चेदि महाजनपद: Difference between revisions

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Revision as of 06:42, 20 March 2010

चेदि या चेति / Chedi / Cheti

पौराणिक 16 महाजनपदों में से एक है। वर्तमान में बुंदेलखंड का इलाक़ा इसके अर्न्तगत आता है। गंगा और नर्मदा के बीच के क्षेत्र का प्राचीन नाम चेदि था। बौद्ध ग्रंथों में जिन सोलह महाजनपदों का उल्लेख है उनमें यह भी था। कलिचुरि वंश ने भी यहां राज्य किया। किसी समय शिशुपाल यहां का प्रसिद्ध राजा था। उसका विवाह रूक्मणी से होने वाला था कि श्रीकृष्ण ने रूक्मणी का हरण कर दिया इसके बाद ही जब युधिष्ठर के राजसूय यज्ञ में श्रीकृष्ण को पहला स्थान दिया तो शिशुपाल ने उनकी घोर निंदा की। इस पर श्रीकृष्ण ने उसका वध कर डाला। मध्य प्रदेश का ग्वालियर क्षेत्र में वर्तमान चंदेरी कस्बा ही प्राचीन काल के चेदि राज्य की राजधानी बताया जाता है।

तथ्य

  • ॠग्वेद में चेदि नरेश कशुचैद्य का उल्लेख है ।[1]
  • रैपसन के अनुसार कशु या कसु महाभारत में वर्णित चेदिराज वसु है [2] और इन्द्र के कहने से उपरिचर राजा वसु ने रमणीय चेदि देश का राज्य स्वीकार किया था।
  • महाभारत में चेदि देश की अन्य कई देशों के साथ, कुरू के परिवर्ती देशों में गणना की गई है। [3]
  • कर्णपर्व में चेदि देश के निवासियों की प्रशंसा की गई है । [4]
  • महाभारत के समय<balloon title="(सभा0 पर्व / 29,11-12)" style="color:blue">*</balloon> कृष्ण का प्रतिद्वंद्वी शिशुपाल चेदि का शासक था। इसकी राजधानी शुक्तिमती बताई गई है। चेतिय जातक<balloon title=" कावेल सं 422 " style="color:blue">*</balloon> में चेदि की राजधानी सोत्थीवतीनगर कही गई है जो श्री नं0 ला॰ डे के मत में शुक्तिमती ही है<balloon title=" ज्याग्रेफिकल डिक्शनरी / पृ0 7 " style="color:blue">*</balloon> इस जातक में चेदिनरेश उपचर के पांच पुत्रों द्वारा हत्थिपुर, अस्सपुर, सीहपुर, उत्तर पांचाल और दद्दरपुर नामक नगरों के बसाए जाने का उल्लेख है।
  • महाभारत<balloon title=" महाभारत आशवमेधिक0 / 83,2 " style="color:blue">*</balloon> में शुक्तिमती को शुक्तिसाह्वय भी कहा गया है।
  • अंगुत्तरनिकाय में सहजाति नामक नगर की स्थिति चेदि प्रदेश में मानी गई है।<balloon title="आयस्मा महाचुंडो चेतिसुविहरति सहजातियम्'। अंगुत्तरनिकाय 3,355" style="color:blue">*</balloon> सहजाति इलाहाबाद से दस मील पर स्थित भीटा है। चेतियजातक में चेदिनरेश की नामावली है जिनमें से अंतिम उपचर या अपचर, महाभारत आदि0 पर्व 63 में वर्णित वसु जान पड़ता है।
  • वेदव्य जातक<balloon title=" वेदव्य जातक ( सं0 48 ) " style="color:blue">*</balloon> में चेति या चेदि से काशी जाने वाली सड़क पर दस्युओं का उल्लेख है।
  • विष्णु पुराण में चेदिराज शिशुपाल का उल्लेख है।<balloon title="पुनश्चेदिराजस्य दमघोषस्यात्मज शिशिशुपालनामाभवत्'। विष्णुपुराण / 4,14,50 " style="color:blue">*</balloon>
  • मिलिंदपन्हो<balloon title=" राइसडेवीज-पृ0 287 " style="color:blue">*</balloon> में चेति या चेदि का चेतनरेशों से संबंध सूचित होता है। सम्भवतः कलिंगराज खारवेल इसी वंश का राजा था। मध्ययुग में चेदि प्रदेश की दक्षिणी सीमा अधिक विस्तृत होकर मेकलसुता या नर्मदा तक जा पहुँची थी जैसा कि कर्पूरमंजरी से सूचित होता [5] कि नदियों में नर्मदा, राजाओं में रणविग्रह और कवियों में सुरानन्द चेदिमंडल के भूषण हैं।

टीका-टिप्पणी

  1. 'तामे अश्विना सनिनां विद्यातं नवानाम्। यथा चिज्जेद्य: कशु: शतुमुष्ट्रानांददत्सहस्त्रा दशगोनाम्। यो में हिरण्य सन्दृशो दशराज्ञो अमंहत। अहस्पदाच्चैद्यस्य कृष्टयश्चर्मम्ना अभितो जना:। माकिरेना पथागाद्येनेमें यन्ति चेदय:। अन्योनेत्सूरिरोहिते भूरिदावत्तरोजन:' ऋग्वेद / 8,5,37-39 ।
  2. 'स चेदिविषयं रम्यं वसु: पौरवनन्दन: इन्द्रोपदेशाज्जग्राह रमणीयं महीपति:' महाभारत आदि पर्व 63,2
  3. 'सन्ति रम्या जनपदा बह्लन्ना: परित: कुरून् पांचालाश्चेदिमत्स्याश्च शूरसेना: पटच्चरा:' महाभारत विराट0 पर्व / 1,12
  4. 'कौरवा: सहपांचाला: शाल्वा: मत्स्या: सनैमिषा: चैद्यश्च महाभागा धर्म जानन्तिशाश्वत्म' कर्णपर्व / 45,14-16
  5. 'नदीनां मेकलसुतान्नृपाणां रणविग्रह:, कवीनांच सुरानंदश्चेदिमंडलमंडनम्' कर्पूरमंजरी स्टेनकोनो पृ0 182