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  • ...ं की तीन-तीन जोड़ियाँ बँधाती थीं, तो पयाग किस गिनती में था। हाँ, एक जून की दाल-रोटी में संदेह न था। परन्तु अब यह समस्या दिन पर दिन विषमतर होती जाती थी। उस ...ोई आशा नहीं। पयाग प्राण छोड़ कर दौड़ रहा है, वह किनारे का खेत आ पहुँचा। अब केवल दो सेकेंड का और मामला है। विजय का द्वार सामने बीस हाथ पर खड़ा स्वागत कर र ...
    48 KB (135 words) - 08:23, 10 February 2021
  • |विशेष = मेरे भाई साहब मुझसे पाँच साल बड़े थे, लेकिन केवल तीन दरजे आगे। उन्होंने भी उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था जब मैने शुरू कि ...
    45 KB (132 words) - 08:18, 10 February 2021
  • |उद्देश्य = मकर संक्रांति के दिन [[गंगा]] स्नान और [[तिल]] दान करने का विशेष महात्मय होता है। ...], गृह्य एवं धर्म सूत्रों में [[राशियाँ|राशियों]] का उल्लेख नहीं है, उनमें केवल [[नक्षत्र|नक्षत्रों]] के संबंध में कालों का उल्लेख है। '''याज्ञवल्क्यस्मृ ...
    97 KB (437 words) - 05:53, 14 January 2021
  • |विशेष = ...ी ही मौत दे। चार जवान बेटे थे, एक लड़की। चारों लड़कों के विवाह हो चुके थे, केवल लड़की क्‍वाँरी थी। संपत्ति भी काफ़ी छोड़ी थी। एक पक्का मकान, दो बग़ीचे, क ...
    85 KB (455 words) - 10:46, 2 January 2018
  • उसके जाते ही प्यारी साँझ के लिए रसोई-पानी का इंतजाम करने लगी। पहले चावल-दाल बिनना अपाढ़ लगता था और रसोई में जाना तो सूली पर चढ़ने से कम न था। कुछ देर ब ...हम लोगों को जाने दो। भगवान ने चाहा, तो घर फिर संभल जायगा। तुम्हारे लिए हम बराबर खरच-बरच भेजते रहेंगे। ...
    66 KB (246 words) - 09:20, 12 April 2018
  • ‘यह क्यों नहीं कहते, कि उल्लू बनाकर ले गया, ऊपर से हेकड़ी जताते हो ! दाल गिर जाने पर तुम्हें भी सूखा अच्छा लगे, तो कोई आश्चर्य नहीं। मैं जानती हूँ, ढपोरसंख ने आँखे मारकर कहा, ‘तुम्हारा नमक खाकर यह तुम्हारी तरफदारी करेंगे ही !’ ...
    90 KB (190 words) - 09:17, 12 April 2018
  • ...पर वही भार आज व्यक्ति-विशेष पर एकान्त रूप से पड़ जाने से सारा का सारा भार-केन्द्र ही अन्यत्र हट गया है। इसी से आज अनजान अपरिचितों के बीच में से चलने में ...लकर। मुँहजले अतिथियों का तो नागा ही नहीं। घर में न तो एक मुट्ठी चावल है, न दाल-खिलाऊँगी क्या चूल्हे की भूभड़?" ...
    158 KB (322 words) - 08:21, 10 February 2021