मरियम मिर्ज़ाख़ानी का परिचय: Difference between revisions

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मरियम मिर्ज़ाख़ानी के बड़े भाई एक दिन स्कूल से आए और उन्हें 01 से लेकर 100 तक की संख्याओं का जोड़ फटाफट बताने को कहा। मेहनत-मशक्कत करके इस सवाल का कोई जवाब खोज पातीं, इसके पहले ही भाई ने उन्हें बताया कि ऊपर और नीचे की संख्याओं के जोड़े बनाकर देखो- 100+1=101, 99+2=101, 98+3=101…. 49+52=101 और 50+51=101, यानी कुल 50 ऐसे जोड़े, जिनका जोड़ 101 आता है। इस तरह कुल हिसाब 50×101=5050 का बनता है। मरियम का कहना था कि यह चमत्कार देखकर वे गणित की मुरीद हो गईं।
मरियम मिर्ज़ाख़ानी के बड़े भाई एक दिन स्कूल से आए और उन्हें 01 से लेकर 100 तक की संख्याओं का जोड़ फटाफट बताने को कहा। मेहनत-मशक्कत करके इस सवाल का कोई जवाब खोज पातीं, इसके पहले ही भाई ने उन्हें बताया कि ऊपर और नीचे की संख्याओं के जोड़े बनाकर देखो- 100+1=101, 99+2=101, 98+3=101…. 49+52=101 और 50+51=101, यानी कुल 50 ऐसे जोड़े, जिनका जोड़ 101 आता है। इस तरह कुल हिसाब 50×101=5050 का बनता है। मरियम का कहना था कि यह चमत्कार देखकर वे गणित की मुरीद हो गईं।
==शिक्षा==
==शिक्षा==
कितनी प्रतिभा उनके अंदर छिपी थी और कितनी तेजी से उन्होंने इसका इस्तेमाल करना सीख लिया था, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हाईस्कूल पास करने के तुरंत बाद [[1994]] और [[1995]], इन दोनों वर्षों के इंटरनेशनल मैथमेटिकल ओलिंपियाड उन्होंने जीते। पहली बार 99 और दूसरी बार सौ में सौ अंकों के साथ। यहां से आगे अपनी बी.एससी. उन्होंने तेहरान की शरीफ टेक्निकल युनिवर्सिटी से पूरी की और फिर हायर स्टडीज के लिए [[अमेरिका]] आ गईं। गनीमत इतनी ही थी कि इस समय [[ईरान]] में उदारवादी नेता मोहम्मद खातमी का शासन था और बाहर पढ़ने की उनकी अर्जी को पलायन या देशद्रोह की कोशिश की तरह नहीं देखा गया। उन्होंने [[2004]] में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की, जहां तक सवाल गणित में मरियम के योगदान का है तो यह ज्योमेट्री (रेखागणित) की एक ताजातरीन शाखा में है। पहली नजर में कोई भी इसे ऐब्स्ट्रैक्ट मैथमेटिक्स तक सीमित बताएगा। लेकिन कंप्यूटर साइंस से लेकर जीव विज्ञान तक विज्ञान के कई दायरों में उनके काम की धमक आने वाले दिनों में सुनाई देगी।
कितनी प्रतिभा उनके अंदर छिपी थी और कितनी तेज़ीसे उन्होंने इसका इस्तेमाल करना सीख लिया था, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हाईस्कूल पास करने के तुरंत बाद [[1994]] और [[1995]], इन दोनों वर्षों के इंटरनेशनल मैथमेटिकल ओलिंपियाड उन्होंने जीते। पहली बार 99 और दूसरी बार सौ में सौ अंकों के साथ। यहां से आगे अपनी बी.एससी. उन्होंने तेहरान की शरीफ टेक्निकल युनिवर्सिटी से पूरी की और फिर हायर स्टडीज के लिए [[अमेरिका]] आ गईं। गनीमत इतनी ही थी कि इस समय [[ईरान]] में उदारवादी नेता मोहम्मद खातमी का शासन था और बाहर पढ़ने की उनकी अर्जी को पलायन या देशद्रोह की कोशिश की तरह नहीं देखा गया। उन्होंने [[2004]] में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की, जहां तक सवाल गणित में मरियम के योगदान का है तो यह ज्योमेट्री (रेखागणित) की एक ताजातरीन शाखा में है। पहली नजर में कोई भी इसे ऐब्स्ट्रैक्ट मैथमेटिक्स तक सीमित बताएगा। लेकिन कंप्यूटर साइंस से लेकर जीव विज्ञान तक विज्ञान के कई दायरों में उनके काम की धमक आने वाले दिनों में सुनाई देगी।





Revision as of 08:25, 10 February 2021

मरियम मिर्ज़ाख़ानी विषय सूची
मरियम मिर्ज़ाख़ानी का परिचय
पूरा नाम मरियम मिर्ज़ाख़ानी
जन्म 3 मई, 1977
जन्म भूमि तेहरान, ईरान
मृत्यु 15 जुलाई, 2017
मृत्यु स्थान अमेरिका
कर्म-क्षेत्र अंकशास्त्र
शिक्षा बी.एससी., पीएचडी
विद्यालय शरीफ टेक्निकल युनिवर्सिटी, तेहरान; हार्वर्ड यूनिवर्सिटी।
पुरस्कार-उपाधि 'फील्ड्स मेडल' (2014), 'सैटर पुरस्कार' (2009), 'ब्लूमेंथल पुरस्कार' (2009)।
प्रसिद्धि गणितज्ञ
नागरिकता ईरानी
अन्य जानकारी 2014 में मरियम मिर्ज़ाख़ानी को 'फील्ड्स मेडल' से सम्मानित किया गया। अंतरराष्ट्रीय गणितज्ञ कांग्रेस की ओर से दिए जाने वाले इस पुरस्कार को 'गणित की दुनिया का नोबेल पुरस्कार' कहा जाता है।

वर्ष 2014 में मरियम मिर्ज़ाख़ानी को 'फील्ड्स मेडल' से सम्मानित किया गया था। अंतरराष्ट्रीय गणितज्ञ कांग्रेस की ओर से दिए जाने वाले इस पुरस्कार को गणित की दुनिया का नोबेल पुरस्कार कहा जाता है। उन्हें यह सम्मान ज्यामिति और डायनेमिकल सिस्टम के क्षेत्र में योगदान के लिए दिया गया था।

परिचय

मरियम मिर्ज़ाख़ानी का जन्म 3 मई, 1977 को तेहरान, ईरान में हुआ था। उनका गणित में इतना ऊंचा मुकाम हासिल करना किसी परिकथा से कम नहीं है। वे जब तेहरान में अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी कर रही थीं, तब उनका देश कट्टरपंथी इस्लामी क्रांति और इराक के साथ लंबे युद्ध का सामना कर रहा था। इस अशांत स्थिति में भी किसी आम तेहरानी की तरह मरियम में साहित्य के प्रति गहरा अनुराग था और बड़ी होकर वे इसी क्षेत्र में कुछ करना चाहती थीं। यहां से गणित के बिल्कुल अजनबी दायरे में अपनी यात्रा का एक दिलचस्प किस्सा उन्होंने बताया था।[1]

मरियम मिर्ज़ाख़ानी के बड़े भाई एक दिन स्कूल से आए और उन्हें 01 से लेकर 100 तक की संख्याओं का जोड़ फटाफट बताने को कहा। मेहनत-मशक्कत करके इस सवाल का कोई जवाब खोज पातीं, इसके पहले ही भाई ने उन्हें बताया कि ऊपर और नीचे की संख्याओं के जोड़े बनाकर देखो- 100+1=101, 99+2=101, 98+3=101…. 49+52=101 और 50+51=101, यानी कुल 50 ऐसे जोड़े, जिनका जोड़ 101 आता है। इस तरह कुल हिसाब 50×101=5050 का बनता है। मरियम का कहना था कि यह चमत्कार देखकर वे गणित की मुरीद हो गईं।

शिक्षा

कितनी प्रतिभा उनके अंदर छिपी थी और कितनी तेज़ीसे उन्होंने इसका इस्तेमाल करना सीख लिया था, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हाईस्कूल पास करने के तुरंत बाद 1994 और 1995, इन दोनों वर्षों के इंटरनेशनल मैथमेटिकल ओलिंपियाड उन्होंने जीते। पहली बार 99 और दूसरी बार सौ में सौ अंकों के साथ। यहां से आगे अपनी बी.एससी. उन्होंने तेहरान की शरीफ टेक्निकल युनिवर्सिटी से पूरी की और फिर हायर स्टडीज के लिए अमेरिका आ गईं। गनीमत इतनी ही थी कि इस समय ईरान में उदारवादी नेता मोहम्मद खातमी का शासन था और बाहर पढ़ने की उनकी अर्जी को पलायन या देशद्रोह की कोशिश की तरह नहीं देखा गया। उन्होंने 2004 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की, जहां तक सवाल गणित में मरियम के योगदान का है तो यह ज्योमेट्री (रेखागणित) की एक ताजातरीन शाखा में है। पहली नजर में कोई भी इसे ऐब्स्ट्रैक्ट मैथमेटिक्स तक सीमित बताएगा। लेकिन कंप्यूटर साइंस से लेकर जीव विज्ञान तक विज्ञान के कई दायरों में उनके काम की धमक आने वाले दिनों में सुनाई देगी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अलग ही गणित बनाती आई हैं मरियम मिर्जाखानी (हिंदी) blogs.navbharattimes.indiatimes.com। अभिगमन तिथि: 16 जुलाई, 2017।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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