लोटस मंदिर: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
[[भारत]] में [[दिल्ली]] एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। लोटस मंदिर यानी बहाई मंदिर-दक्षिण दिल्ली के कालका जी में 26 एकड़ में बना बहाई मंदिर जिसे लोटस मंदिर भी कहा जात है, दिसम्बर 1986 में बनकर तैयार हुआ, लोटस मंदिर भारत के राष्ट्रीय [[भारत के पुष्प|पुष्प]] कमल और भारतीय सौन्दर्य का न केवल प्रतीक है बल्कि सर्वधर्म की एकता और शान्ति का प्रतीक है। इसमें एक बड़ा शान्त और प्रार्थना स्थल है जिसमें सभी धर्मों के लोग अपने-अपने इष्टदेव या धर्म की प्रार्थना करते हैं यहाँ कोई भी मूर्ती यां किसी भी प्रकार का धर्म नहीं है। अपने इसी खास गुण के कारण यह दिल्ली और देश-विदेश में ताजमहल के बाद लोकप्रिय दर्शनीय स्थल है। | [[चित्र:Lotus-Temple.jpg|thumb|250px|लोटस मंदिर, [[दिल्ली]]<br />Lotus Temple, Delhi]] | ||
[[भारत]] में [[दिल्ली]] एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। लोटस मंदिर यानी बहाई मंदिर-दक्षिण दिल्ली के कालका जी में 26 एकड़ में बना बहाई मंदिर जिसे लोटस मंदिर भी कहा जात है, दिसम्बर [[1986]] में बनकर तैयार हुआ, लोटस मंदिर भारत के राष्ट्रीय [[भारत के पुष्प|पुष्प]] [[कमल]] और भारतीय सौन्दर्य का न केवल प्रतीक है बल्कि सर्वधर्म की एकता और शान्ति का प्रतीक है। इसमें एक बड़ा शान्त और प्रार्थना स्थल है जिसमें सभी धर्मों के लोग अपने-अपने इष्टदेव या धर्म की प्रार्थना करते हैं यहाँ कोई भी मूर्ती यां किसी भी प्रकार का धर्म नहीं है। अपने इसी खास गुण के कारण यह दिल्ली और देश-विदेश में [[ताजमहल]] के बाद लोकप्रिय दर्शनीय स्थल है। | |||
यह मंदिर एशिया महाद्वीप में बना एकमात्र बहाई प्रार्थना केंद्र है। भारत के अलावा पनामा, कंपाला, इल्लिनॉइस, फ्रैंकफर्ट, सिडनी और वेस्ट समोआ में लोटस मंदिर के केंद्र हैं। लोटस मंदिर के सभी केंद्र बहाई आस्था के प्रतीक हैं और अपने अद्वितीय वास्तु शिल्प के लिए प्रसिद्ध हैं। इस मंदिर को बनाने में कुल 10 मिलियन रु. की लागत आई थी। लोटस मंदिर को | यह मंदिर [[एशिया]] महाद्वीप में बना एकमात्र बहाई प्रार्थना केंद्र है। भारत के अलावा पनामा, कंपाला, इल्लिनॉइस, फ्रैंकफर्ट, सिडनी और वेस्ट समोआ में लोटस मंदिर के केंद्र हैं। लोटस मंदिर के सभी केंद्र बहाई आस्था के प्रतीक हैं और अपने अद्वितीय वास्तु शिल्प के लिए प्रसिद्ध हैं। इस मंदिर को बनाने में कुल 10 मिलियन रु. की लागत आई थी। लोटस मंदिर को दिसंबर 1986 में श्रद्धालुओं के लिए खोला गया था। लोटस मंदिर तालाब और बगीचों के बीच है और यह मंदिर ऐसे लगता है जैसे पानी में कमल तैर रहा हो। कमल भारत की सर्वधर्म समभाव की संस्कृति को दर्शाता है। मंदिर के प्रार्थना केंद्र में कोई मूर्ति नहीं है। लोटस मंदिर में किसी भी धर्म के अनुयायी आकर ध्यान लगा सकते हैं। मंदिर में एक सूचना केंद्र भी है। | ||
<u>'''प्रार्थना का समय'''</u> | <u>'''प्रार्थना का समय'''</u> |
Revision as of 10:23, 12 November 2010
[[चित्र:Lotus-Temple.jpg|thumb|250px|लोटस मंदिर, दिल्ली
Lotus Temple, Delhi]]
भारत में दिल्ली एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। लोटस मंदिर यानी बहाई मंदिर-दक्षिण दिल्ली के कालका जी में 26 एकड़ में बना बहाई मंदिर जिसे लोटस मंदिर भी कहा जात है, दिसम्बर 1986 में बनकर तैयार हुआ, लोटस मंदिर भारत के राष्ट्रीय पुष्प कमल और भारतीय सौन्दर्य का न केवल प्रतीक है बल्कि सर्वधर्म की एकता और शान्ति का प्रतीक है। इसमें एक बड़ा शान्त और प्रार्थना स्थल है जिसमें सभी धर्मों के लोग अपने-अपने इष्टदेव या धर्म की प्रार्थना करते हैं यहाँ कोई भी मूर्ती यां किसी भी प्रकार का धर्म नहीं है। अपने इसी खास गुण के कारण यह दिल्ली और देश-विदेश में ताजमहल के बाद लोकप्रिय दर्शनीय स्थल है।
यह मंदिर एशिया महाद्वीप में बना एकमात्र बहाई प्रार्थना केंद्र है। भारत के अलावा पनामा, कंपाला, इल्लिनॉइस, फ्रैंकफर्ट, सिडनी और वेस्ट समोआ में लोटस मंदिर के केंद्र हैं। लोटस मंदिर के सभी केंद्र बहाई आस्था के प्रतीक हैं और अपने अद्वितीय वास्तु शिल्प के लिए प्रसिद्ध हैं। इस मंदिर को बनाने में कुल 10 मिलियन रु. की लागत आई थी। लोटस मंदिर को दिसंबर 1986 में श्रद्धालुओं के लिए खोला गया था। लोटस मंदिर तालाब और बगीचों के बीच है और यह मंदिर ऐसे लगता है जैसे पानी में कमल तैर रहा हो। कमल भारत की सर्वधर्म समभाव की संस्कृति को दर्शाता है। मंदिर के प्रार्थना केंद्र में कोई मूर्ति नहीं है। लोटस मंदिर में किसी भी धर्म के अनुयायी आकर ध्यान लगा सकते हैं। मंदिर में एक सूचना केंद्र भी है।
प्रार्थना का समय
- प्रात- 10:00 से 10:15 तक
- अपराह्न- 12:00 से 12:15 तक
- सायं काल- 15:00 से 15:15 तक
- रात्रि- 17:00 से 17:15 तक
|
|
|
|
|