परिक्रमा

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 12:43, 11 April 2011 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replace - "पीपल " to "पीपल ")
Jump to navigation Jump to search
  • सामान्य स्थान या व्यक्ति के चारों ओर उसकी दाहिनी तरफ़ से घूमने को परिक्रमा कहते हैं।
  • इसको प्रदक्षिणा करना भी कहते हैं, जो षोडशोपचार पूजा का एक अंग है।
  • प्राय: सोमवती अमावास्या को महिलाएँ पीपल वृक्ष की 108 परिक्रमाएँ करती हैं।
  • इसी प्रकार दुर्गा देवी की परिक्रमा की जाती है।
  • पवित्र धर्मस्थानों, अयोध्या, मथुरा आदि पुण्यपुरियों की पंचकोशी (25 कोस की), ब्रज में गोवर्धन पूजा की सप्तकोसी, ब्रह्ममंडल की चौरासी कोस, नर्मदा जी की अमरकंटक से समुद्र तक छ:मासी और समस्त भारत खण्ड की वर्षों में पूरी होने वाली - इस प्रकार की विविध परिक्रमाएँ भूमि में पद-पद पर दण्डवत लेटकर पूरी की जाती है। यही 108-108 बार प्रति पद पर आवृत्ति करके वर्षों में समाप्त होती है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः