-आर्म्स्ट्रॉन्ग
लम्बाई 226.5 मीटर
चौड़ाई 48.78 मीटर
गति 28 नॉट
संबंधित लेख पनडुब्बी, भारतीय सेना, थल सेना, वायु सेना, नौसेना, आईएनएस चक्र 2, विमान वाहक पोत, आईएनएस विक्रमादित्य, आईएनएस कोलकाता
अन्य जानकारी इंडियन नेवी का पहला एयरक्राफ्ट कैरियर आई.एन.एस. विराट अपने सफर के अंतिम पड़ाव के तहत केरल के कोच्चि पहुंच गया। आई.एन.एस. विराट कोच्चि के नेवल एयरस्‍टेशन पर ही अब आराम करेगा।
अद्यतन‎

आईएनएस विराट (अंग्रेज़ी:INS Viraat) भारतीय नौसेना में सेंतौर श्रेणी का एक वायुयान वाहक पोत है। भारतीय सेना की अग्रिम पंक्ति[2] का यह पोत लंबे समय से सेना की सेवा में है। भारतीय नौसेना पोत विक्रांत के सेवामुक्त कर दिये जाने के बाद इसी ने विक्रांत के रिक्त स्थान की पूर्ति की थी। इस समय यह हिंद महासागर में उपस्थित दो वायुयान वाहक पोतों में से एक है।[3]

  • इसको विकर्स-आर्म्स्ट्रॉन्ग ने बनाया था। इसकी लम्बाई 226.5 मीटर, चौड़ाई 48.78 मीटर तथा स्पीड 28 नॉट है।
  • इंडियन नेवी का पहला एयरक्राफ्ट कैरियर आई.एन.एस. विराट अपने सफर के अंतिम पड़ाव के तहत केरल के कोच्चि पहुंच गया। आई.एन.एस. विराट के पहुंचते ही एक अजीब सा माहौल था। आखिरी बार इस एयरक्राफ्ट के डेक से सी हैरियर फाइटर्स और सी किंग हेलीकॉप्‍टर्स ने उड़ान भरी। आई.एन.एस. विराट कोच्चि के नेवल एयरस्‍टेशन पर ही अब आराम करेगा।
  • आई.एन.एस. विराट के अंतिम यात्रा के साथ ही सी हैरियर्स का एक दौर भी खत्‍म हो गया। सी हैरियर्स फाइटर जेट्स विराट पर ही डेप्‍लॉयड थे। सी हैरियर्स वर्टिकल टेक ऑफ और इसी तरह से लैंडिंग करने में समर्थ हैं। अब सी हैरियर्स को हाई स्‍पीड ट्रैक पर ट्रेनिंग के लिये प्रयोग किया जायेगा। हालांकि सी किंग अभी सेवा में बने रहेंगे।
  • विराट को कोच्चि के शिपयार्ड में रिटायर होने से पहले रि-फिट किया जायेगा। नेवी ऑफिसर्स ने बताया कि एयरमेन के लिये यह वाकई काफ़ी दुखद पल है क्‍योंकि अब उन्‍हें आई.एन.एस. विराट के डेक को अलविदा कहना है। उन्‍होंने बताया कि जहाज पर सुरक्षा को लेकर किसी तरह का कोई खतरा नहीं है, इसी वजह से सी किंग्‍स ने इस शिप से उड़ान भरी।
  • अधिकारियों ने बताया कि आई.एन.एस. विराट को नेवी के पायलेट अक्‍सर 'मां' कहकर बुलाते हैं, इसके आखिरी दिनों में सबकी आँखेंं नम हैं। आई.एन.एस. विराट के डेक से सी किंग को उड़ाया, उसके कैप्‍टन कमांडर वी.एम. आकाश थे और को-पायलट निहाल सबनिस थे। नेविगेशन इंस्‍ट्रक्‍टर में लेफ्टिनेंट कमांडर ए ओमनाकुट्टन और ट्रेनी लेफ्टिनेंट मनोज ठाकुर शामिल थे।
  • आई.एन.एस. विराट पिछले 57 वर्षों से सर्विस में था और इंडियन नेवी से पहले इसने रॉयल ब्रिटिश नेवी को अपनी सर्विसेज दी थीं। इस तरह से यह दो देशों की नेवी का हिस्‍सा रहा है। साथ ही यह दुनिया की पहली ऐसी वॉरशिप है, जिसके नाम लंबे समय तक सेवा में रहने का रिकॉर्ड दर्ज है। आई.एन.एस. विराट को 18 नवंबर, 1959 को ब्रिटिश रॉयल नेवी में कमीशंड किया गया था। इसके बाद करीब तीन दशक तक ब्रिटिश रॉयल नेवी में रहने के बाद यह वर्ष 1987 में यह इंडियन नेवी का हिस्‍सा बना।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. फ़्लेगशिप
  2. फ़्लेगशिप
  3. आईएनएस विराट (हिन्दी) oneindia.com। अभिगमन तिथि: 3, अगस्त, 2016।

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