गजानन माधव 'मुक्तिबोध': Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
Line 25: Line 25:
उन्होंने नयी कविता का अपना शास्त्र ही गढ़ डाला है। पर वे निरे शास्त्रीय आलोचक नहीं हैं। उनकी कविता की ही तरह उनकी आलोचना में भी वही चरमता है, ईमान और अनुभव की वही पारदर्शिता, जो प्रथम श्रेणी के लेखकों में पाई जाती है। उन्होंने अपनी आलोचना द्वारा ऐसे अनेक तथ्यों को उद्घाटित किया है, जिन पर साधारणत: ध्यान नहीं दिया जाता रहा। 'जड़ीभूत सौन्दर्याभरुचि' तथा 'व्यक्ति के अन्त:करण के संस्कार में उसके परिवार का योगदान' उदाहरण के रूप में गिनाए जा सकते हैं।
उन्होंने नयी कविता का अपना शास्त्र ही गढ़ डाला है। पर वे निरे शास्त्रीय आलोचक नहीं हैं। उनकी कविता की ही तरह उनकी आलोचना में भी वही चरमता है, ईमान और अनुभव की वही पारदर्शिता, जो प्रथम श्रेणी के लेखकों में पाई जाती है। उन्होंने अपनी आलोचना द्वारा ऐसे अनेक तथ्यों को उद्घाटित किया है, जिन पर साधारणत: ध्यान नहीं दिया जाता रहा। 'जड़ीभूत सौन्दर्याभरुचि' तथा 'व्यक्ति के अन्त:करण के संस्कार में उसके परिवार का योगदान' उदाहरण के रूप में गिनाए जा सकते हैं।
==प्रकाशित पुस्तकें==  
==प्रकाशित पुस्तकें==  
'''काव्य'''
*चाँद का मुँह टेढ़ा है,  
*चाँद का मुँह टेढ़ा है,  
*भूरी-भूरी खाक धुल (कविता संग्रह)
*भूरी भूरी खाक धूल।
'''आलोचना-साहित्य'''
*कामायनी: एक पुनर्विचार,
*भारत: इतिहास और संस्कृति,
*नई कविता का आत्म संघर्ष तथा अन्य निबंध,
*एक साहित्यिक की डायरी,
*समीक्षा की समस्याएँ,
*नये साहित्य का सौन्दर्यशास्त्र, जिसका नया संस्करण अब कुछ परिवर्तित रूप में 'आखिर रचना क्यों?' नाम से प्रकाशित हुआ।
'''कथा-साहित्य'''
*काठ का सपना,  
*काठ का सपना,  
*विपात्र,  
*विपात्र,  
*सतह से उठता आदमी (कथा साहित्य);
*सतह से उठता आदमी।
*कामायनी:एक पुनर्विचार,
*नयी कविता का आत्मसंघर्ष,
*नये साहित्य का सौन्दर्यशास्त्र, जिसका नया संस्करण अब कुछ परिवर्तित रूप में 'आखिर रचना क्यों?' नाम से प्रकाशित हुआ,
*समीक्षा की समस्याएँ,
*एक साहित्यिक की डायरी (आलोचनात्मक) तथा भारत: इतिहास और संस्कृति।


==अभिरुचि==  
==अभिरुचि==  

Revision as of 08:02, 12 November 2010

गजानन माधव मुक्तिबोध (जन्म- 13 नवंबर 1917;मृत्यु- 11 सितंबर 1964) की प्रसिद्धि प्रगतिशील कवि के रूप में है।

जन्म और शिक्षा

गजानन माधव 'मुक्तिबोध' का जन्म 13 नवम्बर, 1917 को श्यौपुर (ग्वालियर) में हुआ था। इनकी आरम्भिक शिक्षा उज्जैन में हुई। मुक्तिबोध जी के पिता पुलिस विभाग के इंस्पेक्टर थे और उनका तबादला प्रायः होता रहता था। इसीलिए मुक्तिबोध जी की पढाई में बाधा पड़ती रहती थी। इन्दौर के होल्कर से सन् 1938 में बी. ए. करके उज्जैन के माडर्न स्कूल में अध्यापक हो गए।[1]

आजीविका

मुक्तिबोध जी ने छोटी आयु में बडनगर के मिडिल स्कूल में अध्यापन कार्य प्रारम्भ किया। सन् 1940 में मुक्तिबोध शुजालपुर के शारदा शिक्षा सदन में अध्यापक हो गए। इसके बाद उज्जैन,कलकत्ता, इंदौर, बम्बई, बंगलौर, बनारस तथा जबलपुर आदि जगहों पर नौकरियाँ की। भिन्न-भिन्न नौकरियाँ- मास्टरी से वायुसेना, पत्रकारिता से पार्टी तक। नागपुर 1948 में आये। सूचना तथा प्रकाशन विभाग, आकाशवाणी एवं 'नया खून' में काम किया। अंत में कुछ माह तक पाठ्य पुस्तकें भी लिखी। अंतत: 1958 से दिग्विजय महाविद्यालय, राजनाँदगाँव में प्राध्यापक हुए। उन्होंने लिखा है कि:-

नौकरिया पकड़ता और छोड़ता रहा।
शिक्षक, पत्रकार, पुनः शिक्षक, सरकारी और गैर सरकारी नौकरिया।
निम्न-मध्यवर्गीय जीवन, बाल-बच्चे, दवादारू, जन्म-मौत में उलझा रहा।

विवाह

पारिवारिक असहमति और विरोध के बावजूद 1939 में शांता के साथ प्रेम-विवाह किया।

सम्पादन

आगरा से नेमिचन्द्र जैन शुजालपुर पहुँच गए थे। प्रभाकर माचवे भी अक्सर आ जाते। 'तार-सप्तक' की मूल परिकल्पना भी यहीं बनी। सन् 1943 में अज्ञेय के सम्पादन में 'तार-सप्तक' का प्रकाशन हुआ। जिसकी शुरूआत मुक्तिबोध की कविताओं से होती है। सन 1945 में मुक्तिबोध बनारस गए और 'हंस' के सम्पादन में शामिल हुए। वहाँ से जल्दी ही जबलपुर लौट आए और फिर नागपुर जा निकले। नागपुर का समय बीहड़ संघर्ष का समय था, किन्तु रचना की दृष्टि से अत्यन्त उर्वर। 'नया खून' साप्ताहिक में वे नियमित रूप से लिखते रहे।

कृतियाँ

सन् 1954 में उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम. ए. किया, जिसके फलस्वरूप राजनाँदगाँव के दिग्विजय कॉलेज में नियुक्त हुए। उनकी कुछ अत्यन्त महत्वपूर्ण कविताएँ यहीं लिखी गईं। उनकी कृतियों के नाम इस प्रकार है:-

  • 'चाँद का मुँह टेढ़ा है'- कविता संग्रह: 1964,
  • 'एक साहित्यिक की डायरी'- 1965 'वसुधा' में धारावाहिक रूप से छपी थी,
  • 'कामायनी:पुनर्विचार' (आलोचना: 1952),
  • 'नयी कविता का आत्म-संघर्ष तथा अन्य निबन्ध' (1968),
  • 'काठ का सपना' (कहानी संग्रह 1966)।

इनके अलावा अनेक गद्य और पद्य रचनाएँ अभी तक अप्रकाशित हैं।

कवि

मुक्तिबोध मूलत: कवि हैं। उनकी आलोचना उनके कवि व्यक्तित्व से ही नि:सृत और परिभाषित है। वही उसकी शक्ति और सीमा है। उन्होंने एक ओर प्रगतिवाद के कठमुल्लेपन को उभार कर सामने रखा, दूसरी ओर नयी कविता की ह्रासोन्मुखी प्रवृत्तियों का पर्दाफ़ाश किया। यहाँ उनकी आलोचना दृष्टि का पैनापन और मौलिकता असन्दिग्ध है। उनकी सैद्धान्तिक और व्यावहारिक समीक्षा में तेजस्विता है। जयशंकर प्रसाद, शमशेर, कुँवरनारायण जैसे कवियों की उन्होंने जो आलोचना की है, उसमें पर्याप्त विचारोत्तेजकता है और विरोधी दृष्टि रखने वाले भी उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं। काव्य की सृजन प्रक्रिया पर उनका निबन्ध महत्वपूर्ण है। ख़ासकर फैण्टेसी का जैसा विवेचन उन्होंने किया है, वह अत्यन्त गहन और तात्विक है। उनकी यह पहचान भी महत्वपूर्ण है कि जिस कवि में आत्मनिरीक्षण जितना तीव्र होगा वह कण्डीशण्ड साहित्यिक निफ्लेक्स से उतना ही जूझ सकेगा।

उन्होंने नयी कविता का अपना शास्त्र ही गढ़ डाला है। पर वे निरे शास्त्रीय आलोचक नहीं हैं। उनकी कविता की ही तरह उनकी आलोचना में भी वही चरमता है, ईमान और अनुभव की वही पारदर्शिता, जो प्रथम श्रेणी के लेखकों में पाई जाती है। उन्होंने अपनी आलोचना द्वारा ऐसे अनेक तथ्यों को उद्घाटित किया है, जिन पर साधारणत: ध्यान नहीं दिया जाता रहा। 'जड़ीभूत सौन्दर्याभरुचि' तथा 'व्यक्ति के अन्त:करण के संस्कार में उसके परिवार का योगदान' उदाहरण के रूप में गिनाए जा सकते हैं।

प्रकाशित पुस्तकें

काव्य

  • चाँद का मुँह टेढ़ा है,
  • भूरी भूरी खाक धूल।

आलोचना-साहित्य

  • कामायनी: एक पुनर्विचार,
  • भारत: इतिहास और संस्कृति,
  • नई कविता का आत्म संघर्ष तथा अन्य निबंध,
  • एक साहित्यिक की डायरी,
  • समीक्षा की समस्याएँ,
  • नये साहित्य का सौन्दर्यशास्त्र, जिसका नया संस्करण अब कुछ परिवर्तित रूप में 'आखिर रचना क्यों?' नाम से प्रकाशित हुआ।

कथा-साहित्य

  • काठ का सपना,
  • विपात्र,
  • सतह से उठता आदमी।

अभिरुचि

  • अध्ययन-अध्यापन,
  • लेखन-पत्रकारिता-राजनीति की नियमित-अनियमित व्यस्तता के बीच।

निधन

एक लम्बी बीमारी के बाद 11 सितम्बर 1964 को नयी दिल्ली में मुक्तिबोध जी की मृत्यु हो गयी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दीकुंज (हिन्दी) (एचटीएमएल)। । अभिगमन तिथि: 12 नवंबर, 2010

बाहरी कड़ियाँ