यार सप्तक -काका हाथरसी

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यार सप्तक -काका हाथरसी
कवि काका हाथरसी
मूल शीर्षक 'यार सप्तक'
प्रकाशक डायमंड पॉकेट बुक्स
ISBN 81-7182-756-X
देश भारत
भाषा हिन्दी
शैली हास्य
विशेष हास्य कवि काका हाथरसी द्वारा सम्पादित 'यार सप्तक' देश के शीर्षस्थ बारह कवियों की चुनी हुई कविताओं का संग्रह है।

यार सप्तक हिन्दी के ख्यातिप्राप्त हास्य कवि काका हाथरसी द्वारा सम्पादित देश के शीर्षस्थ बारह कवियों की चुनी हुई कविताओं का संग्रह है। यह कविता संग्रह पाठकों को हँसी से लोट-पोट कर देने की क्षमता रखता है। काकाजी के इस संकलन में, अल्हण बीकानेरी, अशोक चक्रधर, ओमप्रकाश आदित्य, जैमिनी हरियाणवी, डॉ. बरसानेलाल चतुर्वेदी, माणिक वर्मा, शैल चतुर्वेदी, सुरेन्द्रमोहन मिश्र, सुरेश उपाध्याय, सूंड फैजाबादी, और हुल्लड़ मुरादाबादी आदि की रचनाएँ सम्मिलित हैं।

पुस्तक अंश

हास्य रस के अवतार काका हाथरसी ने कवि सम्मेलनों में, गोष्ठियों में, रेडियो और दूरदर्शन पर, अर्थात् हर जगह अपने श्रोताओं का मन मोह लिया था। दुनिया का शायद ही कोई विषय उनकी निगाह से चूका होगा।

यार सप्तक

‘तार सप्तक’ के उन आदरणीय कवियों की मैं वंदना करता हूँ, जिनको न तार का ज्ञान है, न सप्तक का फिर भी ‘तार सप्तक’ के द्वारा साहित्य-सागर से तर गए और ‘यार सप्तक’ की प्रेरणा मेरे हृदय में भर गए। संगीत कला में प्रायः सप्तक तीन ही होते हैं- मंद्र सप्तक, मध्य सप्तक और तार सप्तक। नीची आवाज़ में गायन-वादन की पेशकश मंद्र, बीच की आवाज में मध्य और ऊँची आवाज में तार सप्तक के अंतर्गत मानी जाती है।[1] कोई-कोई संगीत के महारथी चौथा सप्तक भी पेश करते हैं, जिसे वे ‘अति तार सप्तक’ कहते हैं। हमारे ‘यार सप्तक’ में सभी सप्तकों के स्वर हैं। सप्तक चाहे जितने हो जाएँ, किन्तु मुख्य स्वर सात ही होते हैं, यथा-

स रे ग म प ध नि

फिर इनके लिए एक-एक सहयोगी की आवश्यकता हुई तो 5 और बढ़कर 12 स्वरों को कल्पना की बन गई, यथा-

स रे रे ग ग म म प ध ध नि नि

बारह कवि

इनमें 'स' और 'प' अचल स्वर हैं, शेष श्वरों के दो-दो रूप हो गए, कोमल और तीव्र अथवा शुद्ध और विकृत। इस प्रकार 12 स्वरों पर भारतीय संगीत की इमारत खड़ी हो गई। स्वरों का यह मामला कहीं तूल न पकड़ जाए, इसलिए हम इस संगीत समस्या पर यहीं ब्रेक मारकर अपनी काव्य-समस्या को आगे बढ़ाते हैं। हमने 12 स्वरों का ‘यार सप्तक’ मानकर 12 कविगण हास्य-व्यंग्य के ऐसे पटा लिए, जिनकी आज कवि-सम्मेलनों के मंच पर तूती बोल रही है।[1]

  1. अल्हड़ बीकानेरी (स) अचल
  2. अशोक चक्रधर (रे) कोमल
  3. ओमप्रकाश आदित्य (रे) तीव्र
  4. काका हाथरसी (ग) कोमल
  5. जैमिनी हरियाणवी (ग) तीव्र
  6. डॉ. बरसानेलाल चतुर्वेदी (म) कोमल
  7. माणिक वर्मा (म) तीव्र
  8. शैल चतुर्वेदी (प) अचल
  9. सुरेंद्रमोहन मिश्र (ध) कोमल
  10. सुरेश उपाध्याय (ध) तीव्र
  11. सूँड़ फैजाबादी (नि) कोमल
  12. हुल्लड़ मुरादाबादी (नि) तीव्र

कोई कवि यह देखकर संपादक को यह बुरा भला न कहे कि हमको अमुक जी से ऊँचा या नीचा क्यों रख दिया है; इस चकल्लस से बचने के लिए हमने ‘अकारादि क्रम’ की शरण लेकर पिंड छुड़ा लिया, इसमें न कोई तुष्ट होगा न असंतुष्ट। सभी अपने-आपको मानेंगे परिपुष्ट। हँसने-हँसाने वालों की अलग दुनिया होती है। उनकी भाषा, उनके रंग-ढंग और उनकी नीति सामान्य से हटकर असामान्य लीक पर चलती है। शब्दों से लय के साथ अठखेलियाँ करता हुआ हास्य-व्यंग्य का कवि अपनी रचना के द्वारा सामाजिक क्रांति के बीज बोता है एवं कृत्रिमता, अराजकता, भ्रष्टाचार आदि विनाशकारी मुखौटों पर तीर चलाकर उनके असली रूप-स्वरूप जनगण के सम्मुख उजागर करता है। मनोरंजन के साथ उसको सोचने के लिए विवश करता है।[1]

व्यंग्य की परिभाषा

एक कवि ने व्यंग्य की परिभाषा इस प्रकार की है- "हमने किसी को तीर मारा, उसे निकाला, फिर मुस्कुराकर कहा- एक और। इस प्रकार कवि को वांछित फल प्राप्त हो गया और जिस पर व्यंग्य किया गया उसको मीठी चुभन तो हुई किंतु कड़वी पीड़ा नहीं पहुँची। यही कारण है जो आज हास्य-व्यंग्य के कवि अन्य रसों के कवियों से अधिक यश और अर्थ प्राप्त करके समर्थ हो रहे हैं।" हमारे ‘यार सप्तक’ के 12 यार कवि, इस संग्रह के द्वारा पाठकों को प्रसन्न करेंगे और स्वयं को धन्य।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 यार सप्तक (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 20 जून, 2013।

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