मण्डूक

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 07:28, 27 July 2012 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replace - "{{लेख प्रगति |आधार=आधार1 |प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}" to "{{लेख प्रगति |आधार= |प्रारम्भि�)
Jump to navigation Jump to search
  • मण्डूक वर्षाकालिक जलचर है, जिसकी टर्र-टर्र ध्वनि की तुलना बालकों के वेदपाठ से की जाती है।
  • सम्भवत: इसीलिए एक वेदशाखाकार ऋषि इस नाम से प्रसिद्ध थे।
  • ऋग्वेदीय प्रसिद्ध मण्डूकऋचा[1] में ब्राह्मणों की तुलना मण्डूकों की वर्षाकालीन ध्वनि से की गई है, जब ये पुन: वर्षा ऋतु के आगमन के साथ कार्यरत जीवन आरम्भ करने के लिए जाग पड़ते हैं।
  • कुछ विद्वानों ने इस ऋचा को वर्षा का जादू मंत्र माना है।
  • जल से सम्बन्ध रखने के कारण मेढक ठंडा करने का गुण रखते हैं, एतदर्थ मृतक को जलाने के पश्चात शीतलता के लिए मण्डूकों को आमंत्रित करते हैं।[2]
  • अथर्ववेद में मण्डूक को ज्वराग्नि को शान्त करने के लिए आमंत्रित किया गया है।[3]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मण्डूकऋचा (7.103 तथा अ. वेद 4.15,12
  2. ऋग्वेद 10.16,14
  3. अथर्ववेद (7.116

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः