संविधान संशोधन- 24वाँ

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संविधान संशोधन- 24वाँ
विवरण 'भारतीय संविधान' का निर्माण 'संविधान सभा' द्वारा किया गया था। संविधान में समय-समय पर आवश्यकता होने पर संशोधन भी होते रहे हैं। विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को ही 'संशोधन' कहा जाता है।
संविधान लागू होने की तिथि 26 जनवरी, 1950
24वाँ संशोधन 1971
संबंधित लेख संविधान सभा
अन्य जानकारी 'भारत का संविधान' ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली के नमूने पर आधारित है, किन्तु एक विषय में यह उससे भिन्न है। ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है, जबकि भारत में संसद नहीं; बल्कि 'संविधान' सर्वोच्च है।

भारत का संविधान (24वाँ संशोधन) अधिनियम, 1971

  • भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
  • यह संशोधन गोलकनाथ के मामले में उत्पन्न स्थिति के संदर्भ में पारित हुआ।
  • तदनुसार इस अधिनियम द्वारा मूल अधिकारों सहित संविधान में संशोधन करने के संसद के अधिकारों के बारे में सभी प्रकार के संदेहों को दूर करने के लिए अनुच्छेद 13 और अनुच्छेद 368 में संशोधन किया गया।
  • संशोधन रूप में अनुच्छेद 368 द्वारा यह स्पष्ट कर दिया गया कि इसमें संविधान-संशोधन करने की प्रक्रिया और शक्ति दोनों शामिल हैं।
  • इसने गोलकनाथ के मामले के प्रभाव को ही दूर नहीं किया, बल्कि संशोधन शक्ति को और विस्तृत करने के लिए इन शब्दों को भी जोड़ दिया कि संशोधन की शक्ति में किसी उपबन्ध के जोड़ने, परिवर्तित करने और निरसित करने की शक्ति भी शामिल है।
  • अनुच्छेद 13 में एक नया खण्ड जोड़कर यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि अनुच्छेद 13 के अर्थांतर्गत अनुच्छेद 368 के अधीन पारित सांविधानिक संशोधन 'विधि' नहीं है।
  • केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के वाद में उच्चतम न्यायालय ने संविधान के (24वें संशोधन) अधिनियम को विधिमान्य घोषित किया है।


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